Edited By Mohit,Updated: 13 Feb, 2019 10:44 PM
चीफ खालसा दीवान अधीन चल रहा भाई वीर सिंह वृद्ध घर बेसहारा बुजुर्गों के लिए वरदान साबित होता दिखाई दे रहा है। 1959 में तरनतारन में शुरू हुए इस वृद्ध घर में आज 62 बुजुर्ग परमात्मा को याद करते हुए अपना समय व्यतीत कर रहे हैं।
तरनतारन (रमन): चीफ खालसा दीवान अधीन चल रहा भाई वीर सिंह वृद्ध घर बेसहारा बुजुर्गों के लिए वरदान साबित होता दिखाई दे रहा है। 1959 में तरनतारन में शुरू हुए इस वृद्ध घर में आज 62 बुजुर्ग परमात्मा को याद करते हुए अपना समय व्यतीत कर रहे हैं। इनमें से कुछ ऐसे बुजुर्ग जोड़े हैं जो बच्चों के सताए होने के बावजूद उनकी लंबी उम्र की प्रार्थना करते हुए दिखाई देते हैं। इस वृद्ध घर में बुजुर्गों ने एक-दूसरे से दिल की बातें करते हुए खुशी का इजहार कर एक-दूसरे को फूल भेंट करते हुए वैलेंटाइन-डे मनाया।
बेऔलाद ही अच्छे
इस वृद्ध घर में पिछले एक वर्ष से रह रहे राज कुमार (70) पुत्र राम प्रकाश निवासी अमृतसर ने बताया कि उसका विवाह शारदा के साथ हुआ था। वह एक प्राइवेट नौकरी करता था परंतु उसके घर परमात्मा ने कोई औलाद नहीं दी जिसका उन्हें कोई दुख नहीं है। क्योंकि इस वृद्ध घर में कलियुगी बच्चों के सताए हुए बुजुर्गों को देख कर वह परमात्मा का शुकराना करते हैं कि उनकी कोई औलाद नहीं है। राज कुमार ने कहा कि वह पत्नी का पूरा ख्याल रखता है और हर वैलेंटाइन-डे पर उसे फूल भेंट करता है।
बीमारी के बाद पत्नी ने किया किनारा
65 वर्षीय जाट बिरादरी से संबंध रखने वाले व्यक्ति ने अपना नाम न छापने की शर्त पर बताया कि उसकी 13 एकड़ जमीन है। उसके 3 बेटे जिनमें से 2 विवाहित हैं और एक अविवाहित है द्वारा उसकी जमीन को जबरदस्ती बेचने संबंधी कलह की जाने लगी। इस संबंधी इंकार करने के बाद उसके साथ परिवार ने एकतरफा फैसला लेकर उसे घर से बाहर निकालने की साजिशें रचनी शुरू कर दीं। उसकी पत्नी ने उसका उस समय साथ छोडऩा शुरू कर दिया जब उसको पता लगा कि उसका पति काला पीलिया का शिकार हो गया है। इस बुजुर्ग ने बताया कि वह अपना बोरी-बिस्तर उठा कर इस वृद्ध घर में आकर बुजुर्गों में रहने लग पड़ा। यहां वह खुशी से जिंदगी बिता रहा है। इस वैलेंटाइन-डे पर वह अपने साथियों के साथ खुशी मना रहा है।
बेटे ने धोखे से हस्ताक्षर करवा कर छीनी करोड़ों की जायदाद
दिल्ली निवासी इकबाल सिंह (76) ने आंखें भरते हुए कहा कि वह स्कूल वैन, ऑटो चलाता था। उसने सारी उम्र अपने इकलौते बेटे मनदीप सिंह के लिए कमाई की। कई वर्ष पहले लिए एक फ्लैट जिसकी कीमत करीब एक करोड़ रुपए थी को उसके बेटे ने धोखे से अपने नाम करवा लिया और उसे घर से बाहर जाने के लिए मजबूर कर दिया। इकबाल सिंह ने रोते हुए बताया कि इस तरह की औलाद न होती तो अच्छा था। उसकी पत्नी का कई वर्ष पहले देहांत हो चुका है जिसके बाद वह इस वृद्ध घर में अपने साथियों के साथ आज वैलेंटाइन-डे खुशी से मनाते हुए सभी दुखों को भूल गया है।
बेटियों को नहीं करना चाहता दुखी
गांव सभरा निवासी सरदूल सिंह (75) ने बताया कि उसकी पत्नी अमरजीत कौर का 20 वर्ष पहले देहांत होने के बाद वह इस वृद्ध घर में अपनी खुशी से समय व्यतीत कर रहा है। उसकी 2 बेटियां अपने घर में खुशी से रह रही हैं जिन पर वह बोझ नहीं बनना चाहता।
बुजुर्गों की सेवा में लगा वृद्ध घर
भाई वीर सिंह वृद्ध घर के सुपरिंटैंडैंट गुरबख्श सिंह ने बताया कि चीफ खालसा दीवान चैरीटेबल सोसायटी अधीन इस वृद्ध घर में बुजुर्ग अच्छे वातावरण में बिना किसी उदासी के अपना जीवन बिता रहे हैं। उन्होंने बताया कि वैलेंटाइन-डे के अवसर पर इन्होंने एक-दूसरे को फूल व गुलदस्ते भेंट किए हैं। इस वृद्ध घर में बुजुर्गों के लिए सुबह के समय चाय, फल, दूध, दवाएं, दोपहर व रात के खाने का प्रबंध किया गया है। उन्होंने बताया कि हर बुजुर्ग के लिए नए बिस्तर, अलग कमरे, सिमरन घर, डायनिंग हाल, लाइब्रेरी, श्री गुरुद्वारा साहिब, अस्पताल आदि की सुविधा दी गई है जिन पर हर माह करीब 5 लाख रुपए का खर्च आता है। इस वृद्ध घर के लिए कोई भी सज्जन दान कर सकता है।