77 प्रतिशत एरिया ट्यूबवैलों पर निर्भर, 350 से 400 फुट गहरा जा चुका है भू-जल स्तर

Edited By Anjna,Updated: 25 Jun, 2018 03:20 PM

water issue

पंजाब का भू-जल स्तर प्रतिदिन गिरता जा रहा है। जिला संगरूर भू-जल के मामले में सरकारी आंकड़ों के अनुसार रैड लाइन पर है। जिले में अब 350 से 400 फुट के करीब गहराई के नए बोर हो रहे हैं।

संगरूर/सन्दौड़ (बेदी/रिखी): पंजाब का भू-जल स्तर प्रतिदिन गिरता जा रहा है। जिला संगरूर भू-जल के मामले में सरकारी आंकड़ों के अनुसार रैड लाइन पर है। जिले में अब 350 से 400 फुट के करीब गहराई के नए बोर हो रहे हैं। जिले में धूरी और शेरपुर ब्लॉक भू-जल की कमी को लेकर अंडर लाइन हैं। ऐसी स्थिति पंजाब के अन्य 144 ब्लॉकों में भी है परन्तु इस चिंता के विषय पर अब तक किसी सरकार ने कोई संजीदगी नहीं दिखाई है। यदि भू-जल का दुरुपयोग इसी तरह जारी रहा और समय की सरकारों ने भू-जल को बचाने के लिए काई ठोस प्रबंध नहीं किया तो वह दिन दूर नहीं जब पंजाब की भूमि बंजर हो जाएगी और लोगों को पेयजल नहीं मिलेगा तथा पंजाब की ओर कोई रुख नहीं करेगा। डाइनामिक ग्राऊंड वाटर रिसोॢसज अथॉरिटी की रिपोर्ट अनुसार पंजाब का एक बड़ा हिस्सा खेतीबाड़ी विभाग ने डार्क जोन घोषित किया है।

डायनामिक ग्राऊंड वाटर रिसोर्सिज की रिपोर्टों के आंकड़ों अनुसार भू-जल लगातार घट रहा है।भू-जल का स्तर हर साल घटता ही जा रहा है। सवाल यह है कि यह स्तर आखिर कब तक घटेगा? आखिर कब तक लोग घरों और खेती वाली मोटरों में पाइपों के टुकड़े डाल कर मोटर नीचे करते रहेंगे और धरती मां का सीना छलनी कर पानी निकालते रहेंगे। शायद इन सवालों का जबाब एक ही है कि यह अनमोल पानी जिसको हम आए दिन बिना कारण से ही बहाए जा रहे हैं, कारों, पशुओं, घरों को धोने में बहाया जा रहा है। अब खत्म होने की कगार पर है और हमें इस संबंधी जहां संभलने की जरूरत है, अपनी आदतें बदलने की भी जरूरत है।

वहीं सरकारों को केंद्र और राज्य स्तर पर भू-जल को बचाने के प्रयास करने होंगे। पंजाब भर में जहां 16 लाख के करीब खेती ट्यूबवैल हैं, वहीं जिला संगरूर में 7800 खेती ट्यूबवैल हैं जो धरती का सीना छलनी कर धड़ाधड़ पानी निकाल रहे हैं। जिले में नहरों और सुओं की इतनी कमी है कि 77 प्रतिशत खेती ट्यूबवैलों पर निर्भर है। सिर्फ 23 प्रतिशत खेती को ही नहरी पानी मिलता है। जिले में 3 लाख 12 हजार हैक्टेयर जमीन पर खेती हो रही है। इसके साथ ही लाखों घरेलू सबमर्सीबल मोटरें हैं जो लगातार भू-जल निकालने में लगी हुई हैं। 

गांवों के वाटर वक्र्स बेलगाम 
बहुत से गांवों के वारट वक्र्स जिनको पंचायतों के हवाले कर दिया गया है वे भी बेलगाम ही हैं जिनकी तरफ से सांझे स्थलों पर चलती टूटियां जितना समय पानी छोड़ा जाता है बिना प्रयोग के ही चलती रहती हैं।

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