Edited By Punjab Kesari,Updated: 23 Oct, 2017 09:03 AM
मोदी सरकार के डिजीटल इंडिया का सबसे अधिक लाभ अगर कोई उठा रहा है तो वह हैं कुछ धोखेबाज हैकर। जिन्होंने कुछ बैंकों की नकली वैबसाइट्स बनाकर जालसाजी का गोरखधंधा चलाया हुआ है। नकली वैबसाइट्सपर उन्होंने कस्टमर केयर की जगह बाकायदा तौर पर अपने मोबाइल नंबर...
जालंधर (अमित, राज): मोदी सरकार के डिजीटल इंडिया का सबसे अधिक लाभ अगर कोई उठा रहा है तो वह हैं कुछ धोखेबाज हैकर। जिन्होंने कुछ बैंकों की नकली वैबसाइट्स बनाकर जालसाजी का गोरखधंधा चलाया हुआ है। नकली वैबसाइट्सपर उन्होंने कस्टमर केयर की जगह बाकायदा तौर पर अपने मोबाइल नंबर दे रखे हैं, जिसका इस्तेमाल वह बैंक कर्मचारी बनकर भोली-भाली जनता को लूटने में कर रहे हैं। ऐसा ही एक मामला जालंधर में भी सामने आया है, जिसमें एक युवक के बैंक खाते से 20 हजार रुपए बड़ी सफाई से उड़ा लिए गए।
न्यू पृथ्वी नगर निवासी हरीश कुमार ने अपने साथ हुई जालसाजी की जानकारी देते हुए कहा कि उन्होंने विदेश जाना है, जिसके लिए वह बैंक से कर्जा लेने के लिए बैंक की वैबसाइट पर दिए गए कस्टमर केयर नंबर पर बात करके जरूरी जानकारी प्राप्त करना चाहते थे, इसलिए उन्होंने गत दिवस ऑनलाइन जाकर स्टेट बैंक ऑफ इंडिया के कस्टमर केयर के लिए सर्च किया तो एक वैबसाइट जो बिल्कुल एस.बी.आई. की वैबसाइट की तरह लग रही थी, उसके ऊपर एक मोबाइल नं. बतौर कस्टमर केयर दिया गया था। जब उन्होंने उक्त नंबर पर कॉल की तो आगे से फोन रिसीव करने वाले व्यक्ति ने बड़ी चालाकी से खुद को एस.बी.आई. नोएडा से कस्टमर केयर एग्जीक्यूटिव बताते हुए उसके खाते की पूरी जानकारी हासिल की और कुछ ही देर में उसके मोबाइल नंबर पर एक ओ.टी.पी. नं. आया, जिसे उसने उक्त व्यक्ति को बता दिया।
चंद ही सैकेंड में उसके मोबाइल पर मैसेज आया कि उसके खाते से 20 हजार रुपए निकाल लिए गए हैं। पैसे निकलने का मैसेज पढ़ते ही उसके पैरों के नीचे से जमीन निकल गई। हरीश ने कहा कि उसके खाते में कुल 35 हजार रुपए थे, जिसमें से केवल 15 हजार शेष रह गए थे। हरीश ने जब दोबारा से उक्त नंबर पर फोन किया तो सामने वाले व्यक्ति ने कहा कि उसने गलती से अकाऊंट को डैबिट कर दिया है। आप चिंता न करो आपका पैसा वापस आपके अकाऊंट में डाल दिया जाएगा। जिसके लिए पहले 15 हजार और बाद में 5 हजार जमा होंगे। मगर उसे एक बार फिर से ओ.टी.पी. नंबर बताना होगा। इतनी देर में हरीश को अपने साथ हुए धोखे का पता लग चुका था और उसने दोबारा से ओ.टी.पी. नंबर देने के लिए साफ तौर पर इंकार कर दिया।
जागरूकता की कमी और लापरवाही का फायदा उठा रहे हैं हैकर
भारत सरकार द्वारा डिजीटलाइजेशन को तो बहुत बढ़ावा दिया जा रहा है, मगर इसके साथ ही आम जनता को इसके बारे में जागरूक करने और सुरक्षा को लेकर कोई खास इंतजाम नहीं किए जा रहे हैं, जिसकी वजह से बहुत बड़ी गिनती में हैकरों द्वारा भोली-भाली जनता की खून-पसीने की कमाई को किसी गिद्द की तरह चंद मिनटों में साफ कर दिया जाता है और जालसाजी के बाद न तो बैंक अपने खाताधारक की कोई मदद करते हैं और न ही पुलिस प्रशासन द्वारा बनती कार्रवाई करके दोषियों को सलाखों के पीछे पहुंचाने का काम किया जा रहा है, जिसका नतीजा है कि आए दिन ऐसी घटनाओं में लगातार वृद्धि दर्ज की जा रही है।
खाताधारकों को साइबर क्राइम के लिए लगातार जागरूक किया जाता है : सुशील हंस
एस.बी.आई. के ए.जी.एम. सुशील हंस ने बताया कि साइबर क्राइम की बढ़ती घटनाओं के मद्देनजर बैंक द्वारा लगातार अपने खाताधारकों को जागरूक किया जाता रहता है। उन्हें सावधान किया जाता है कि वह किसी भी सूरत में अपनी निजी और खाते की जानकारी फोन पर सांझी न करें। खासतौर पर ओ.टी.पी. तो किसी भी हाल में शेयर न किया जाए। जहां तक किसी व्यक्ति के साथ हुई धोखाधड़ी का सवाल है तो सबसे पहले उन्हें बिना समय गंवाए पुलिस के पास लिखित शिकायत दर्ज करवानी चाहिए। इसके साथ ही अपनी शाखा को सूचित करके अपने खाते को लेकर जरूरी सावधानी वाले कदम उठाने चाहिएं। उन्होंने कहा कि एस.बी.आई. की एक एप्लीकेशन एस.बी.आई. क्विक के माध्यम से तुरंत अपना ए.टी.एम. कार्ड ब्लॉक किया जा सकता है।
नोएडा के किसी अरुण कुमार के नाम पर है नंबर
हरीश ने कहा कि उसने ट्रू-कॉलर नामक एप्लीकेशन में जब मोबाइल नंबर डाला तो उक्त नंबर नोएडा कि किसी अरुण कुमार के नाम पर आ रहा था। मगर जब उक्त नंबर पर फोन करने की कोशिश की गई तो सामने वाले व्यक्ति ने उसका नंबर ब्लॉक कर दिया था।
बैंक मैनेजर ने किसी प्रकार की सहायता करने से किया इंकार
हरीश ने कहा कि अपने साथ हुए धोखे की जानकारी देने जब वह एस.बी.आई. की लम्मा पिंड चौक स्थित शाखा में गया तो बैंक के ब्रांच मैनेजर ने कहा कि वह इस बारे में कुछ नहीं कर सकते, क्योंकि ऐसी शिकायतें आए दिन उनके पास आती रहती हैं।
कुछ देर बाद साइट से मोबाइल नंबर भी हुआ गायब
हरीश ने कहा कि जब वह दोबारा से ऑनलाइन गए तो उनकी हैरानी का ठिकाना ही नहीं रहा, क्योंकि जिस नंबर को बैंक का कस्टमर केयर बताकर वैबसाइट पर दर्शाया गया था। वह नंबर भी वैबसाइट से गायब हो चुका था।