गोल्ड स्मगलिंगःकस्टम विभाग के शिकंजे से बाहर है SGRD एयरपोर्ट का मास्टमाइंड

Edited By swetha,Updated: 18 Mar, 2019 10:41 AM

gold smuggling

आई.सी.पी. अटारी बार्डर पर अफगानिस्तान से आयातित सेब की पेटियों में पकड़े गए 33 किलो सोने के मास्टरमाइंड अफगानी किंगपिन आदिल को तो कस्टम विभाग ने लंबी जांच के बाद गिरफ्तार कर लिया है लेकिन एस.जी.आर.डी. एयरपोर्ट में गोल्ड स्मगलिंग करने वाला किंगपिन...

अमृतसर(नीरज): आई.सी.पी. अटारी बार्डर पर अफगानिस्तान से आयातित सेब की पेटियों में पकड़े गए 33 किलो सोने के मास्टरमाइंड अफगानी किंगपिन आदिल को तो कस्टम विभाग ने लंबी जांच के बाद गिरफ्तार कर लिया है लेकिन एस.जी.आर.डी. एयरपोर्ट में गोल्ड स्मगलिंग करने वाला किंगपिन अभी तक कस्टम विभाग के शिकंजे  में नहीं आ सका है। 

हालत यह है कि 15 किलो सोने के बाद एक बार फिर से बेंगलुरु से अमृतसर आए यात्री प्लेन के अन्दर सीट के नीचे से कस्टम विभाग ने डेढ़ किलो सोने सहित कैरियर (सोना ले जाने वाला तस्कर) को तो पकड़ लिया है, लेकिन इसका आका अभी तक फरार चल रहा है । एक यात्री प्लेन के अन्दर डेढ़ किलो सोना सीट के नीचे छिपाए जाने का मामला सामने आने के बाद एक बार फिर से राष्ट्रीय सुरक्षा पर भी सवाल खड़े हो गए हैं। यदि प्लेन के अन्दर सोना ले जाया जा सकता है तो पिस्टल या ए.के. 47 भी ले जाई जा सकती है।

 इससे पहले श्री गुरु रामदास इंटरनैशनल एयरपोर्ट पर डी.आर.आई. (डायरैक्टोरेट ऑफ रैवेन्यू इंटैलीजैंस)की टीम ने दुबई से अमृतसर आई फ्लाइट में सवार दंपति की सीट के नीचे 15 किलो सोना जब्त किया था । इस खेप को भी प्लेन की सीट के नीचे छिपाया गया था इस मामले में भी डी.आर.आई. की टीम कैरियर तरनजीत सिंह उर्फ राजू को तो गिरफ्तार कर पाई, लेकिन गोल्ड स्मगलिंग का किंगपिन न तो डी.आर.आई. और न ही अभी तक कस्टम विभाग के हाथ लग पाया है। आखिरकार ऐसा क्या है कि गोल्ड स्मगलिंग करने वाला किंगपिन सुरक्षा एजैंसियों के हाथ नहीं आ रहा है।

गोल्ड स्मगलर कर सकते हैं 9/11
जिस प्रकार से गोल्ड स्मगलर एक इंटरनैशनल फ्लाइट में सवार यात्री की सीट के नीचे 15 किलो सोना और लोकल फ्लाइट में सीट के नीचे डेढ़ किलो सोना रख सकते हैं उससे देश की सुरक्षा पर भी सवाल खड़े हो चुके हैं यदि यात्री सीट के नीचे 15 किलो सोना रखा जा सकता है तो हथियार या आर.डी.एक्स.भी छिपाया जा सकता है जिससे कभी अमरीका की भांति भारत में भी 9/11 किया जा सकता है। इस केस में दुबई व भारतीय सुरक्षा एजैंसियों के साथ भी जोड़ा जा सकता है। आए दिन एस.जी.आर.डी. एयरपोर्ट पर सोने की खेप पकड़े जाने के बाद कस्टम विभाग की कुछ काली भेड़ें भी चर्चा में हैं। एक बार फिर से कस्टम विभाग का डॉग हैंडलर पॉल व पहलवान का नाम चर्चा में है जिनको डी.आर.आई.व खुद कस्टम विभाग की टीम ने ही सोने की खेप के साथ रंगे हाथों गिरफ्तार किया था। दुबई एयरपोर्ट पर प्लेन की साफ-सफाई करने वाला स्टॉफ तो जांच के दायरे में है ही, वहीं इस मामले में एस.जी.आर.डी एयरपोर्ट पर प्लेन की साफ सफाई, कचरा उठाने वाला स्टॉफ भी जांच के घेरे में आ गया है क्योंकि गिरफ्तार किए गए दंपति खुद सीट के नीचे से सोना नहीं निकाल सकते हैं इसको यात्रियों के उतर जाने के बाद ही निकाला जा सकता है और यह काम एयरपोर्ट पर तैनात कोई न कोई कर्मचारी ही कर सकता है। लेकिन जिस प्रकार से 15 किलो सोने का केस ठंडे बस्ते में जा चुका है और दोबारा यात्री सीट के नीचे डेढ़ किलो सोना आ जाता है वह साबित करता है कि गोल्ड स्मगलरों के हाथ कहां तक मजबूत हैं।

कोफेपुसा के बावजूद दुबई पहुंच गया था तरनजीत सिंह राजू
अमृतसर एयरपोर्ट पर 15 किलो सोने की सबसे बड़ी खेप पकड़े जाने के मामले में रंगे हाथों गिरफ्तार किया गया तरनजीत सिंह उर्फ राजू अमृतसर का निवासी था और 22 वर्ष पहले मोबाइलों की स्मगलिंग के मामले में पकड़ा गया था और वह दिल्ली फरार हो गया जहां उस पर कोफेपुसा लगा दिया गया। कोफेपुसा लगने के बाद आरोपी व्यक्ति देश नहीं छोड़ सकता है और इमीग्रेशन में पकड़ा जाता है ।  सुरक्षा एजैंसियों की इससे बड़ी लापरवाही और क्या हो सकती है कि कोफेपुसा लगने के बावजूद वह दुबई पहुंच गया और वहां से फिर 15 किलो सोने की खेप लेकर अमृतसर आ गया लेकिन पकड़ा गया। डी.आर.आई.ने फिर से राजू पर कोफेपुसा लगा दिया है।  उसको जेल भेज दिया है लेकिन इस गोल्ड स्मगलिंग का किंग-पिन अभी भी शिकंजे से दूर है।
 
सोने की तस्करी रोकने में माहिर कुछ अधिकारियों से पता चला है कि सोने की तस्करी करने वालों को एक किलो सोने के पीछे डेढ़ से 2 लाख रुपए तक की बचत होती है लेकिन पकड़े जाने के एवज में करोड़ों रुपए का नुक्सान भी तय होता है लेकिन गोल्ड माफिया इतना शातिर है कि बार-बार पकड़े जाने पर भी गोल्ड स्मगलिंग बंद नहीं करता है। इसमें दुबई व अन्य देशों में सोना लाने वाले कुरियरों को भी 50 हजार देना होता है। मुख्य रूप से दिल्ली व मुंबई जैसे बड़े मैट्रोपोलिटिन सिटीज में बड़े स्तर पर गोल्ड की स्मगलिंग की जाती है लेकिन सख्ती होने के बाद अमृतसर जैसे छोटे एयरपोर्टर्स की तरफ भी गोल्ड स्मगलर अपना रूख कर लेते हैं।

एयरपोर्ट के टॉयलेट में पड़ा करोड़ों का लावारिस सोना किसका?
हवाई जहाज में सवार होकर दुबई व अन्य देशों से अमृतसर आने वाले यात्रियों से तो सोना पकड़ा ही जा रहा है, वहीं एस.जी.आर.डी. एयरपोर्ट के टॉयलेट से जब्त किए गए करोड़ों रुपयों के लावारिस सोने के मालिक का आज तक पता नहीं चल सका है। हालांकि इस मामले में भी एयरपोर्ट पर ही तैनात किसी न किसी कर्मचारी की मिलीभगत होने की चर्चा रही है किसी अरब देश से आया सोना सभी सुरक्षा एजैंसियों की आंखों में धूल झोककर टॉयलेट तक कैसे पहुंच गया और टॉयलेट के वॉटर टैंक में उसको किसने छिपाया और कैसे उसको निकाला जाना था। यह सब सवाल आज तक पहेली बने हुए हैं लेकिन इस मामले में भी यह साबित रहा कि कोई न कोई कर्मचारी इस गौरखधंधे में शामिल है।

प्लेन तक पहुंच जाता था कस्टम विभाग का डॉग हैंडलर पॉल
अमृतसर एयरपोर्ट पर सोने की खेप के साथ पकड़े गए कस्टम विभाग के मुअत्तिल हो चुके कर्मचारी डॉग हैंडलर पॉल की बात करें तो वैसे तो पॉल का काम स्निफर डॉग के साथ सामान की चैकिंग आदि करना था लेकिन कुछ विभागीय अधिकारियों का सिर पर हाथ होने के कारण एक डॉग हैंडलर पॉल की इतनी पहुंच थी कि वह प्लेन तक भी पहुंच जाता था। पॉल को पकड़े जाने के बाद इस मामले में विभाग के ही कुछ अधिकारियों का नाम भी उछला था लेकिन विभागीय मिलीभगत के चलते इस मामले में अन्य अधिकारियों के नाम दबा दिए गए और अकेले पॉल पर ही सारी गाज गिर गई और पॉल को नौकरी से ही डिसमिस कर दिया गया। पॉल के पकड़े जाने के समय विभाग के एक इंस्पैक्टर का नाम काफी चर्चा में रहा था जिसको बाद में खुड्डे लाइन लगा दिया गया और तबादला कर दिया गया।  इसी प्रकार से विभाग के पहलवान से तो खुद विभाग के ही डी.सी. ने रेड करके सोना पकड़ लिया था जब वह सोने की खेप को अपनी कार में रखकर सवार होने लगा था। इस मामले में कुछ सुनारों को भी विभाग ने तलब किया था इस प्रकार के मामले कस्टम विभाग ट्रेस करता रहा लेकिन किंगपिन आज तक नहीं पकड़ा गया उल्टा गोल्ड स्मगलर आए दिन किसी न किसी नई तकनीक का प्रयोग करके स्मगलिंग करने का प्रयास करते हैं।  

प्राइवेट पार्ट में सोना छिपाकर स्मगलिंग के केस हुए कम
एयरपोर्ट पर गोल्ड स्मगलिंग के केसों की बात करें तो पता चलता है कि कुछ वर्ष पहले गोल्ड स्मगलर सोने की तस्करी के लिए अपने प्राइवेट पार्ट में सोना छिपाकर लाने में ज्यादा सुरक्षित महसूस करते थे हालांकि यह काम काफी कठिन व पीड़ादायक रहता था। जिस स्थान से मल निकलता है उसमें एक किलो सोना छिपाकर हवाई जहाज में यात्रा करना आसान काम नहीं होता है। इन हालात में प्राइवेट पार्ट में सोना छिपाने वाले कैरियर कुछ खाते पीते भी नहीं थे ताकि उनको मल्ल ना आए, लेकिन एस.जी.आर.डी.एयरपोर्ट पर तैनात कस्टम अधिकारियों ने गुदा में सोना छिपाकर लाने वाले कैरियरों को पकडऩे के इतने केस बना दिए कि कुरियरों ने प्राइवेट पार्ट में सोना छिपाकर स्मगलिंग करने का काम काफी कम कर दिया। मौजूदा हालात में सोने की तस्करी करने के हत्थकंडे बदल दिए गए हैं। आज अत्याधुुनिक तकनीक से सोने की तस्करी की जा रही है जिसमें सोने को पतली तारों के रुप में यात्री बैग या पर्स में छिपाया जाता है और माहिर लोग यह काम करते हैं। हर बार नई तकनीक का प्रयोग किया जाता है ताकि कस्टम विभाग व अन्य सुरक्षा एजैंसियों को चकमा दिया जा सके लेकिन सोना पकडऩे के दर्जनों केस पकड़े जाने के बाद भी इस गोल्ड स्मगलिंग का मास्टर माइंड पकड़ से दूर है।  

ए.पी.आई.एस. सिस्टम भी बुरी तरह से फेल
गोल्ड स्मगलरों को पकडऩे के लिए कस्टम विभाग को ए.पी.आई.एस. (एडवांस पैसेंजर्स इंफोर्मेशन सिस्टम) दिया गया है जिसमें विभाग को उन यात्रियों की एडवांस में सूचना मिल जाती है जो यात्री बार बार दुबई जैसे देशों की यात्रा करते हैं। एक व्यक्ति यदि महीने में 3 बार या इससे भी ज्यादा दुबई जाता है तो माना जा सकता है कि दाल में कुछ काला है। ऐसे लोग ए.पी.आई.एस. में ट्रेस हो जाते हैं लेकिन तस्करों ने भी इस सिस्टम को तोड़ते हुए हर बार नए कुरियर भेजने का काम शुरू कर दिया है जिससे ए.पी.आई.एस. सिस्टम पूरी तरह से सफल नहीं हो रहा है। कुछ विभागीय अधिकारियों की मिलीभगत भी तस्करों की मदद करती है।

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