Edited By Punjab Kesari,Updated: 22 Oct, 2017 04:04 PM
गुरु की नगरी के मॉडल कहलाने वाले रेलवे स्टेशन पर रेल मुसाफिरों को मिलने वाली सुविधाएं अब भी नाममात्र ही हैं। रेल मंत्रालय एक तरफ जहां अमृतसर रेलवे स्टेशन को देश के पहले 10 चुनिन्दा रेलवे स्टेशनों में शुमार करवाने प्रति काफी प्रयासरत है वहीं यहां का...
अमृतसर (जशन): गुरु की नगरी के मॉडल कहलाने वाले रेलवे स्टेशन पर रेल मुसाफिरों को मिलने वाली सुविधाएं अब भी नाममात्र ही हैं। रेल मंत्रालय एक तरफ जहां अमृतसर रेलवे स्टेशन को देश के पहले 10 चुनिन्दा रेलवे स्टेशनों में शुमार करवाने प्रति काफी प्रयासरत है वहीं यहां का निकम्मा स्टेशन प्रशासन यात्रियों को मूलभूत सुविधाएं प्रदान करने में नाकाम साबित हो रहा है जिसका प्रमुख प्रमाण है आम टिकट घर।
स्टेशन पर आम टिकट घर में कुल 6 टिकट विंडोज का प्रावधान रखा गया है परंतु फिर भी रेल मुसाफिरों को अपनी एक टिकट खरीदने के लिए भारी परेशानियों से जूझना पड़ रहा है। बता दें कि वर्तमान में वहां पर जो टिकट काटने वाला कम्प्यूटर सिस्टम चल रहा है उसके अनुसार एक मिनट में मात्र 2 टिकटें ही निकल सकती हैं जबकि समय रहते यहां से रेलगाडिय़ों की संख्या बढऩे के साथ-साथ यात्रियों का लोड भी काफी बढ़ गया है।
हैरानीजनक पहलू यह है कि यात्रियों की संख्या के अनुरूप जहां टिकट विंडोज की संख्या में वृद्धि होनी चाहिए, परंतु स्टेशन प्रशासन इन सभी विंडोज को भी खोल नहीं रहा। इस प्रति रेलवे उच्चाधिकारियों का एक ही रटा-रटाया उत्तर होता है कि अभी स्टाफ की काफी कमी है और ऊपर से रेलवे बोर्ड नई भर्ती नहींं कर रहा परंतु इस सारे प्रकरण का खमियाजा तो रेलवे मुसाफिरों को ही भुगतना पड़ रहा है।
टिकट देने वाले रेलकर्मियों का व्यवहार भी ठीक नहींं
उन्होंने कहा कि यहां टिकट देने वाले रेल कर्मियों का व्यवहार भी ठीक नहींं है। ये कर्मी यात्रियों से काफी दुव्र्यवहार करते हैं। ये कर्मी कई बार टिकट काटने के बाद 5-10 रुपए छुट्टे न होने का बहाना बनाकर वापस नहींं देते। अगर कोई यात्री इस प्रति पूछता है तो ये कर्मी टिकट वापस लेकर उसे खुले पैसे लेकर आने को कहते हैं। यात्रियों ने मांग की है कि स्टेशन प्रशासन इस समस्या के समाधान प्रति कोई उचित कदम उठाए।
स्टेशन प्रशासन टिकट मशीनों पर रेलकर्मियों की ड्यूटी लगाए
यात्रियों ने कहा कि स्टेशन पर कहने तो रेलवे प्रशासन ने टिकट वैंङ्क्षडग मशीनें लगा रखी हैं, परंतु ये भी किसी सफेद हाथी से कम नहींं हैं। एक तो स्टेशन प्रशासन ने इन मशीनों पर किसी रेलकर्मी की ड्यूटी नहींं लगाई जिससे लोग समझ सकें कि इस मशीन से टिकट कैसे निकाली जा सकती है और दूसरे इसमें पैसे टिकट के रेट अनुसार डालने होते हैं, जिसका अमूमन यात्रियों को पता नहींंहोता।
यात्रियों ने रेल प्रशासन से मांग करते हुए कहा कि एक तो यहां टिकट काऊंटरों की संख्या और बढ़ाई जाए तथा इन टिकट वैंङ्क्षडग मशीनों पर किसी रेलकर्मी की तैनाती की जाए जो लोगों को टिकट निकालने प्रति जागरूक कर सके।
टिकट पाने की खातिर सहनी पड़ती है धक्का-मुक्की
टिकट विंडोज पर पूरा दिन काफी लम्बी-लम्बी लाइनें लगी रहती हैं जिसके कारण कई यात्रियों की टिकट लेने दौरान ही ट्रेन छूट जाती है। टिकट लेने के लिए काफी समय से खड़े यात्रियों विकास, अनन्य, रोहित शुक्ला, विनय पासी, जोगिन्द्र सिंह, अजय साहनी, सोनू राही, मुकेश वाणी व कुछ अन्य ने कहा कि यहां से एक टिकट हासिल करना किसी जंग जीतने से कम नहींं है। एक टिकट पाने की खातिर यहां काफी धक्का-मुक्की सहनी पड़ती है। यहां पर टिकट काऊंटर और बढ़ाने की बजाय इनकी गिनती को और कम कर दिया गया है जिससे इस समस्या ने अब गंभीर रूप धारण कर लिया है।