Edited By Updated: 09 Mar, 2017 04:31 PM
महिला दिवस के अवसर पर जहां महिलाओं के सम्मान की बड़ी-बड़ी बातें की जा रही हैं उन्हें देवी, जग-जननी का दर्जा दिया जा राह है
तलवाड़ा (अनुराधा): महिला दिवस के अवसर पर जहां महिलाओं के सम्मान की बड़ी-बड़ी बातें की जा रही हैं उन्हें देवी, जग-जननी का दर्जा दिया जा राह है वहीं गांव बहिनंगल (कमाही देवी) की एक महिला इंसाफ के लिए दर-बदर ठोकरें खा रही है। संतोष कुमारी पत्नी स्व. राम ने रोते हुए बताया कि एक विद्यालय, जोकि कागजों (फर्दों) के अनुसार पंचायती जगह पर अधिकतर फैला हुआ है, उसके द्वारा पंचायत द्वारा मंजूर उनके घर जाने का एकमात्र रास्ता तानाशाही से पिछले कई वर्षों से बंद है जिसे खुलवाने के लिए उन्होंने बी.डी.पी.ओ., डी.डी.पी.ओ. समेत कई सरकारी दफ्तरों के चक्कर काटे। फैसला उनके हक में भी हुआ। एक बार एस.डी.एम. द्वारा आकर रास्ता खुलवाया भी गया पर फिर भी न जाने किसकी शह से जबरन वह फिर बंद कर दिया गया। वहां दीवार चुनवा कर गेट लगा दिया गया जिस वजह से उन्हें आने-जाने की भारी दिक्कत होती है। अब घर तो जाना है सो वह तारों के नीचे से झुककर निकलते हैं।
क्यों मुझ विधवा पर उन्हें तरस नहीं आता
हार कर संतोष कुमारी ने प्रधानमंत्री से गुहार लगाई, वहां से भी तुरन्त कार्रवाई की चिट्ठियां आईं परन्तु अभी तक मामला जस का तस है, रास्ता नहीं खुला। संतोष कुमारी ने सिसकते हुए भारी मन से कहा कि अगले माह मेरी बेटी की शादी है अब प्रशासन ही बताए कौन से रास्ते से मैं बारात अंदर ले जाऊं। क्यों मुझ विधवा पर उन्हें तरस नहीं आता। अपने घर वह पिछले सालों से बैठकर जाती है, उनके बच्चों को भी भारी परेशानी होती है। उन्होंने प्रशासन से निवेदन किया है कि शीघ्र अति शीघ्र यह रास्ता खुलवाया जाए। नहीं तो वह अकेली बी.डी.पी.ओ. दफ्तर के सामने धरने पर बैठ जाएगी।
क्या कहते हैं अधिकारी : इस संबंध में सुपरिंटैंडैंट ने बताया कि उन्होंने मामला देखकर ऊपर रिपोर्ट भेज दी है। अगली कार्रवाई डिपार्टमैंट के आर्डर आने पर होगी व इंसाफ अवश्य होगा।