वोटर कार्ड से लिंक होगा आधार तो कट जाएंगे जाली वोट

Edited By swetha,Updated: 24 Jun, 2018 05:07 PM

voter card will link base will be cut forged votes

आधार कार्ड का टैग ‘आधार आम आदमी का अधिकार’ को केन्द्र की मोदी सरकार ने बदलकर ‘मेरा आधार मेरी पहचान’ कर दिया। सभी सरकारी काम चाहे बैंक खाता हो या फिर घरेलू गैस सिलैंडर का कनैक्शन लेना हो सभी में आधार कार्ड को अनिवार्य किया जा चुका है, लेकिन लोकतंत्र...

अमृतसर (नीरज): आधार कार्ड का टैग ‘आधार आम आदमी का अधिकार’ को केन्द्र की मोदी सरकार ने बदलकर ‘मेरा आधार मेरी पहचान’ कर दिया। सभी सरकारी काम चाहे बैंक खाता हो या फिर घरेलू गैस सिलैंडर का कनैक्शन लेना हो सभी में आधार कार्ड को अनिवार्य किया जा चुका है, लेकिन लोकतंत्र में राष्ट्र निर्माण की सबसे बड़ी प्रक्रिया चुनाव में आज भी आधार कार्ड और वोटर कार्ड को ङ्क्षलक नहीं किया जा रहा है जो कई सवाल पैदा कर रहा है। जबकि चुनाव प्रक्रिया की वोटिंग के दौरान किसी प्रकार का हेरफेर न हो, इसके लिए आधार और वोटर कार्ड का ङ्क्षलक होना बहुत जरूरी माना जा रहा है। 

जिला प्रशासन के चुनावी दफ्तर से मिली जानकारी के अनुसार 2019 के चुनाव में भी सरकार की वोटर कार्ड व आधार कार्ड को ङ्क्षलक करने की कोई योजना नहीं है, जबकि चुनाव आयोग के आंकड़ों पर नजर डालें तो पता चलता है कि 2013-14 के विधानसभा चुनाव के दौरान पंजाब में 7.50 लाख, जबकि अमृतसर जिले में 1 लाख से ज्यादा जाली वोट काटी गई थी। यही जाली वोट किसी न किसी विधानसभा हलके के उम्मीदवार की जीत-हार का फैसला करती है। मौजूदा समय में तो 20-20 वोट से उम्मीदवारों की जीत हार का फैसला हो रहा है, जबकि कुछ विधानसभा हलकों में तो इससे भी कम वोटों के अंतर पर उम्मीदवार हार जीत चुके हैं। 

इससे पता चलता है कि आम नागरिक की तरफ की गई वोटिंग का क्या महत्व है और वोटर की तरफ से डाली गई एक वोट क्या कर सकती है, लेकिन जिस प्रकार से हर चुनाव में जाली वोटों का बोलबाला रहता है वह न तो हमारे देश के लोकतंत्र के लिए ठीक है और न ही आम जनता के लिए। हर सरकारी काम में जब आधार कार्ड जरूरी कर दिया गया है तो वोट को इसके साथ ङ्क्षलक क्यों नहीं किया जा रहा है, जबकि आज के डिजीटल युग में वोटर कार्ड का आधार कार्ड से लिंक होना जरूरी है। आधार कार्ड को वोटर कार्ड के साथ लिंक करने से जम्मू-कश्मीर में नागरिकों के वेश में छिपे रहने वाले आतंकवादियों, पंजाब, यूपी, हरियाणा, दिल्ली व अन्य प्रदेशों में रहने वाले बंगलादेशियों व माओवादियों को भी ट्रेस किया जा सकता है जो हमारे देश में गलत पहचान पत्र बनाकर घूम रहे हैं। ऐसे लोगों की हजारों नहीं बल्कि लाखों की संख्या में वोटें बनी हुई हैं जो आधार कार्ड के साथ लिंक करने पर कट जाएंगी।

पूर्व मुख्य चुनाव आयुक्त ने किया था पंजाब में जाली वोटों का खुलासा
केन्द्र के पूर्व मुख्य चुनाव आयुक्त ने अमृतसर में आकर एक पत्रकार वार्ता में खुलासा किया था कि पंजाब में 7.80 लाख जाली वोट काटी गई हैं, जबकि अमृतसर जिले में भी 1 लाख के करीब जाली वोट काटी गई थी जो एक प्रत्यक्ष व मजबूत प्रमाण है कि वोटिंग के दौरान लाखों की संख्या में जाली वोटों का प्रयोग किया जाता है। मुख्य चुनाव आयुक्त से जब यह पूछा गया था कि आधार कार्ड को वोटर कार्ड के साथ ङ्क्षलक क्यों नहीं किया जा रहा है तो वह भी इस सवाल का जवाब नहीं दे पाए थे, जो साबित करता है कि जाली वोटों को काटने के लिए बड़े नेता भी सकारात्मक सोच नहीं रखते हैं, जबकि देश में एक मजबूत लोकतंत्र की स्थापना करने के लिए वोटर कार्ड को आधार कार्ड के साथ जोडना जरूरी है।

घपलेबाजी का काल बनकर आया आधार कार्ड
आधार कार्ड बनाने की योजना पर 5 हजार करोड़ रुपए से ज्यादा का खर्च किया जा चुका है। विशेष पहचान पत्र बनाने की इस आधार कार्ड योजना ने कुछ ही वर्षों में अपना सकारात्मक परिणाम देना शुरू कर दिया और सरकारी विभागों में फैले भ्रष्टाचार जिसमें मुख्य रूप से गरीबों के लिए चलाई जा रही विकास योजनाओं, सब्सिडी स्कीमों, राशन वितरण जैसी स्कीमों में भ्रष्टाचारियों व ठगों का काल बन चुका है। हालांकि सरकार ने इस योजना का विस्तार करते समय कहा था कि आधार कार्ड स्वयं इच्छा पर निर्भर है और इसको सबके लिए जरूरी नहीं बनाया गया है, लेकिन मौजूदा हालात में सरकार हर एक योजना के साथ आधार कार्ड को जोड़ रही है। इससे गरीबों को मिलने वाली सरकारी योजनाओं में भारी पारदर्शिता नजर आनी शुरू हो गई है और सरकारी योजनाओं में ठगी करने वाले भ्रष्ट अधिकारी जेल की सलाखों के पीछे जा रहे हैं। बुढ़ापा पैंशन घोटाला हो या फिर शौचालय घोटाला हो सरकार की तरफ से जारी की जाने वाली सब्सिडी को पारदर्शिता में वितरण करने में आधार कार्ड महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है।

बेनामी एक्ट में बनेगा मजबूत आधारशिला का आधार
केन्द्र सरकार की तरफ तरफ से प्रॉपर्टी के कारोबार में छिपे काले धन को सामने लाने के लिए बेनामी एक्ट सख्ती के साथ लागू किया जा चुका है और माना जा रहा है कि बेनामी एक्ट में भी आधार कार्ड एक मजबूत आधारशिला बनेगा। इस प्रकार की चर्चा जोरों पर है कि आने वाले दिनों में हर एक व्यक्ति को अपनी जमीन जायदाद आधार कार्ड के साथ लिंक करना जरूरी होगा और जो व्यक्ति इसको ङ्क्षलक नहीं करेगा उसकी प्रॉपर्टी को बेनामी माना जाएगा। एक साधारण व्यक्ति जिसके पास 1 यो 2 पुश्तैनी या अपना मकान है उसके लिए इस प्रकार की कानूनी औपचारिकता को पूरा करना कोई मुश्किल काम नहीं है, लेकिन जिन व्यक्तियों ने अपने नौकरों, रिश्तेदारों व अन्य सगे संबंधियों के नाम पर प्रॉपर्टी खरीद रखी है उनके लिए यह काम आसान नहीं होगा। इस मामले में या तो उनके रिश्तेदार बेनामी प्रॉपर्टियों के मालिक बन जाएंगे या फिर ऐसे लोग बेनामी एक्ट के घेरे में आ जाएंगे।  
 

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