इंकम टैक्स विभाग की सर्जिकल स्ट्राइक,बेनामी संपत्तियों में अमृतसर बना नंबर वन

Edited By Ravneet kaur,Updated: 11 Sep, 2018 11:14 AM

income tax department

पहले नोटबंदी और उसके बाद जी.एस.टी. लागू करने के साथ केन्द्रीय वित्त मंत्रालय की तरफ से नोटबंदी के साथ ही बेनामी एक्ट 2016 भी पूरे देश में लागू कर दिया गया। वित्त मंत्री अरुण जेतली के आदेशों का पालन करते हुए इंकम टैक्स विभाग के बेनामी

अमृतसर(नीरज): पहले नोटबंदी और उसके बाद जी.एस.टी. लागू करने के साथ केन्द्रीय वित्त मंत्रालय की तरफ से नोटबंदी के साथ ही बेनामी एक्ट 2016 भी पूरे देश में लागू कर दिया गया। वित्त मंत्री अरुण जेतली के आदेशों का पालन करते हुए इंकम टैक्स विभाग के बेनामी विंग ने देश के कुछ बड़े राज्यों में रेड व अन्य सर्वे किए, लेकिन हैरानीनजक पहलू यह सामने आया है कि बेनामी संपत्तियों के मामले में अमृतसर जिला पूरे उत्तर भारत में नंबर वन रैंक पर आ गया है। 

इंकम टैक्स विभाग के बेनामी विंग से मिले आंकड़ों के अनुसार अमृतसर जिले में इंकम टैक्स विभाग की तरफ से अभी तक करीब 106 बेनामी संपत्तियां टे्रस की जा चुकी है जिसमें से 80 से ज्यादा संपत्तियां अकेले लौहरका रोड पर ही पकड़ी गई हैं। रियल एस्टेट सैक्टर में बेनामी संपत्तियों की बात करें तो यह संभावना जताई जा रही थी कि पंजाब में मोहाली व पंचकूला जैसे इलाकों और नोएडा में बेनामी संपत्तियां होने की संभावना ज्यादा थी। क्योंकि इन इलाकों में बहुत बड़े पैमाने पर कालोनियां व फ्लैट काटे गए हैं, लेकिन इसके विपरीत अमृतसर जैसे जिले में बेनामी संपत्तियों ने विभाग के सभी रिकार्ड ही तोड़ दिए। इसके लिए वित्त मंत्रालय की तरफ से भी अमृतसर इंकम टैक्स कमिश्नरेट की टीम की प्रशंसा की गई है। 

चाय वाले पर भी की गई 2 बार रेड
बेनामी संपत्तियों के मामले में वह चाय वाला भी इंकम टैक्स विभाग में बहुत मशहूर हो चुका है जिसके नाम पर करोड़ों रुपए की जमीन उसके मालिक ने करवा रखी थी, लेकिन वह विभाग के शिकंजे में आ गया। इस चाय वाले पर विभाग की तरफ से 2 बार रेड की जा चुकी है। हर बार विभाग को इस चाय वाले के पास से कुछ न कुछ नया ही मिलता है। 

राइस मिलर्स से रियल एस्टेट कारोबारी बनने वाले व्यापारी से हुई शुरूआत
इंकम टैक्स विभाग की तरफ से लौहारका रोड व अन्य कालोनियों में बेनामी संपत्तियां ट्रेस किए जाने की शुरूआत अमृतसर के एक राइस मिलर्स से होती है जो राइस मिलर से रियल एस्टेट कारोबारी बन गया और उसने अपने कर्मचारियों व अन्य रिश्तेदारों के नाम पर दर्जनों बेनामी संपत्ति की खरीद की, लेकिन इंकम टैक्स विभाग की तरफ से की गई एक रेड में विभाग को उसके पास से कुछ ऐसे महत्वपूर्ण दस्तावेज हाथ लग गए जिससे बेनामी संपत्तियों का सिलसिला शुरू हो गया। यह सिलसिला ऐसा शुरू हुआ कि अभी तक चल रहा है।

स्कूल मालिक भी बने प्रॉपर्टी डीलर
किसी जमाने में स्कूल को शिक्षा का मन्दिर कहा जाता था, लेकिन कुछ लोगों ने शिक्षा के मन्दिर को कारोबार बना लिया है। कुछ ऐसे ही शिक्षा का कारोबार करने वाले स्कूल मालिकों ने स्कूल चलाने के साथ प्रॉपर्टी का कारोबार शुरू कर दिया, लेकिन पकड़े गए। इंकम टैक्स विभाग की तरफ से ट्रेस की गई बेनामी संपत्तियों में कुछ स्कूल मालिकों की भी करोड़ों रुपए की बेनामी संपत्तियां पकड़ी जा चुकी हैं। हालांकि ऐसे लोगों का नाम इंकम टैक्स विभाग को सार्वजनिक करना चाहिए ताकि जनता को पता चल सके कि कैसे देश का काला धन कुछ लोगों के हाथों में सिमटकर रह गया है।

32 कारोबारियों पर एक साथ की गई रेड में भी फंसे कुछ कालोनाइजर्स
इंकम टैक्स विभाग की तरफ से हाल ही में अमृतसर जिले के 32 कारोबारियों के प्रतिष्ठानों पर एक साथ रेड की गई थी, लेकिन इस रेड में भी कुछ बड़े कालोनाइजर्स ही विभाग के शिकंजे में फंसे हैं। यह कालोनाइजर्स दिल्ली के बड़े धन्ना सेठों के रुपए अमृतसर की कालोनियों में इनवैस्ट करवा चुके थे। इस मामले में भी विभाग को करोड़ों रुपए कैश, करोड़ों की ज्वैलरी, 30 से ज्यादा बैंक लॉकर्स के अलावा कुछ बड़ी ट्रांजैक्शन हाथ लगी हैं, जिसमें आने वाले दिनों में कुछ बड़े कालोनाइजर्स बेनामी के दायरे में आ सकते हैं।

सिर्फ लौहरका रोड पर ही क्यों पकड़ी गई बेनामी संपत्तियां
इंकम टैक्स विभाग की तरफ से पकड़ी गई बेनामी संपत्तियों में सबसे ज्यादा संपत्तियां लौहारका रोड में पकड़ी गई है। अब सवाल यह पैदा होता है कि आखिरकार लौहारका रोड पर ही बेनामी संपत्तियां क्यों पकड़ी गईं। इसकी गहनता के साथ जांच के बाद पता चला है कि लौहारका रोड पॉश इलाके रणजीत एवैन्यू से बिल्कुल नजदीक है। रणजीत एवैन्यू व लौहरका रोड में सिर्फ बीच में आती जी.टी. रोड का ही फर्क है। रणजीत एवैन्यू में जमीन के दाम प्रति गज 30 हजार रुपए से लेकर 1 लाख रुपए तक हैं, जबकि लौहारका रोड में जमीन के दाम 5 हजार रुपए प्रति गज से लेकर 10 व 15 हजार रुपए प्रति गज या इससे ज्यादा हैं। यही कारण है कि कालोनाइजर्स ने लौहारका रोड में एक दर्जन से ज्यादा बड़ी कालोनियों का निर्माण कर दिया, जिसमें कुछ कालोनियां तो 100 एकड़ से ज्यादा रकबे में फैली हुई हैं।

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