Edited By Updated: 24 Mar, 2017 02:19 PM
दस साल बाद पंजाब में कांग्रेस सत्ता में तो आ गई है
चंडीगढ़ः दस साल बाद पंजाब में कांग्रेस सत्ता में तो आ गई है लेकिन सरकार में महिला मंत्री ने कैप्टन के लिए मुश्किल खड़ी कर दी है। मंत्री बनीं पत्नी का सारा कामकाज पति अशोक चौधरी को देखना, कैप्टन को रास नहीं आया है। पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरेंद्र सिंह की ओर से अपने मंत्रिमंडल में राज्य मंत्री अरुणा चौधरी का सरकारी कामकाज उनके पति के किए जाने के मामले को गंभीरता से लिए जाने पर अरुणा चौधरी और मंत्रिमंडल में शामिल दूसरी महिला राज्य मंत्री रजिया सुल्ताना के लिए स्वतंत्र रूप से काम करने का मार्ग प्रशस्त कर दिया है।
मुख्यमंत्री ने वीरवार को साफ कर दिया कि अगर किसी महिला मंत्री के काम में उनके पति दखल दे रहे हैं तो यह गलत है और अनदेखा भी नहीं किया जा सकता।
दरअसल, कैप्टन ने सत्ता संभालने के बात अपनी पहली कैबिनेट बैठक में ही सूबे में महिलाओं को नौकरियों में 33 फीसदी आरक्षण और निकाय चुनावों में 50 फीसदी आरक्षण देने का एेलान कर यह साबित करने का प्रयास किया कि उनकी सरकार महिलाओं को स्वावलंबी और आत्मनिर्भर बनाने के प्रति गंभीर है। हालांकि, उन्होंने अपने मंत्रिमंडल में दो महिलाओं को शामिल करते हुए राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) का दर्जा ही दिया।
अभी सरकार बने करीब दस दिन ही बीते हैं कि कैप्टन सरकार की ओर से महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने की नीति पर पानी फिरता दिखाई देने लगा है। राज्यमंत्री अरुणा चौधरी पंजाब सिविल सचिवालय में अपने आफिस में तो उपस्थित रहीं, लेकिन उनसे मिलने के लिए आने वाले लोगों और विभाग के अफसरों से डीलिंग अरुणा चौधरी के पति ही करते दिखाई दिए।
हालत यह रही कि राज्यमंत्री के रूप में अरुणा चौधरी की कुर्सी के समानांतर ही आफिस में उनके पति की भी कुर्सी लग गई और सारा कामकाज अरुणा चौधरी के पति ने संभाल लिया। इससे पहले, लगभग ऐसा ही नजारा राज्यमंत्री रजिया सुल्ताना के आफिस में दिखाई दिया था।