Edited By swetha,Updated: 20 Jun, 2018 04:23 PM
केबल का सैटअप बाक्स ठीक करने को लेकर हुई खूनी झड़प के दौरान मारे गए बाप-बेटे धर्मवीर सिंह व गगनदीप सिंह के किसी भी हत्यारे को अभी तक गिरफ्तार नहीं किया जा सका। आज 4 दिन बीत जाने के उपरांत भी जिला पुलिस हत्यारोपियों का सुराग तक नहीं निकाल पाई है।
अमृतसर(संजीव): केबल का सैटअप बाक्स ठीक करने को लेकर हुई खूनी झड़प के दौरान मारे गए बाप-बेटे धर्मवीर सिंह व गगनदीप सिंह के किसी भी हत्यारे को अभी तक गिरफ्तार नहीं किया जा सका। आज 4 दिन बीत जाने के उपरांत भी जिला पुलिस हत्यारोपियों का सुराग तक नहीं निकाल पाई है।
विडम्बना यह है कि पिता-पुत्र के इस डबल मर्डर में हत्या आरोपियों की पहचान तक होने के बावजूद पुलिस आज भी वही पुराना दावा कर रही है कि विशेष टीमें छापामारी में जुटी हुई हैं और बहुत जल्द हत्यारोपियों को सलाखों के पीछे कर दिया जाएगा। सूत्रों की मानें तो पुलिस इस डबल मर्डर में एक-आध आरोपी को मामले से बाहर भी निकाल सकती है, मगर कोई भी अधिकारी इस पर बोलने को तैयार नहीं है। बताने योग्य है कि थाना बी-डिवीजन की पुलिस ने पिता-पुत्र के इस डबल मर्डर में प्रेमप्रीत सिंह उर्फ प्रिंस, हरदीप सिंह, मनप्रीत सिंह निवासी टाहली वाला चौक व रेशम सिंह निवासी गुरु नानक पुरा के विरुद्ध केस दर्ज किया था।
क्या था मामला?
सुल्तानविंड रोड स्थित टाहली वाला चौक में महंगा सिंह नाम से चल रहे केबल के दफ्तर में मनप्रीत सिंह उर्फ पिं्रस काम करता था। केबल दफ्तर के साथ लगती गली के रहने वाले प्रेमप्रीत सिंह उर्फ पिं्रस ने केबल बाक्स ठीक करने की शिकायत लिखवाई। जब बाद दोपहर तक केबल बाक्स ठीक न हुआ तो आरोपी पिं्रस दोबारा केबल दफ्तर पहुंचा और केबल आप्रेटर के कर्मचारी पिं्रस के साथ झगड़ा करने लगा। दोनों में चल रही बहस इस कदर बढ़ गई कि दोनों ने अपने साथियों को बुला लिया। एक तरफ केबल आप्रेटर के भाई व पिता मौके पर आ गए।
वहीं दूसरी ओर आरोपी पिं्रस के साथियों ने उन पर हमला कर दिया। इस दौरान केबल आप्रेशन के कर्मचारी पिं्रस का भाई गगनदीप सिंह गंभीर रूप से घायल हुआ और घटना स्थल पर ही दम तोड़ गया, जबकि गगनदीप का पिता धर्मवीर अपने बेटे को बचाता हुआ बुरी तरह से घायल हो गया जिसे उपचार के लिए अस्पताल में भर्ती करवाया गया था। जहां घटना के अगले दिन धर्मवीर ने भी दम तोड़ दिया था।
समय रहते अगर पुलिस तुरंत कार्रवाई कर आरोपियों को घटना के चंद घंटों में ही गिरफ्तार कर लेती तो आज न तो 4 दिन बीतते और न ही पुलिस की विशेष टीमों को कड़ी मशक्कत करनी पड़ती। मगर पुलिस क्यों आरोपियों को उसी समय गिरफ्तार नहीं कर पाई और उन्हें शहर छोड़ जाने का मौका दिया। यह उच्च अधिकारियों के लिए एक विशेष जांच का विषय है।