Edited By Anjna,Updated: 23 Jan, 2019 10:25 AM
पंजाब सरकार द्वारा बेशक बाल मजदूरी रोकने के लिए सख्त कानून बनाया हुआ है और प्रशासन भी बाल मजदूरी को रोकने के लिए बड़े दावे करता नही थकता परन्तु सच्चाई यह है कि स्थानीय शहर और इलाके में कई ढाबों, रेहडिय़ों,भट्ठों व अन्य दुकानों पर प्रशासन की नाक नीचे...
भवानीगढ़(विकास, संजीव): पंजाब सरकार द्वारा बेशक बाल मजदूरी रोकने के लिए सख्त कानून बनाया हुआ है और प्रशासन भी बाल मजदूरी को रोकने के लिए बड़े दावे करता नही थकता परन्तु सच्चाई यह है कि स्थानीय शहर और इलाके में कई ढाबों, रेहडिय़ों,भट्ठों व अन्य दुकानों पर प्रशासन की नाक नीचे ही बाल मजदूरी सरेआम जारी है।
हैरानी की बात है कि यहां बाल मजदूरी को रोकने के लिए न तो प्रशासन की तरफ से किसी किस्म की सख्ती दिखाई जा रही है और न ही संबंधित विभाग ही अपनी हाजिरी दर्ज करवा रहा है। देखने में सामने आया है कि 360 घंटों की मजदूरी का 30 दिनों बाद मेहनताना 500 रुपए से लेकर 1500 रुपए तक ही डाला जाता है। कई बाल मजदूरों ने मजदूरी करना उनकी मजबूरी बताया परन्तु लोगों का कहना है कि सरकार के बाल सुरक्षा विभाग की तरफ से इस संबंधी ठोस प्रयास करने के साथ इन मजबूर बाल मजदूरों की कुल्ली, जुल्ली और गुल्ली के लिए उचित प्रबंध करने सहित सख्त कानून लागू किए जाएं ताकि बाल मजदूरी को रोकना संभव हो सके।
कानून की कमियों कारण बाल मजदूरी का बढ़ा रुझान : समाज सेवी
प्रसिद्ध समाज सेवी संस्था श्री सनातन धर्म पंजाब महावीर दल के सरपरस्त वरिन्दर सिंगला,प्रधान विनोद सिंगला और सचिव विशाल भावरी का मानना है कि कानून की कमजोरियों कारण ही बाल मजदूरी का राज्य में रुझान बहुत तेजी के साथ बढ़ा है आंकड़े बताते हैं कि 65 प्रतिशत लोग ऐसे हैं जिनको दो वक्त की रोटी भी सही ढंग के साथ नसीब नही होती। उन्होंने कहा कि गरीब, अमीर का देश के भूगोल में पड़ा बड़ा विभाजन भी बाल मजदूरी का बड़ा कारण है। उन्होंने छोटे बच्चों से मजदूरी करवाने वाले लोगों विरुद्ध सख्त कार्रवाई करने के साथ प्रशासन से बाल मजदूरी रोकू कानून को सख्ती के साथ लागू करने की मांग की है।