Edited By Updated: 25 Apr, 2017 05:05 PM
शताब्दियां बदलीं, समय बदला और समय के साथ-साथ तकनीक और सरकारें भी बदलीं, लेकिन मंडी में अपनी फसल लेकर आने वाले किसान की किस्मत नहीं बदली।
खन्ना (कमल): शताब्दियां बदलीं, समय बदला और समय के साथ-साथ तकनीक और सरकारें भी बदलीं, लेकिन मंडी में अपनी फसल लेकर आने वाले किसान की किस्मत नहीं बदली। पहले फसल को बोना, फिर बच्चों की तरह उसका पोषण करना, कुदरत के कहर से उसे बचाना इत्यादि ऐसी कई अग्निपरीक्षाएं पास कर अगर फसल को काट वह अनाज मंडी में उसे बेचने के लिए पहुंच भी जाता है, तो वहां भी किसान की परेशानियां समाप्त नहीं होतीं। अनाज मंडी में गेहूं लेकर आने वाले किसानों को ऐसी ही रोजमर्रा से रू-ब-रू होना पड़ रहा है। एशिया की सबसे बड़ी अनाज मंडीखन्ना में भी किसानों को प्रशासन की बेरुखी का खमियाजा भुगतना पड़ रहा है।
बेशक हर बार की ही तरह इस बार भी प्रशासन द्वारा फसल की खरीद को लेकर तमाम बड़े-बड़े दावे किए हों लेकिन इस बार धीमी लिफ्टिंग किसानों की खुशियों पर भारी पड़ रही है। अनाज मंडी खन्ना में स्थित मार्कीट कमेटी खन्ना कार्यालय द्वारा जारी किए जा रहे आंकड़ों की ही अगर बात की जाए तो पता चलता है कि पुख्ता इंतजामों की दुहाई देने वाली मार्कीट कमेटी खन्ना द्वारा गेहूं खरीद को लेकर किए गए इंतजाम किस कदर नाकाफी हैं, क्योंकि मार्कीट कमेटी के आंकड़े ही बयां कर रहे हैं कि पिछले साल की तुलना में इस साल गेहूं की आमद सुस्त होने के बावजूद लिफ्टिंग की समस्या प्रशासनिक दावों पर हावी है। हालांकि अनाज मंडी खन्ना द्वारा की गई ज्यादातर गेहूं की खरीद में से ज्यादातर खरीद गैर-सरकारी एजैंसियों द्वारा की गई है जिसके बाद भी सरकारी एजैंसियां अपने द्वारा खरीदे गेहूं को मंडी से उठवाने में नाकाम साबित होती दिखाई दे रही हैं। गेहूं की लोडिंग की रफ्तार सुस्त होने के कारण अनाज मंडी में गेहूं लेकर आने वाले किसान अपना गेहूं खुले आसमान के नीचे रखने को विवश हैं इसी कारण देर रात हुई बारिश में कई किसानों का गेहूं बारिश में भीगता रहा।
मार्कीट कमेटी खन्ना द्वारा 23 अप्रैल तक के किए जारी आकंड़ों के अनुसार अनाज मंडी खन्ना में करीब 80 हजार टन गेहूं की आमद हुई जिसमें से ज्यादातर गेहूं की खरीद गैर-सरकारी एजैंसियों द्वारा की गई। मार्कीट कमेटी खन्ना के आंकड़ों के अनुसार 23 अप्रैल तक कुल खरीदे गए 80 हजार टन गेहूं में से करीब 32 हजार टन गेहूं गैर-सरकारी एजैंसियों द्वारा खरीदा गया है, जिसे करीब-करीब लोड भी करवा दिया गया है। इसके अलावा अगर सरकारी एजैंसियों के आंकड़ों पर गौर किया जाए तो एफ.सी.आई., पनग्रेन, मार्कफैड, वेयरहाऊस तथा पंजाब एग्रो द्वारा बाकी करीब 48 हजार टन गेहूं खरीदा गया है जिसमें से करीब 27 हजार टन गेहूं अब भी खन्ना अनाज मंडी में लिङ्क्षफ्टग के इंतजार में पड़ा है।