Edited By Updated: 24 Jan, 2017 02:13 AM
पंजाब विधानसभा चुनावों के लिए मतदान होने में अब कुछ दिन ही शेष बचे हैं मगर कांग्रे...
जालन्धर(चोपड़ा): पंजाब विधानसभा चुनावों के लिए मतदान होने में अब कुछ दिन ही शेष बचे हैं मगर कांग्रेस ने अभी तक भावी मुख्यमंत्री पद के लिए अपने उम्मीदवार की आधिकारिक रूप से घोषणा नहीं की। इससे पार्टी के वर्कर और नेता जहां मायूस हैं वहीं विपक्षी दलों को भी कांग्रेस पर प्रहार करने का अवसर मिल रहा है। कै. अमरेन्द्र सिंह को मुख्यमंत्री पद का उम्मीदवार न दर्शाना पार्टी के लिए अच्छा संकेत नहीं माना जा रहा है।
इससे शिरोमणि अकाली दल ने तो स्पष्ट कर दिया है कि गांधी परिवार कैप्टन को राज्य के मुख्यमंत्री पद के रूप में दर्शाने का इच्छुक नहीं है। नवजोत सिंह सिद्धू के कांग्रेस में शामिल होने और पार्टी के लिए प्रचार करने से यह मामला और भी पेचीदा हो गया है। कुछ दिन पूर्व कैप्टन ने खुद एक रैली में कहा था कि पंजाब के मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार का फैसला पार्टी अध्यक्ष सोनिया गांधी करेंगी। इससे अकाली दल और ‘आप’ के क्षेत्रों में अटकलें तेज हो गई हैं कि कैप्टन मुख्यमंत्री पद के दावेदारों में से एक हैं। 2012 के विधानसभा चुनावों में पार्टी उपाध्यक्ष राहुल गांधी ने टिकट वितरण से पूर्व ही कैप्टन को मुख्यमंत्री पद का उम्मीदवार घोषित कर दिया था।
हरियाणा में 2004 के विधानसभा चुनावों में सोनिया गांधी ने 3 बार के मुख्यमंत्री रहे स्व. भजन लाल की अनदेखी करके भूपिंद्र सिंह हुड्डा को मुख्यमंत्री पद का उम्मीदवार घोषित किया था जिस पर भजन लाल और उनका बेटा कुलदीप बिश्नोई कांग्रेस से अलग हो गए और उन्होंने अपनी पार्टी बना ली। अब कैप्टन का खेमा भी भीतर से घबराहट महसूस कर रहा है कि कहीं हरियाणा का इतिहास पंजाब में तो नहीं दोहराया जाएगा? क्योंकि कै. अमरेन्द्र ने राहुल गांधी के राष्ट्रीय प्रधान बनने के मामले का जोरदार विरोध किया था और बगावती सुर अपनाकर हाईकमान पर दबाव डाल कर प्रदेश कांग्रेस की प्रधानगी हासिल की थी।
पहले ये अटकलें थीं कि सी.एम. पद के उम्मीदवार की घोषणा पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह द्वारा दिल्ली में पार्टी घोषणा पत्र को जारी करने के दौरान की जाएगी। कांग्रेसी वर्कर इस घोषणा की बड़ी उत्सुकता के साथ प्रतीक्षा करते रहे मगर राहुल गांधी के करीबी समझे जाने वाले राज्यसभा सांसद प्रताप सिंह बाजवा ने इसका विरोध किया। इससे कांग्रेसी वर्कर महसूस करते हैं कि ऐसे फैसले से विपक्षी दलों को कांग्रेस के खिलाफ प्रचार करने का अवसर मिलेगा।
कांग्रेस के केंद्रीय नेतृत्व पर हमला बोलते हुए अकाली दल के महासचिव सुखदेव ंिसह ढींडसा ने कहा कि कांग्रेस में सब कुछ प्रशांत किशोर पर छोड़ रखा है। पार्टी में कई अनभुवी नेता होने के बावजूद प्रशांत ही एकमात्र फैसला लेने वाला नेता बन कर रह गया है। ढींडसा ने यह भी आरोप लगाया कि प्रशांत किशोर ने ही यह फैसला लिया था कि अमरेन्द्र को लंबी से व रवणीत बिट्टू को जलालाबाद से चुनाव लडऩा होगा। अब राजनीतिक गलियारों में चर्चा तेज हो गई है कि मुख्यमंत्री पद के प्रत्याशी की घोषणा करने से कांग्रेस आखिर भाग क्यों रही है?