सरकार की बेरुखी का शिकार बॉक्सर गुरदीप सिंह

Edited By swetha,Updated: 08 Jan, 2019 12:07 PM

boxer gurdeep singh

बेशक राज्य सरकार द्वारा राज्य में नौजवानों को खेलों की तरफ प्रेरित करने के लिए ज्यादा से ज्यादा सुविधाएं देने यहां तक कि मैडल जीतने वाले खिलाडिय़ों को हर तरह की मदद देने के बड़े-बड़े दावे और वायदे किए जाते हैं लेकिन विधानसभा क्षेत्र लहरागागा के गांव...

लहरागागा(गर्ग): बेशक राज्य सरकार द्वारा राज्य में नौजवानों को खेलों की तरफ प्रेरित करने के लिए ज्यादा से ज्यादा सुविधाएं देने यहां तक कि मैडल जीतने वाले खिलाडिय़ों को हर तरह की मदद देने के बड़े-बड़े दावे और वायदे किए जाते हैं लेकिन विधानसभा क्षेत्र लहरागागा के गांव बखोराखुर्द का रहने वाला गुरदीप सिंह सरकार की बेरुखी का शिकार होकर अपनी काबिलियत को विदेशों में दिखाने से वंचित हो रहा है। 

1 जनवरी 1991 को माता जसमेल कौर व पिता भोला सिंह के घर गांव बखोरा खुर्द में जन्मा गुरदीप सिंह जोकि भारतीय फौज में बतौर हवलदार सेवा निभा रहा है, बॉकिं्सग के मुकाबलों में देश-विदेश में गोल्ड मैडल जीतने के बावजूद सरकार की बेरुखी का शिकार है। 2009 में फौज में बतौर सिपाही भर्ती होने के उपरांत उसने फौज में ही बॉक्सिंग की कोचिंग लेनी शुरू की। देश के विभिन्न शहरों पुणे, पटना, बेंगलूर,गुवाहाटी में हुए नैशनल स्तर के मुकाबलों में 64-69 किलो वर्ग भार में गोल्ड मैडल जीते। वहीं 30 जुलाई 2018 को श्रीलंका में हुई साऊथ एशियन गेम्स में भाग लेते हुए 64-69 किलो भार में नेपाल व बंगला देश के खिलाडिय़ों को हराकर फाइनल में प्रवेश किया तथा फाइनल में उसने श्रीलंका के खिलाड़ी को हराकर गोल्ड मैडल जीतकर देश, राज्य व भारतीय फौज का मान बढ़ाया।

गोल्ड मैडलिस्ट गुरदीप सिंह ने बताया कि बेशक भारतीय फौज द्वारा इस उपलब्धि के लिए ईनामी राशि दी गई है लेकिन पंजाब सरकार द्वारा किसी तरह का कोई मान-सम्मान नहीं दिया गया। 
अगर यही उपलब्धि साथ के राज्य हरियाणा में खिलाड़ी ने प्राप्त की होती तो उसको सरकार आर्थिक स्तर पर मालामाल कर देती व सभी सहूलियतें देती लेकिन पंजाब सरकार ने उनके लिए कोई सुविधा नहीं दी व न ही कोई आर्थिक मदद की।

उन्होंने बताया कि वह मध्यम परिवार से संबंध रखते हैं और फौज में नौकरी करते हैं लेकिन उसके वेतन से परिवार का खर्चा ही चलता है जिसके चलते अपनी बॉक्सिंग को और निखारने के लिए पैसों की कमी खलती है। एक पिछड़े क्षेत्र से संबंधित होने के बावजूद उसने विदेश में जाकर गोल्ड मैडल हासिल किया लेकिन सरकार व प्रशासन द्वारा कोई मान-सम्मान नहीं मिला जिसका उसे दुख है। उन्होंने कहा कि अगर उसको बढिय़ा सहूलियतें व आॢथक मदद मिलती है तो वह बॉक्सिंग के मुकाबलों में पूरी दुनिया में देश का नाम रोशन कर सकता है। अगर सरकार खिलाडियों को बनती सहूलियतें व आॢथक मदद दे तो वह दिन दूर नहीं जब पंजाब के खिलाड़ी इंटरनैशनल स्तर पर पंजाब, देश व अपने क्षेत्र का नाम रोशन कर सकेंं । उन्होंने भारतीय फौज में भर्ती होकर की जा रही सेवा पर संतुष्टि व्यक्त की। 

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