पीटर रेहड़ा-ट्रक हादसाः 5 परिवारों पर टूटा मुसीबतों का पहाड़

Edited By swetha,Updated: 29 May, 2018 04:13 PM

amritsar accident

पीटर रेहड़े में हुई भयानक सड़क हादसे ने 5 घरों के चिराग बुझाकर रख दिए। परिवार को जब यह बुरी खबर कानों में पड़ी तो चीखें शुरू हो गई। इस भयानक हादसे के दौरान मारे गए मृतकों की खबर से इलाका भी खामोश हो गया।

तरनतारन (रमन):पीटर रेहड़े में हुई भयानक सड़क हादसे ने 5 घरों के चिराग बुझाकर रख दिए। परिवार को जब यह बुरी खबर कानों में पड़ी तो चीखें शुरू हो गई। इस भयानक हादसे के दौरान मारे गए मृतकों की खबर से इलाका भी खामोश हो गया। मृतक मेहनत-मजदूरी करने वाले थे, जिनका घर का गुजारा होना अब बहुत मुश्किल होता नजर आ रहा है। हैरानी की बात है कि इन मृतकों के परिवार को माली सहायता के लिए प्रशासन की ओर से कोई ऐलान नहीं किया गया। 

हमें समय पर नहीं मिली एंबुलैंस 
मृतक गुरदेव सिंह (15) पुत्र बलविंदर सिंह के चाचा सरबजीत सिंह ने बताया कि उनका भतीजा भट्ठे पर कार्य करता था, जिसने अपना पीटर रेहड़ा डाला हुआ था, की जवानी भर में हुई मौत का मुख्य कारण उनको समय पर एंबुलैंस न मिलना है। उन्होंने आरोप लगाया कि हादसा होने के बाद गुरदेव सिंह जिस की हालत नाजुक थी, को एंबुलैंस से सिविल अस्पताल पट्टी लाया गया, परंतु इस अस्पताल के स्टाफ ने इलाज करने की बजाए गेट बंद कर लिए। उन्होंने आरोप लगाया कि अस्पताल में 2 एंबुलैंस मौजूद होने के बावजूद मरीज को अमृतसर लेकर जाने लिए उनको एंबुलैंस नहीं दी गई। बाद में दूसरे घायलों को ला रही कोई ओर 108 नंबर एंबुलैंस से गुरदेव सिंह को देरी से अमृतसर लाया गया, वहीं उसकी इलाज दौरान उसकी मौत हो गई। 

 मनाना था बच्चे का पहला जन्मदिन
 
हरजिंदर सिंह पुत्र मुख्तार सिंह निवासी गांव कैरों जो मेहनत मजदूरी करता था और वह अपने पीछे पत्नी मनजिन्द्र कौर, बेटी शगुनप्रीत कौर (3) और 9 महीने का बेटा मोहितप्रीत सिंह छोड़ गया है। वह अपने घर में परिवार का पेट पालने वाला अकेला इंसान था, जिसने अपने बेटे का जन्मदिन मनाने संबंधी कई तैयारी पूरी करनी थी। पत्नी ने रोते हुए कहा कि अब हमारा किस प्रकार गुजारा होगा, मेरा साईं (पति) मुझे छोड़कर चला गया। 

नहीं पहुंचे घर की दहलीज
पीटर रेहड़ा सवार सारे नौजवान कई किलोमीर का सफर तय करने के बाद अपने गांव नजदीक पहुंच ही रहे थे कि सामने से आ रहे ट्रक से उनकी टक्कर हो गई जिस दौरान 5 व्यक्तियों की मौत हो गई, जबकि 9 व्यक्ति घायल हो गए और मृतकों का परिवार उनके घर का इंतजार ही करता रह गया, क्योंकि मौत ने उन्हें घर की दहलीज तक पहुंचने ही नहीं दिया।

रो-रोकर हुआ बुरा हाल 
 राजबीर सिंह राजा पुत्र करनैल सिंह जो ईंटों के भट्ठे पर मेहनत मजदूरी का कारोबार करता था। उसके द्वारा अपने परिवार जिसमें उसकी पत्नी रानी, बेटी पलकप्रीत कौर (9), दमनप्रीत कौर (6) और नूरपाल सिंह (3) शामिल हैं, का पालन पोषण मेहनत मजदूरी करके किया जा रहा था। इस हुए दर्दनाक हादसे ने सारे परिवार को ङ्क्षझझोड़कर रख दिया है। 

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