हरियाणा के स्कूलों में अब नहीं बजेगी अध्यापकों के मोबाइल की ट्रिन-ट्रिन

Edited By Punjab Kesari,Updated: 05 Aug, 2017 10:39 PM

teachers of haryana will not be able to do the trin trin

मोबाइल इस शताब्दी का अभूतपूर्व चमत्कार है। यह हमारा अभिन्न अंग बन कर सदा हमारे साथ रहता है....

मोबाइल इस शताब्दी का अभूतपूर्व चमत्कार है। यह हमारा अभिन्न अंग बन कर सदा हमारे साथ रहता है और आज विश्व में सर्वाधिक इस्तेमाल किया जाने वाला उपकरण बन गया है। हमारे देश की जितनी जनसंख्या है, मोबाइल फोनों की संख्या उससे कहीं अधिक बढ़ गई है। नि:संदेह मोबाइल के असंख्य लाभ हैं-एमरजैंसी में डाक्टर और पुलिस बुलाने, घर से बाहर होने पर परिवार या दफ्तर वालों से संपर्क रखने, किसी को तत्काल महत्वपूर्ण संदेश पहुंचाने, किसी घटना का चित्र खींचने जैसे असंख्य लाभों के साथ-साथ इसकी कुछ हानियां भी हैं। 

लोगों, विशेषकर नवविवाहित जोड़ों की गृहस्थी में समस्याएं खड़ी करने में इनका बहुत बड़ा योगदान है। जरा-जरा सी बात पर बेटियां अपनी माताओं को फोन लगाकर अपने पति या अपने ससुराल वालों की शिकायत कर देती हैं जिससे कई बार माताओं द्वारा बेटियों को गलत सलाह देने से उनकी गृहस्थी खतरे में पड़ जाती है। इस तरह ये पति-पत्नी के रिश्तों में तनाव, टकराव और अलगाव का कारण भी बन रहे हैं। मोबाइल का इस्तेमाल नशे की हद तक बढ़ जाने के कारण वाहन चलाते समय इसके इस्तेमाल से सड़क दुर्घटनाएं भी बढ़ गई हैं। मोबाइल फोन पर आसानी से उपलब्ध अश्लील तस्वीरें देख कर और आपस में आदान-प्रदान करके लड़के-लड़कियों के चरित्र भी भ्रष्ट हो रहे हैं। 

स्कूलों-कालेजों में अध्यापकों व छात्र-छात्राओं द्वारा कक्षा में मोबाइल फोन ले कर जाने और समय-समय पर कभी अïध्यापक तो कभी किसी छात्र के मोबाइल की बजने वाली घंटी से अध्यापकों और छात्रों दोनों का ही समय नष्ट होता है और पढ़ाई की हानि होती है। इसी के दृष्टिगत कुछ समय पूर्व हिमाचल सरकार ने अपनी शिक्षा संस्थाओं में मोबाइल के इस्तेमाल पर रोक लगा दी थी और अब हरियाणा स्कूल शिक्षा निदेशालय ने भी राज्य के सरकारी स्कूलों में अध्यापकों तथा स्कूल के प्रमुखों के भी कक्षाओं में मोबाइल लेकर जाने पर रोक लगा दी है। उल्लेखनीय है कि हरियाणा के सरकारी स्कूलों में प्राइमरी से प्लस 2 कक्षाओं तक लगभग 25 लाख छात्र शिक्षा प्राप्त कर रहे हैं जबकि इनमें अध्यापकों की संख्या लगभग 90,000 है। 

‘एकैडमिक एड’ के रूप में इस्तेमाल के लिए या किसी अन्य विशेष कारण से मोबाइल कक्षा में ले जाने की जरूरत अनुभव करने पर अध्यापकों को इसके लिए स्कूल के प्रमुख से अनुमति लेनी होगी और एक विशेष रजिस्टर में कक्षा में मोबाइल ले कर जाने का कारण दर्ज कराना होगा। ‘नॉन टीचिंग’ समय में भी मोबाइल का इस्तेमाल उन स्थानों पर ही किया जा सकेगा जो कक्षाओं से दूर हों ताकि दूसरे छात्रों का ध्यान भंग न हो। इस आदेश का पालन यकीनी बनाने के लिए निरीक्षण अधिकारियों को कई आदेश दिए गए हैं। आदेश का उल्लंघन करता पाए जाने पर या किसी छात्र अथवा आम जनता में से इस बारे शिकायत आने पर दोषी अध्यापक के विरुद्ध कार्रवाई की जाएगी और इसमें कोताही के लिए सम्बन्धित अध्यापक तथा स्कूल प्रमुख समान रूप से जवाबदेह होंगे। 

कक्षाओं के दौरान मोबाइल स्कूल के प्रमुख या स्टाफ रूम में या स्कूल के प्रमुख द्वारा निर्धारित किसी भी स्थान पर रखे जा सकते हैं। अलबत्ता आपात संदेश प्राप्त करने के लिए स्कूल प्रमुख द्वारा अध्यापकों को 2 कंटैक्ट नम्बर दिए जाएंगे। ये नंबर स्कूल के प्रमुख या उसके द्वारा अधिकृत किसी अन्य व्यक्ति के हो सकते हैं जिन पर वे संदेश प्राप्त कर सकेंगे। कुछ समय पूर्व अध्यापकों द्वारा निजी इस्तेमाल के लिए कक्षाओं में मोबाइल लेकर जाने के कारण पढ़ाई का समय खराब होने की शिकायतें मिलने के बाद ही हरियाणा सरकार ने यह पग उठाया है। 

विशेषज्ञों का कहना है कि मोबाइल अपने अनेक लाभों के साथ ही एकमात्र ऐसा उपकरण है जो लोगों का सबसे अधिक समय खराब कर रहा है। इस लिहाज से हरियाणा सरकार का यह उचित निर्णय है जिससे राज्य के गिरते स्कूली शिक्षा के स्तर को थामने में कुछ सहायता अवश्य मिलेगी। अत: अन्य राज्यों की सरकारों को भी अपने शिक्षा संस्थानों में पढ़ाई के दौरान मोबाइल  के इस्तेमाल पर रोक लगानी चाहिए ताकि इसे अभिशाप न बनने देकर वरदान ही बना रहने दिया जाए।—विजय कुमार 

Related Story

Trending Topics

IPL
Chennai Super Kings

176/4

18.4

Royal Challengers Bangalore

173/6

20.0

Chennai Super Kings win by 6 wickets

RR 9.57
img title
img title

Be on the top of everything happening around the world.

Try Premium Service.

Subscribe Now!