आई.सी.पी. अटारी के आयात-निर्यात को खोखला कर रहा बार्टर ट्रेड

Edited By swetha,Updated: 25 Jun, 2018 10:46 AM

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केन्द्र की पूर्व यू.पी.ए. सरकार की तरफ से जम्मू-कश्मीर में शुरू किया गया बार्टर ट्रेड आतंकवादियों का पालन-पोषण करने के साथ-साथ अमृतसर स्थित आई.सी.पी. अटारी बार्डर के जरिए भारत-पाकिस्तान के बीच होने वाले आयात-निर्यात को भी खोखला कर रहा है क्योंकिइस...

अमृतसर(नीरज): केन्द्र की पूर्व यू.पी.ए. सरकार की तरफ से जम्मू-कश्मीर में शुरू किया गया बार्टर ट्रेड आतंकवादियों का पालन-पोषण करने के साथ-साथ अमृतसर स्थित आई.सी.पी. अटारी बार्डर के जरिए भारत-पाकिस्तान के बीच होने वाले आयात-निर्यात को भी खोखला कर रहा है क्योंकिइस बार्टर ट्रेड की आड़ में उन प्रतिबंधित वस्तुओं का भी आयात-निर्यात किया जा रहा है जो आई.सी.पी. अटारी के रास्ते आयात-निर्यात नहीं की जा सकती हैं। एन.आई.ए (राष्ट्रीय सुरक्षा एजैंसी) की तरफ से पिछले वर्ष दौरान 3 महीने की गई जांच के बाद भी रिपोर्ट में 1 हजार करोड़ की टैरर फंङ्क्षडग का जम्मू-कश्मीर बार्टर ट्रेड में खुलासा हो चुका है, लेकिन देश की सबसे बड़ी एजैंसी की रिपोर्ट के बाद भी पी.एम.ओ. (प्राइम मिनीस्टर ऑफिस) नहीं जाग रहा है। 

आधिकारिक रूप से जम्मू-कश्मीर के बार्टर ट्रेड को बंद करने का ऐलान नहीं किया जा रहा है। हालांकि सुरक्षा एजैंसियों की तरफ से पूरी सख्ती जरूर की जा रही है और अस्थायी तौर पर इस बार्टर ट्रेड को कुछ समय के लिए बंद भी किया गया, लेकिन राजनीतिक दखलअंदाजी के चलते इस बार्टर ट्रेड को फिर से शुरू कर दिया गया लेकिन मौजूदा समय में अब केन्द्र की मोदी सरकार के पास मौका है इस बार्टर ट्रेड को बंद करने का क्योंकि इस समय महबूबा के साथ गठबंधन टूट चुका है और किसी प्रकार का राजनीतिक दबाव भी नहीं है। 

पिछले 8 वर्षों से इस बार्टर ट्रेड को बंद करने के लिए कानूनी लड़ाई लड़ रहे व्यापारी पी.एम.ओ. दफ्तर की इस लापरवाही से नाराज हैं और मांग कर रहे हैं कि इस बार्टर ट्रेड को अब पहल के आधार पर तुरंत बंद कर दिया जाए क्योंकि इस ट्रेड की आड़ में हो रहा हवाला आतंकवादियों का पालन-पोषण तो कर ही रहा है, वहीं देश की अर्थव्यवस्था के साथ-साथ आई.सी.पी. अटारी बार्डर के रास्ते होने वाले भारत-पाकिस्तान व अफगानिस्तान के कारोबार को भी खोखला कर रहा है। व्यापारियों की मांग है कि इस बार्टर ट्रेड को बंद करने के साथ-साथ उन लोगों पर भी कार्रवाई की जाए जो इस ट्रेड में काम कर रहे थे। एन.आई.ए. की जांच के बाद दर्जनों अलगाववादी नेता तो पकड़े ही जा चुके हैं लेकिन उन व्यापारियों के खिलाफ भी कानूनी कार्रवाई होनी चाहिए जो चकान दा बाग (जम्मू-कश्मीर) व स्लामाबाद के बार्टर ट्रेड में काम कर रहे थे। व्यापारियों का कहना है कि जम्मू-कश्मीर के बार्टर ट्रेड को बंद करने से आतंकियों को मिलने वाली फंङ्क्षडग बंद हो जाएगी।

क्या है जम्मू-कश्मीर का बार्टर ट्रेड
जम्मू-कश्मीर के बार्टर ट्रेड के बारे में बताते चलें कि केन्द्र की पूर्व यू.पी.ए. सरकार की तरफ से पाकिस्तान के साथ दोस्ताना हाथ बढ़ाते हुए पी.ओ.के. (पाकिस्तान कब्जे वाले कश्मीर) व भारतीय जम्मू-कश्मीर के लोगों के बीच वहां की लोकल पैदा होने वाली वस्तुओं व  उत्पादित वस्तुओं का आपसी आयात-निर्यात करने के लिए चक्कान  दा बाग (जम्मू-कश्मीर) व स्लामाबाद (जम्मू-कश्मीर) बार्डर के  जरिए बार्टर ट्रेड शुरू किया गया। जैसे दोनों तरफ पैदा होने वाले सेब का आयात निर्यात, शॉल्स व अन्य ऐसी वस्तुएं जो कश्मीर के इलाकों में बनाई जाती हैं या पैदा होती हैं। 


हालांकि इस समय पूरी दुनिया में कहीं भी बार्टर ट्रेड नहीं चल रहा है, लेकिन इस बार्टर ट्रेड की आड़ में ऐसी वस्तुओं का भी आयात-निर्यात शुरू हो गया जोकि जम्मू-कश्मीर में पैदा ही नहीं होती थी। भारी मात्रा में हवाला शुरू हो गया क्योंकि इसमें व्यापारियों को रुपए के जरिए या बैंक के जरिए भुगतान नहीं करना होता है बल्कि आयात की गई वस्तु की कीमत की दूसरी वस्तु निर्यात करनी होती है। इस बार्टर ट्रेड की आड़ में कुछ महीने बाद ही जम्मू-कश्मीर के पत्थरबाजों से लेकर आतंकवादियों तक को फंङ्क्षडग होनी शुरू हो गई। आई.सी.पी. अटारी अमृतसर के जरिए होने वाला आयात-निर्यात भीप्रभावित होना शुरू हो गया क्योंकि अमृतसर सहित पंजाब व दिल्ली के कई व्यापारियों ने भी जम्मू-कश्मीर के बार्टर ट्रेड सिस्टम में काम करना शुरू कर दिया, क्योंकि यहां पर कस्टम ड्यूटी नहीं देनी पड़ती है। हालांकि ऐसे व्यापारियों को बाद में काफी नुक्सान भी उठाना पड़ा।

पाकिस्तान की गलत नीतियों से कम हुआ निर्यात
आज भारत व पाकिस्तान के बीच आई.सी.पी. अटारी अमृतसर में सड़क मार्ग के रास्ते अरबों रुपए की कीमत की वस्तुओं की आयात-निर्यात हो रहा है, जिसमें पाकिस्तान से अफगानिस्तान का ड्राईफ्रूट, पाकिस्तानी सीमैंट, जिप्सम, रॉक साल्ट आदि आयात किया जा रहा है और पाकिस्तान को भी सब्जियों, कॉटन आदि का निर्यात किया जाता रहा है। हालांकि इस समय पाकिस्तान की गलत नीतियों के चलते पाकिस्तान को निर्यात बिल्कुल कम हो गया है।

आई.सी.पी. अटारी के आयात-निर्यात से कस्टम विभाग कोकरोड़ों रुपए की ड्यूटी भी मिलती है जो इस समय आई.जी.एस.टी. का रूप ले चुकी है। आयात से मिलने वाले रैवेन्यू से अर्थव्यवस्था मजबूत होती है और देश के विकास कार्यों में इसको लगाया जाता है लेकिन जम्मू-कश्मीर के बार्टर ट्रेड ने आई.सी.पी. के कारोबार को भी खोखला करना शुरू कर दिया है। बिना कस्टम ड्यूटी दिए ही बार्टर ट्रेड के जरिए आयात-निर्यात चल रहा है। 8 सौ रुपए किलो वाली अमरीकन गिरी बार्टर ट्रेड में सौ रुपए किलो के दाम से आ रही है और केला जोकि आई.सी.पी. के जरिए पाकिस्तान को निर्यात नहीं किया जा सकता वह भी पाकिस्तान को भेजना शुरू कर दिया गया, जिससे आई.सी.पी. के जरिए काम करने वाले व्यापारियों को नुक्सान होने लगा।

इंडो-फोरन चैंबर ने दिल्ली हाईकोर्ट में किया था केस
पूर्व यू.पी.ए. सरकार की इस लापरवाही के बारे में सभी व्यापारिक संस्थाओं की तरफ से आवाज उठाई जाती रही। यहां तक केन्द्र में यू.पी.ए. सरकार के पतन के बाद मोदी सरकार भी आ गई, लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई। अंत में अमृतसर के प्रमुख्र व्यापारिक संस्था इंडो-फोरन चैंबर की तरफ से दिल्ली हाईकोर्ट में सरकार के खिलाफ केस किया गया और सरकार ने रिएक्शन लेते हुए एन.आई.ए. को इस मामले की जांच करने के आदेश दे दिए व्यापारियों की तरफ से जो दावा किया गया था वह सच साबित हुआ है और आज एन.आई.ए. ने अपनी जांच रिपोर्ट में खुलासा कर दिया है कि इस बार्टर ट्रेड की आड़ में 1 हजार करोड़ की टैरर फंङ्क्षडग जिसको हवाला कहा जा सकता है, हो रही थी। यह रिपोर्ट पी.एम.ओ. ऑफिस में पहुंच चुकी है लेकिन अभी तक पी.एम.ओ. ऑफिस की तरफ से इस बार्टर ट्रेड को बंद करने के लिए ऐलान नहीं किया जा रहा है जबकि केन्द्र सरकार को राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़े इस महत्वपूर्ण मुद्दे पर तुरंत एक्शन लेना चाहिए।

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