मरीज से 10 हजार रुपए लेने का मामलाःजांच कमेटी ने डाक्टर को दी क्लीन चिट

Edited By Punjab Kesari,Updated: 27 Jun, 2018 11:11 AM

clean chit to doctor

गुरु नानक देव अस्पताल के मैडीकल सुपरिटैंडैंट और मीडिया की मौजूदगी में मरीज के इलाज के लिए 10 हजार रुपए लेकर वापस करने वाले डाक्टर को अस्पताल प्रशासन ने क्लीन चिट दे दी है। मैडीकल सुपरिटैंडैंट ने खुद उक्त मामले पर कोई सख्त कार्रवाई न करते मामले को...

अमृतसर (दलजीत): गुरु नानक देव अस्पताल के मैडीकल सुपरिटैंडैंट और मीडिया की मौजूदगी में मरीज के इलाज के लिए 10 हजार रुपए लेकर वापस करने वाले डाक्टर को अस्पताल प्रशासन ने क्लीन चिट दे दी है। मैडीकल सुपरिटैंडैंट ने खुद उक्त मामले पर कोई सख्त कार्रवाई न करते मामले को ठंडे बस्ते में डालने के लिए जांच कमेटी गठित कर साबित कर दिया है कि मरीजों का शोषण करने वाले डाक्टरों के साथ उनके भी हाथ मिले हुए हैं।
 

जानकारी के अनुसार कश्मीर सिंह (70) निवासी इंद्रा कालोनी, कोट खालसा दिल की बीमारी से पीड़ित था।  उसके पुत्र अमर सिंह ने मैडीकल सुपरिटैंडैंट डा. सुरिन्दरपाल, दिल के रोग के साथ संबंधित विभाग के प्रमुख डा. राजीव अरोड़ा और मीडिया की मौजूदगी में आरोप लगाए थे कि डा. अरोड़ा ने उसके पिता का इलाज करने के लिए उसे काफी परेशान किया है। उसने 10 हजार रुपए एक टीके के लिए उनसे लिए थे और बाद में शोर पडने पर उसने रुपए वापस कर दिए थे। मैडीकल सुपरिटैंडैंट के सामने भी डा. राजीव अरोड़ा ने माना था कि उन्होंने लिए पैसे वापस कर दिए हैं। मैडीकल सुपरिटैंडैंट ने सभी सबूत सामने होने के बावजूद मामले को ठंडे बस्ते में डालने के लिए जांच समिति गठित कर दी। समिति ने बनाई रिपोर्ट में स्पष्ट किया है कि जांच में डा. अरोड़ा के खिलाफ कोई भी आरोप साबित नहीं हुए हैं।

जिक्र योग्य है कि शिकायतकर्ता ने उस समय पर आरोप लगाए थे कि डा. अरोड़ा ने मरीज को दाखिल करने से पहले साफ कह दिया था कि 40-50 हजार का इंतजाम करो, फिर इलाज होगा। वह जब पैसे लेकर गए तो पहले डा. अरोड़ा ने मरीज को दाखिल करने के लिए उनसे काफी मिन्नतें मनवाई, फिर 10 हजार रुपए टीके के नाम पर लेकर मरीज को अपनी वार्ड में दाखिल कर लिया। जब उन्होंने  उसका बिल डाक्टर से मांगा तो  उसने उनको भला-बुरा कहते हुए मरीज को जबरन छुट्टी देने की धमकियां दीं और पी.जी.आई. जाकर इलाज करवाने को कहा। शिकायतकर्ता ने इसकी जानकारी आम आदमी पार्टी के नेता को भी दी। डाक्टर द्वारा माहौल गर्म होने पर पैसे तो वापस कर दिए, साथ ही मरीज का इलाज करने से भी इंकार कर दिया गया। जब मैडीकल सुपरिटैंडैंट ने डा. अरोड़ा को पीड़ित परिवार और मीडिया के सामने सवाल-जवाब किए तो डा. अरोड़ा ने माना कि उसने 10 हजार रुपए टीका लगाने के लिए लिए थे परन्तु बाद में वापस कर दिए थे। 

पहले भी विवादों में रह चुका है डा. अरोड़ा
दिल के रोग की बीमारियों से संबंधित विभाग के प्रमुख डा. राजीव अरोड़ा अक्सर ही विवादों में घिरे रहते हैं। मैडीकल सुपरिटैंडैंट पद पर रहे डा. राम स्वरूप शर्मा ने भी डा. अरोड़ा द्वारा इलाज के नाम पर इकठ्ठा किए कई मरीजों के पैसे वापस करवाए थे। कई समाज सेवक संगठनों द्वारा भी डा. अरोड़ा की कारगुजारी पर प्रश्न चिह्न भी लगाए गए थे। इसके अलावा सांसद गुरजीत सिंह औजला द्वारा अपनी छापामारी के दौरान कहा गया था कि डा. अरोड़ा मरीजों के सभी टैस्ट प्राइवेट करवा कर टीकों के नाम पर खुद पैसे इकठ्ठा करते हैं। उक्त विवादों में रहने के बावजूद न सरकार और न ही विभाग द्वारा उक्त डाक्टर के खिलाफ कोई कार्रवाई अमल में लाई गई।

साबित नहीं हुए आरोप
अस्पताल के मैडीकल सुपरिटैंडैंट डा. सुरिन्द्रपाल ने खुद कार्रवाई न करते हुए पीड़ित परिवार द्वारा डा. अरोड़ा के खिलाफ लिखित शिकायत देकर जो गंभीर आरोप लगाए थे, उसकी जांच के लिए मैडीसन विभाग के प्रमुख डा. शिवचरण के नेतृत्व में कमेटी गठन की थी। डा. शिवचरण ने बताया कि शिकायतकत्र्ता ने पेश होकर कहा कि वह मामले संबंधी कोई कार्रवाई नहीं करवाना चाहता। इसलिए रिपोर्ट बना कर कोई उचित तथ्य सामने न आने पर डा. अरोड़ा के खिलाफ कोई आरोप साबित नहीं हुए हैं। 

मैडीकल सुपरिटैंडैंट ने नहीं उठाया फोन
इस संबंध में जब मैडीकल सुपरिटैंडैंट डा. सुरिन्द्रपाल के साथ उनके मोबाइल नंबर पर कई बार संपर्क किया गया तो उन्होंने अपना फोन ही उठाना मुनासिब नहीं समझा, जबकि इसी तरह डा. राजीव अरोड़ा ने भी अपना फोन नहीं उठाया। 

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