Edited By Punjab Kesari,Updated: 08 Mar, 2018 09:52 AM
देश में आज 8 मार्च को हजारों स्थानों पर महिला दिवस मनाया जाएगा। उनको अधिकारों के प्रति जागरूक किया जाएगा, लेकिन इसके विपरीत महिला दिवस की जो सच्चाई है, वो यह है कि देश में गरीबी के घुटन भरे जीवन में जिंदगी की गाड़ी चलाने वाली करोड़ों महिलाओं को...
अमृतसर (कक्कड़): देश में आज 8 मार्च को हजारों स्थानों पर महिला दिवस मनाया जाएगा। उनको अधिकारों के प्रति जागरूक किया जाएगा, लेकिन इसके विपरीत महिला दिवस की जो सच्चाई है, वो यह है कि देश में गरीबी के घुटन भरे जीवन में जिंदगी की गाड़ी चलाने वाली करोड़ों महिलाओं को महिला दिवस की जानकारी नहीं है।
उन्हें यह मालूम नहीं है कि महिला दिवस क्या है, क्यों मनाया जाता है? देश में लाखों महिलाएं भिक्षा मांगकर पेट भरने को मजबूर हैं, गरीबी के चलते लाखों लड़कियों की पढ़ाई छूट जाती है। जो उन परिवारों से संबंधित होती हैं, जिन परिवारों की आमदन मात्र दो समय की रोजी-रोटी के लिए ही होती है और उक्त लड़कियां भी मजदूरी करती नजर आती हैं।
कई महिलाएं चढ़ती हैं दहेज प्रथा की बलि
देश में हर दिन सैंकड़ों बच्चियों को कन्या भ्रूण हत्या के अंतर्गत गर्भ में ही मार दिया जाता है, उनका कसूर यही होता है कि उन्हें घटिया सोच के अंतर्गत परिवार में बोझ समझा जाता है, वहीं दूसरी तरफ देश में हर दिन कई महिलाएं दहेज प्रथा के बलि चढ़ती हैं। इतना सब कुछ हर दिन देश में सामने आता है, क्या सरकार को इसकी जानकारी नहीं है, अगर है तो महिलाओं पर होने वाले अत्याचार बंद क्यों नहीं होते, दहेज प्रथा के आरोपियों को कड़ी संज्ञा क्यों नहीं मिलती, गर्भ में बेटियों की हत्या करने वाले अपराधियों को सजा कब मिलेगी।
क्या महिला दिवस पर बड़े-बड़े भाषण व दावे उक्त समस्या का समाधान कर पाएंगे, क्या पीड़ित महिलाओं को उनके अधिकार सरकार व नेताओं द्वारा दिए जाएंगे, नहीं क्योंकि महिला दिवस देश में केवल एक दिन के मेले व त्यौहार की तरह मनाया जाता है, जबकि सच्चाई तो यह है कि देश में महिलाओं पर घरेलू-बाहरी ङ्क्षहसा के मामले बढ़ते जा रहे हैं। नाबालिग बच्चियों से लेकर वृद्ध महिलाएं हैवानियत का शिकार हो चुकी हैं। नारी का सम्मान व बच्चियों को मां दुर्गा का रूप समझने वाली घोषनाएं केवल किताबों व भाषणों तक ही सीमित हो चुकी हैं।
भट्ठों पर करती हैं कम आयु की लड़कियां मजदूरी
ईंट के भट्ठों पर कम आयु की लड़कियां मजदूरी करती हैं। बड़े-बड़े महानगरों में लाखों बच्चियां भीख मांगते नजर आती हैं, इतना ही नहीं देश में लाखों की संख्या में महिलाएं व छोटी बच्चियां लोगों के घरों में काम कर पेट भरती हैं। लाखों की संख्या में लड़कियां ऐसी हैं, जिन्होंने स्कूल में कदम भी नहीं रखा है और आज इन सभी को समॢपत मनाया जाएगा महिला दिवस।
वृद्ध आश्रम में लाखों की संख्या में महिलाएं
बड़े महानगरों में फुटपाथों पर वृद्ध महिलाएं सब्जी बेचती हैं और सैंकड़ों वृद्ध आश्रम में लाखों की संख्या में महिलाएं अपने परिवार से दूर, अपने खून के रिश्तों में दूर एकांत में जीवन व्यतीत करने को मजबूर हैं, क्या इन सभी को महिला दिवस की जानकारी है। बहुत ही दुखद विषय है कि आज देश के हजारों स्थानों पर महिला दिवस के आयोजनों में नारी के सम्मान के बड़े-बड़े दावे किए जाएंगे, क्या नारी के सम्मान में किए जाने वाले दावों पर अमल किया जाता है, क्या नारी को सम्मान मिलता है।
गौर रहे कि करीब हर दिन देश के अनेक शहरों-गांवों में महिलाओं पर घरेलू व बाहरी ङ्क्षहसा के मामले सामने आते हैं, हर दिन नाबालिग बच्चियां दुष्कर्म का शिकार बनती हैं और ऐसे केसों में अब तक अनगिनत बच्चियों की हत्या के मामले भी सामने आ चुके हैं और इस हालत में महिलाओं की सुरक्षा के प्रति भाषण व दावे करने वाले की चुप्पी क्यों, क्यों नहीं पीड़ित महिलाओं का इंसाफ दिलाया जाता।