धार्मिक स्थलों व चौक-चौराहों पर भीख मांगते हैं भिखारियों के गैंग

Edited By Vaneet,Updated: 20 Jan, 2020 11:57 AM

gangs of beggars begging at religious places and squares

जिला प्रशासन की तरफ से गुरु की नगरी श्री अमृतसर साहिब में भीख मांगने पर प्रतिबंध लगाया गया है ...

अमृतसर(नीरज): जिला प्रशासन की तरफ से गुरु की नगरी श्री अमृतसर साहिब में भीख मांगने पर प्रतिबंध लगाया गया है और भिखारियों के लिए रैनबसेरा बनाया गया है। वर्ष 2008 के दौरान तत्कालीन डिप्टी कमिश्नर काहन सिंह पन्नू की तरफ से बकायदा भिखारियों का पुनर्वास करने के लिए अभियान शुरू किया गया लेकिन मौजूदा हालात में यह अभियान बिल्कुल ही ठप्प नजर आ रहा है। आलम यह है कि प्रशासन की तरफ से चलाए जा रहे रैनबसेरा में इस समय सिर्फ 6 से 8  भिखारी ही बचे हैं। ज्यादातर भिखारी रैनबसेरा से भागकर फिर से भीख मांगने के काम में जुट गए हैं। यानि की धार्मिक स्थलों व चौक-चौराहों पर भिखारियों के गैंग भीख मांगते हैं।  
    
रैनबसेरा की बात करें तो इसमें रहने वाले बेसहारा लोगों व भिखारियों के लिए खाने-पीने की मुफ्त सुविधा, सेहत सुविधाएं, रहने सहने के सभी प्रबंध व मनोरंजन करने के लिए एल.ई.डी. टी.वी. तक लगा हुआ है लेकिन फिर भी ज्यादातर भिखारी इसमें रहकर खुश नहीं हैं। दूसरी तरफ जिला प्रशासन की तरफ से भी काफी समय से भिखारी पुर्नवास अभियान नहीं चलाया गया। इस अभियान के तहत तहसीलदार व अन्य अधिकारियों की निगरानी में एक विशेष टीम धार्मिक स्थलों, चौक चौराहों व सार्वजनिक स्थलों जैसे रेलवे स्टेशन व बस स्टैंड आदि में भीख मांगने वालों को उठाते थे और उनको रैनबसेरा में लाया जाता। लेकिन इस अभियान की तरफ मौजूदा अधिकारियों की तरफ से कोई ध्यान नहीं दिया जा रहा है।

मासूम बच्चों के हाथ पैर काटकर बना दिया जाता है भिखारी
महानगर के पॉश इलाकों में स्थित चौक-चौराहों के आसपास आजकल बुरी तरह से कटे हुए बच्चों से भीख मंगवाई जा रही है। कुछ अपराधी किस्म के लोग पिछड़े राज्यों से बच्चे अगवा करके या फिर खरीदकर उनके हाथ पैर काट देते हैं और फिर ऐसे बच्चों से भीख मंगवाने का काम शुरू कर देते हैं। प्रशासन व पुलिस को इन मासूम बच्चों के मामले की भी जांच करने की सख्त जरूरत है। आखिरकार इन बच्चों को भिखारियों के गैंग कहां से लेकर आ रहे हैं यह भी जांच का विषय है। भीख मांगने वाले बच्चों से जेबकतरने का काम भी इन अपराधी किस्म के भिखारियों की तरफ से करवाया जा रहा है। कुछ केसों में तो यह भी देखा गया है कि भीख मांगने वाले बच्चों को घरों में भीख मांगने के लिए भेजकर रैकी करवाई जाती है और फिर अमीर घरों में लूटपाट जैसी वारदात को अंजाम दिया जाता है।

डी.सी. पन्नू के समय किया गया था 800 भिखारियों का पुनर्वास
डी.सी. काहन सिंह पन्नू की तरफ से जब भिखारी पुनर्वास अभियान शुरू किया गया तो उस समय महानगर में भिखारियों की समस्या का एक विकराल रूप धारण कर चुकी थी। हर चौक चौराहे में भिखारियों के गैंग घूमते नजर आते थे लेकिन डी.सी. की तरफ से एस.डी.एम. रैंक के अधिकारियों की निगरानी में ड्यूटी मैजिस्ट्रेट्स की टीमें गठित की गई और 800 से ज्यादा भिखारियों को पकड़कर रैनबसेरा में लाया गया। इन भिखारियों को रेलवे व बसों के जरिए उनके संबंधित राज्यों व जिलों में रवाना किया गया। बकायदा गुजर बसर करने के लिए आर्थिक मदद भी की गई थी लेकिन मौजूदा समय में प्रशासनिक अधिकारियों ने अभियान की तरफ गंभीरता से काम करना ही बंद कर दिया, जबकि जिले की धार्मिक व सामाजिक संस्थाओं की तरफ से यह मांग की जा रही है कि अमृतसर को भिखारी मुक्त जिला बनाया जाए।

भिखारियों से सरकार की छवि होती है खराब
अमृतसर में श्री हरिमंदिर साहिब व अन्य धार्मिक स्थलों के दर्शन करने के लिए रोजाना 1 लाख से ज्यादा टूरिस्ट आते हैं, अटारी बार्डर पर होने वाली परेड देखने के लिए भी रोजाना 30 से 40 हजार टूरिस्ट आ रहे हैं। कुछ धार्मिक त्यौहारों के अवसर पर तो यह संख्या दोगुना तक हो जाती है ऐसे में श्री हरिमंदिर साहिब व अन्य धार्मिक स्थलों के आसपास भीख मांगने वाले भिखारियों के कारण ना सिर्फ सरकार की छवि खराब होती है बल्कि जिला प्रशासन की कारगुजारी पर भी सवाल खड़ा हो जाता है। प्रशासन की तरफ से भीख मांगने पर प्रतिबंध लगाए जाने के बावजूद भिखारियों के गु्रप घूमते नजर आते हैं जिससे देश-विदेश से आने वाले टूरिस्ट भी परेशान होते हैं।

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