Edited By Updated: 06 Apr, 2016 10:21 AM
क्रिकेट की दुनिया में स्पोर्ट्स मैनेजमैंट का काम करने वाले औशिम खेत्रपाल ने अपनी किताब में क्रिकेट से जुड़े कई खुलासे किए हैं। वे कहते हैं
चंडीगढ़ः क्रिकेट की दुनिया में स्पोर्ट्स मैनेजमैंट का काम करने वाले औशिम खेत्रपाल ने अपनी किताब में क्रिकेट से जुड़े कई खुलासे किए हैं। वे कहते हैं कि बात उन दिनों की है जब मैं मैच बेटिंग में लिप्त था। मुझे याद है जब मोहाली में भारत-पाकिस्तान का मैच था। मुझे दाऊद का फोन आया कि मोहाली की पिच खराब करने के लिए दलजीत (पिच क्यूरेटर) को बोलो। मैंने दाऊद को मना कर दिया, मुझे पता था की वह मुझे मरवा देगा।
1999 में मैच फिक्सिंग के आरोप में फंसे औशिम खेत्रपाल मंगलवार को चंडीगढ़ में अपनी जिंदगी पर आधारित किताब 'विजयी भव' को लॉन्च करने आए थे। उन्होंने कहा कि स्टीफन फ्लेमिंग और क्रिस लूईस को मैच फिक्स करने का मुझ पर इल्जाम चल रहा था, लेकिन इसी कांड ने मुझे बदल डाला था। इसके बाद मैं साई भक्त बन गया।
उन्होंने कहा कि उन्हें लगा कि पैसा किसी काम का नहीं होता अगर आप में किसी और चीज को लेकर विश्वास न हो। इसके बाद उन्होंने कसम खा ली कि मैच फिक्सिंग जैसे काम को छोड़ देंगे। उन्होंने अपनी किताब में लिखा है कि जब दाऊद के लिए काम करने के लिए उन्होंने मना किया को तो उन्हें लगा था कि दाऊद उन्हें मरवा देगा। लेकिन उन्होंने उससे कहा कि भाई आप भले ही मुझे मरवा दीजिए, लेकिन शायद मुझे बाबा ऐसा करने से मना कर रहे हैं।
औशिम बोले कि मैच फिक्सिंग का सारी बातें गलत थी। दरअसल, मैं स्टीफन फ्लेमिंग जब भारत में मैच करवाने पहुंचे थे तो मुझे वह अपना प्रवक्ता बनाना चाहते थे। उनके साथ इंग्लैंड के विकेट कीपर लुइस भी थे। मैं उनकी टीम के साथ भारत में एक बेनिफिशियल मैच करवाना चाहता था। किसी वजह से डील नहीं हो पाई और दोनों ने मुझ पर फिक्सिंग के आरोप लगाए। लेकिन आज मैं आजाद हूं। मैंने कुछ भी बुरा नहीं किया। आज मैं अध्यात्म का रास्ता अपना चुका हूं और बेटिंग पूरी तरह से छोड़ा चुका हूं।
औशिम खेत्रपाल पहले इंटरटेंनमेंट इंडस्ट्री में बिजनेसमैन थे और साथ में स्पोर्ट्स मैनेजमैंट का काम करते थे। इन्हें जगमोहन डालमिया का बहुत करीबी माना जाता था। लेकिन मैच फिक्सिंग में नाम आने के बाद इन्होंने स्पोर्ट्स मैनेजमैंट का काम छोड़ दिया और अब पिछले कुछ सालों ये अध्यात्मि गुरू हो गए हैं।