Edited By swetha,Updated: 08 May, 2018 12:52 PM
सात फेरों के वचनों को निभाने में महिलाएं कभी भी पीछे नहीं हटती । इन वचनों को निभाने के लिए चाहे उन्हें अपनी जिंदगी चाहे दांव पर क्यों न लगानी पड़े। इसका ताजा उदाहरण गुरुनानक देव अस्पताल में देखने को मिला। दरअसल,अस्पताल में किडनी ट्रांसप्लांट कमेटी...
अमृतसरः सात फेरों के वचनों को निभाने में महिलाएं कभी भी पीछे नहीं हटती । इन वचनों को निभाने के लिए चाहे उन्हें अपनी जिंदगी चाहे दांव पर क्यों न लगानी पड़े। इसका ताजा उदाहरण गुरुनानक देव अस्पताल में देखने को मिला। दरअसल,अस्पताल में किडनी ट्रांसप्लांट कमेटी की बैठक में जालंधर, कपूरथला व गुरदासपुर से संबंधित 4 मरीज पहुंचे। खास बात यह थी कि इनमें से 3 मरीजों को पत्नियों व एक बहन अपने भाई को किडनी देने के लिए राजी थी।
गुरदासपुर निवासी जतिंदर सिंह की दोनों किडनियां फेल हैं। अब तक उनका डायलिसिस होता रहा। डॉक्टर ने किडनी ट्रांसप्लांट की सलाह दी थी। भाई को तिल—तिल देखकर बहन शिखा परमार (44) निवासी काहनूवाल गुरदासपुर किडनी देने को सहर्ष तैयार हो गई। किडनी कमेटी के सम्मुख प्रस्तुत हुई शिखा ने कहा कि वह अपने भाई कि जिंदगी बचाना चाहती है। चूंकि वह विवाहित है, इसलिए कमेटी ने उससे पूछा कि किडनी देने के बाद निकट भविष्य में उसे कई प्रकार के कठिनाइयों का सामना करना पड़ सकता है, पर वह अपनी बात पर अडिग रही। शिखा के ससुराल पक्ष की सहमति जानी गई, उन्होंने भी इसका समर्थन किया। कमेटी ने तमाम औपचारिकताएं पूरी करने के बाद किडनी ट्रांसप्लांट की अनुमति दे दी।
इसी प्रकार कपूरथला के गांव घनिएके निवासी बलबीर सिंह (40) को किडनी देने के लिए उनकी धर्मपत्नी राजबीर कौर आगे आईं। राजबीर ने कहा कि पति को पहले की तरह हंसते-मुस्कुराते हुए देखना चाहती है। पुलिस वैरीफिकेशन की रिपोर्ट देखने के बाद कमेटी ने इस केस पर भी स्वीकृति की मुहर लगा दी। जालंधर के गांव चिट्टी निवासी इकबाल सिंह(34) के लिए उनकी पत्नी आशा ही रक्षक बनकर सामने आई। असल में सात फेरे लेते वक्त पति अपनी पत्नी की रक्षा करने का संकल्प लेता है, पर राजबीर कौर व आशा ने अपने-अपने पतियों की जिंदगी बचाने की बात कहकर पत्नी धर्म निभा दिया। किडनी कमेटी के सम्मुख जालंधर के अमन नगर न्यू मॉडल हाउस निवासी 26 वर्षीय एलबर्ट सागर नामक युवक भी पहुंचा। उसकी दोनों किडनियां फेल हैं।