अगर आप भी इस तरीके से गिनते है नोट तो हो जाएं सावधान

Edited By Updated: 16 Jan, 2017 12:20 PM

way of counting money

कागज के नोट पर फैले बैक्टीरिया (कीटाणु) आदमी को कई प्रकार की घातक बीमारियों की चपेट में ले सकते हैं।

लुधियाना (खुराना): कागज के नोट पर फैले बैक्टीरिया (कीटाणु) आदमी को कई प्रकार की घातक बीमारियों की चपेट में ले सकते हैं। खासतौर पर उन लोगों को जिन्हें नोटों की गिनते समय बार-बार उंगलियों को जुबान पर लगाकर थूक का इस्तेमाल करने की आदत हो। माना जा रहा है कि ये नोट जितने छोटे अर्थात् 10, 20, 50 व 100 रुपए की कीमत के हों तो उनमें बैक्टीरिया की मात्रा बड़े नोटों के मुकाबले कहीं अधिक होने की संभावना बनी रहती है, क्योंकि छोटी कीमत के नोट दिनभर में कई हाथों से गुजरते हुए बीमारियों को तेजी से फैलाने में अहम भूमिका निभाते हैं। खासतौर पर खस्ताहाल पुराने नोट, जिनमें कई प्रकार के व्यक्तियों के पसीने की बदबू व बैक्टीरिया बहुत अधिक होने की संभावना से इन्कार नहीं किया जा सकता। 


गर्भवती महिलाओं व बच्चों पर जल्द अटैक करती हैं बीमारियां 
माहिरों के अनुसार ज्यादातर वैक्टीरिया गर्भवती महिलाओं व छोटे बच्चों पर जल्द अटैक कर उन्हें कई प्रकार की भयानक बीमारियों की चपेट में ले लेता है, जिससे उनमें इन्फैक्शन, वायरस, वायरल व सांस की बीमारियों की संभावनाएं कई गुना तक बढ़ जाती हैं। वहीं सिक्के मुंह में डालने की आदत बच्चों में जहां सिक्के गले में अटक जाने की संभावना से बच्चों की जान पर बन आती है तो सिक्के पर जमे कीटाणु सीधे बच्चे के मुंह में प्रवेश करने से गले की नसों में सूजन, पेट में इन्फैक्शन व मुंह में छाले आदि जैसी कई भयानक बीमारियां पैदा करते हैं, जबकि नोट पर जमा कीटाणु की तादाद से गर्भवती महिलाओं को जुकाम व इन्फैक्शन बड़ी आसानी से होने का खतरा बना रहता है। 


कहां-कहां नोट पर कीटाणु ज्यादा पनपने की रहती हैं आशंकाएं  
सिक्के घरों व अन्य स्थानों पर लंबे समय तक एक ही जगह पर पड़े रहने के कारण बैक्टीरिया फैलने का खतरा बना रहता है, जबकि अधिकतर लोग भिखारियों के दान में छोटे-बड़े सिक्के देने के आदी होते हैं, जोकि ज्यादातर कई-कई दिन नहाए बिना ही गुजार देते हैं और साफ-सफाई का ध्यान भी कम ही रखते हैं। इस प्रकार सिक्कों में कीटाणु फैलने की कहीं अधिक आशंकाएं होना स्वाभाविक है, जबकि पब्लिक टॉयलैट पर भी कागज के रुपए के मुकाबले सिक्कों की आमद कहीं अधिक होती है। अधिकतर ढाबों, मीट-मछली की दुकानों, सब्जी मंडी, शराब के ठेेके-अहाते, दवाई की दुकानों व पब्लिक टॉयलैट्स आदि पर कागजी रुपए के नोटों व सिक्कों में बीमारियों के लक्षण कई गुना ज्यादा बढऩे की संभावनाओं को दरकिनार नहीं किया जा सकता है। 


फंगस लगे नोट ज्यादा फैलाते हैं बीमारियां 
बैंकों द्वारा जारी नए व बड़ी कीमत के नोट में जहां ऐसे लक्षण नहीं पाए जाने की संभावना है, वहीं अधिकतर घरों व व्यापारिक संस्थानों पर कई वर्षों तक तिजोरियों, अटैचियों व अन्य स्थानों में दबाकर रखे गए नोटों में लगी फंगस कहीं अधिक खतरनाक बीमारियों को जन्म देती हैं, जिसकी जीती-जागती मिसाल कुछ समय पहले देश में हुई नोटबंदी से मिलती है, जिसमें लोगों द्वारा पिछले कई वर्षों से दबाकर रखी नोटों की बड़ी-बड़ी गड्डियों व फंगस से ज्यादातर बैंकों में कैशियर बीमारियों की चपेट में आने की बातें सामने आई हैं, जिनमें अधिकतर संख्या महिला कर्मचारियों की बताई जा रही है। मंजीत सिंह जग्गी, रिटायर्ड जिला मैनेजर लीड बैंक लुधियाना

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