पुलिस फाइलों की धूल बनकर रह गया प्रो. सुखप्रीत का अपहरण कांड

Edited By seema,Updated: 18 Jul, 2018 04:20 PM

professor kidnaping case

मय बीतने के साथ-साथ गुरु नानक देव विश्वविद्यालय के हिन्दी विभाग की असिस्टैंट प्रोफैसर सुखप्रीत कौर के अपहरण का मामला जहां अब पुलिस फाइलों की धूल बनकर रह गया है, वहीं अगर इस मामले में पुलिस को एक माह दौरान कोई सुराग न मिला तो यह अपहरण कांड क्लोज कर...

अमृतसर (संजीव): समय बीतने के साथ-साथ गुरु नानक देव विश्वविद्यालय के हिन्दी विभाग की असिस्टैंट प्रोफैसर सुखप्रीत कौर के अपहरण का मामला जहां अब पुलिस फाइलों की धूल बनकर रह गया है, वहीं अगर इस मामले में पुलिस को एक माह दौरान कोई सुराग न मिला तो यह अपहरण कांड क्लोज कर दिया जाएगा। प्रो. सुखप्रीत के अपहरण को करीब 11 माह बीत चुके हैं, मगर पुलिस इस मामले में आज तक कोई भी ठोस सुराग नहीं निकाल पाई, जिस कारण अब प्रो. सुखप्रीत अपहरण कांड की फाइल को सितम्बर माह में बंद करने की तैयारी हो चुकी है। पुलिस अब उक्त कांड में एक साल बीतने के इंतजार में है, क्योंकि किसी भी अपहरण के मामले को 1 वर्ष से पूर्व पुलिस क्लोज नहीं कर सकती। प्रो. सुखप्रीत कौर को अपहरण कर ले जाने के मामले में जिला पुलिस ने कुछ दिन तो कड़ी मेहनत कर मामले को सुलझाने का प्रयास किया था, मगर कोई सुराग हाथ न लगने पर फाईल को अन-ओपचारिक तौर पर बंद कर दिया गया था। 

फ्लैश बैक

गुरु नानक देवी विश्वविद्यालय की असिस्टैंट प्रो. सुखप्रीत कौर के 11 सितम्बर 2017 को संदिग्ध परिस्थितियों में गायब हो जाने के मामले में थाना कैंटोनमैंट की पुलिस ने अज्ञात व्यक्तियों के विरुद्ध केस दर्ज कर मामले की गहन जांच शुरू कर दी थी, जिसमें जतिन्द्र सिंह गैरी का नाम सामने आया था और प्रो. सुखप्रीत कौर को अपहरण कर ले जाने की सी.सी.टी.वी. फुटेज भी पुलिस के हाथ लगी थी। फुटेज में जतिन्द्र सिंह गैरी यूनिवॢसटी के ठीक सामने यू.टी. मार्कीट में प्रो. सुखप्रीत से मिलने के लिए आया था, जहां प्रो. सुखप्रीत एक रैस्टोरैंट के अंदर जाती हुई दिखाई दी और कुछ समय बाद जब वह बाहर निकली तो वह गैरी के साथ बातें करती हुई उसके पीछे-पीछे चलना शुरू हो गई। दोनों एक कार में बैठे और शहर की ओर रवाना हो गए थे, जिसके बाद पुलिस ने अमृतसर के साथ-साथ बाहरी क्षेत्रों में जांच शुरू कर दी। मानावाला टोल प्लाजा से पुलिस को कुछ ओर सुराग हाथ लगे, जिसके बाद पुलिस को पता चला कि वह जालंधर से पहले रास्ते में एक होटल में रुके थे और फिर गैरी कार लेकर अगले दिन वहां से निकल गया था। 
प्रो. सुखप्रीत अपहरण कांड उस समय और भी गहरा गया, जब खरड़ के रहने वाले जतिन्द्र सिंह गैरी का शव पुलिस ने महाराष्ट्र के इदु-दुर्ग जिले के अमरोही शहर में स्थित एक गैस्ट हाऊस के कमरे में पंखे से झूलता हुआ बरामद किया। महाराष्ट्र का यह क्षेत्र गोवा बार्डर के साथ सटा हुआ था। गैरी का शव मिलने के बाद पुलिस जांच एक बार फिर जीरो प्वाइंट पर पहुंच चुकी थी।

अब पुलिस ने इस अपहरण कांड को फिर से कबीर पार्क मार्कीट से शुरू किया। जब जालंधर-रोपड़ के टोल प्लाजा को खंगाला गया तो प्रो. सुखप्रीत सी.सी.टी.वी. फुटेज में दिखाई नहीं दी, जिस पर पुलिस फिर से उसी गैस्ट हाऊस में पहुंची जहां गैरी अमृतसर से सुखप्रीत को लेकर गया था। जिस-जिस रास्ते से गैरी अमृतसर से महाराष्ट्र पहुंचा था, पुलिस उन रास्तों को खंगालती गई, लेकिन कोई भी सुराग नहीं मिल पाया।जब अमृतसर पुलिस ने अमरोही शहर के एक गैस्ट हाऊस से जतिन्द्र सिंह विर्क का पंखे से झूलता हुआ शव बरामद किया तो कमरे की दीवारों पर लिखा गया था कि ‘आई एम इनोसैंट’। पुलिस गैरी को लगातार फॉलो कर रही थी और गैरी पुलिस के आगे-आगे भाग रहा था। 

बताने योग्य है कि जिस कमरे से गैरी का शव बरामद किया गया, गैरी ने उस होटल में यह कहकर कमरा लिया था कि उसके साथी पीछे आ रहे है और वह आकर पैसे चुकाएंगे। सुबह गैरी ने एक कप चाय ली और उसके बाद कमर बंद कर लिया। शाम तक जब वह बाहर नहीं निकला तो होटल प्रबंधन ने कमरे में झांका तो गैरी का शव पंखे से झूल रहा था। तालाशी के दौरान गैरी की जेब से पुलिस ने मात्र 40 रुपए बरामद किए थे, जिसके बाद पुलिस के हाथ प्रो. सुखप्रीत अपहरण कांड में फिर से खाली हो गए थे। अब प्रो. सुखप्रीत अपहरण कांड कुछ दिनों बाद एक पहेली बनकर रह जाएगा। पुलिस इस फाइल को क्लोज कर देगी और इस बात का खुलासा कभी भी नहीं हो सकेगा कि प्रो. सुखप्रीत कैसे गायब हुई और वह जिंदा है या उसे मार दिया गया था।

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