Edited By Punjab Kesari,Updated: 06 Nov, 2017 12:52 PM
जाब में शिक्षा का स्तर ऊंचा उठाने के दावे करती सरकारें एयर कंडीशनर कमरों में बैठकर लिए गए फैसलों के कारण मात्र तजुर्बों में ही सिमट कर रह जाती हैं जबकि राज्य में शिक्षा प्रति गम्भीरता से सही निर्माण लागू होता कम ही दिखाई दिया है।
पठानकोट(कंवल): पंजाब में शिक्षा का स्तर ऊंचा उठाने के दावे करती सरकारें एयर कंडीशनर कमरों में बैठकर लिए गए फैसलों के कारण मात्र तजुर्बों में ही सिमट कर रह जाती हैं जबकि राज्य में शिक्षा प्रति गम्भीरता से सही निर्माण लागू होता कम ही दिखाई दिया है।
सरकारों के करोड़ों खर्च करने के दावों की हवा जमीनी हकीकत से ही निकलती दिखाई पड़ जाती है। अब राज्य सरकार 800 स्कूलों को बंद करने में लगी है जबकि राज्य के सरकारी स्कूलों की मौजूदा स्थिति पर ध्यान देकर खामियों को दूर करने की तरफ ध्यान देना अधिक जरूरी है।
पंजाब सुबार्डिनेट सर्विसिज फैडरेशन के पूर्व जिलाध्यक्ष व मुलाजिम मजदूर संघर्ष कमेटी के चेयरमैन प्रेम सागर शर्मा ने सरकार को आड़े हाथों लेते हुए कहा कि सरकार राज्य के 800 सरकारी स्कूलों को बंद करने में तुली है जबकि कैग द्वारा पंजाब के सरकारी स्कूलों प्रति पेश की मौजूदा हालत सम्बन्धी रिपोर्ट की तरफ कोई ध्यान नहीं दिया जा रहा।
उन्होंने कहा कि पंजाब के सरकारी स्कूलों पर सर्वे करने उपरांत कैग द्वारा जारी की गई रिपोर्ट के अनुसार राज्य के 69 सरकारी स्कूल बिना किसी इमारत के खुले आसमान के नीचे ही चल रहे हैं। इन स्कूलों की कोई इमारत ही नहीं है जबकि 405 स्कूल एक ही कमरे में चल रहे हैं और 327 मिडल स्कूल मात्र 2 कमरों में चल रहे हैं। राज्य के 10,341 स्कूलों में फर्नीचर ही नहीं है। 99 सरकारी स्कूलों में पीने के लिए पानी तक नहीं है, वहां बच्चों को या तो पानी का खुद प्रबन्ध करना पड़ता है या फिर प्यासे ही पढ़ाई करनी पड़ती है। पंजाब में 286 सरकारी स्कूलों के लिए कोई खेल मैदान नहीं है।
2011 से विद्यार्थियो की संख्या में गिरावट आई
सरकारी स्कूलों में विद्यार्थियों की लगातार गिरावट कैग की रिपोर्ट के अनुसार 2011 से पंजाब के सरकारी स्कूलों में विद्यार्थियों की संख्या में लगातार गिरावट आई है जबकि प्राइवेट स्कूलों में लगातार वृद्धि दर्ज की गई है। कैग द्वारा 2011-2016 दौरान सर्वशिक्षा अभियान बारे तैयार रिपोर्ट के तहत 2011-2012 में पंजाब के सरकारी स्कूलों में पहली से 8वीं तक 20,76,619 बच्चों ने दाखिला लिया था जबकि 2015-2016 में यह संख्या घटकर 18,79,126 रह गई। इसके विपरीत राज्य के निजी स्कूलों में बच्चों की संख्या 2011-2012 में 19,63,844 थी जोकि बढ़कर 20,83,313 हो गई।
हर माह उपरांत नहीं होती बाल अधिकार सुरक्षा कमिशन की मीटिंग
कैग के अनुसार बाल अधिकार सुरक्षा कमिशन द्वारा सही मॉनीटरिंग ही नहीं की गई। नियमित रूप में हर माह उपरांत कमिशन की मीटिंग होनी चाहिए मगर ऐसा नहीं हुआ। वर्ष 2011-2012 में कमिशन की कोई मीटिंग ही नहीं हुई। जबकि 2014-2015 में मात्र 3 व 2015-16 में 11 मीटिंगें की गईं। बाल अधिकार सुरक्षा कमिशन द्वारा पंजाब सरकार को जो सिफारिशें की गईं उसमें बाल मजदूरी को रोकने सम्बन्धी थीं जिस पर भी पूरी तरह अमल नहीं हुआ। यहां तक कि इस संबंधी कमिशन द्वारा दिए गए 30.48 लाख में से मात्र 12.97 लाख रुपए ही खर्च किए गए।
सरकार स्कूलों को बंद करने की बजाय कमियों को दूर करे : प्रेम सागर
प्रेम सागर शर्मा ने कहा कि सरकारों को अभी तक यही ठीक से पता नहीं चल पाया कि राज्य की शिक्षा आखिर क्यों गिरावट की तरफ जा रही है। हकीकत को समझने की बजाय सारा ठीकरा स्कूलों व शिक्षकों पर फोड़ कर नेता अभ्यास के लिए नए फैसले थोपने में जुट जाते हैं। राज्य सरकार अपने स्कूलों को बंद करने की बजाय उनमें आई कमियों को दूर करे। स्कूलों में शिक्षकों की कमी, फर्नीचर, इमारतों आदि को पूरा करने की तरफ ध्यान दे और बेवजह थोपे जाते अधिकारियों के फैसलों पर अंकुश लगाया जाए।