Edited By Punjab Kesari,Updated: 23 Oct, 2017 10:21 AM
गांवों में आम लोग जिनके पास पीने वाले पानी के लिए निजी साधन नहीं है, को बहुत ही सस्ते मूल्य पर पानी मुहैया करवाने के उद्देश्य से चलाए गए वाटर एंड सैनीटेशन विभाग द्वारा बनाए बड़े वाटर वर्क्स बिजली भुगतान को लेकर अब आर्थिक संकट से जूझ रहे हैं।
सन्दौड़ (रिखी): गांवों में आम लोग जिनके पास पीने वाले पानी के लिए निजी साधन नहीं है, को बहुत ही सस्ते मूल्य पर पानी मुहैया करवाने के उद्देश्य से चलाए गए वाटर एंड सैनीटेशन विभाग द्वारा बनाए बड़े वाटर वर्क्स बिजली भुगतान को लेकर अब आर्थिक संकट से जूझ रहे हैं। हर गांव में बने इन वाटर वक्र्स से लोगों को नलों द्वारा घरों तक पानी दिया जाता है जिसका लोगों ने महीनावार बिल अदा करना होता है जिससे वाटर वक्र्स का बिजली बिल का भुगतान किया जाता है व उन्हीं बिलों की राशि से वहां तैनात मुलाजिम को वाटर एंड सैनीटेशन विभाग वेतन देता है परन्तु पिछले कई वर्षों से बहुत से वाटर वक्र्स का बिजली बिल हर महीने होती बिलों की आमदनी से भी पूरा नहीं पड़ रहा व ये वाटर वक्र्स पावर कॉम द्वारा भेजे जाते बिल को नहीं भर पा रहे जिस कारण वे पावर कॉम की सूची अनुसार डिफॉल्टर हो चुके हैं।
पावर कॉम सन्दौड़ द्वारा सितम्बर महीने के अंत में निकाले बकाया की सूची अनुसार इलाके के बहुत से वाटर वक्र्स की ओर करीब 1 करोड़ 38 लाख रुपए के बिल बकाया खड़े हैं। जितना पैसा गांव के लोग बिलों के रूप में भरते हैं उससे अधिक अगला बिल बन जाता है व या फिर जुर्माने पड़कर राशि हर महीने बढ़ रही है। बहुत से गांव ऐसे भी हैं, जिनकी ओर बकाया नहीं है या फिर बाकियों के बदले बहुत कम है जिससे पता लगता है कि वहां आमदन व खर्च का संतुलन सही चल रहा है।
लाभप्रदसिद्ध हो रही मोहल्ला मोटरें
पहले वाली सरकार के समय गांवों में जरूरतमंदो को पानी सप्लाई के लिए मोहल्ला सबमर्सीबल मोटरें ग्राम पंचायत द्वारा लगाकर सांझे रूप में लोगों के हवाले कर दी गई हैं जिनके बिलों का भुगतान व संभाल प्रयोग करने वाले लोगों ने ही करनी होती है। इन मोटरों से 15-20 घर आसानी से पानी ले रहे हैं जो लोगो के लिए बहुत ही लाभदायक सिद्ध हो रहा है व इनको लोगों के हवाले करने के उपरांत सरकार या ग्राम पंचायत की कोई सरदर्दी भी नहीं है। लोग इनकी संभाल भी बहुत ध्यान से करते हैं क्योंकि खराब व बिल अधिक होने की सूरत में प्रयोग करने वाले लोगों ने ही सभी भुगतान करने होते हैं। इसलिए ङ्क्षचतको का कहना है कि बड़ी टैंकियों की जगह ऐसे मोहल्ला कनैक्शन ही बढ़ाए जाने बहुत लाभकारी हो सकते हैं।
किस वाटर वक्र्स पर कितना बिल
सूची के अनुसार एस.डी.ओ. पब्लिक हैल्थ के नाम चलते गांव लोहटबद्दी के वाटर वक्र्स की ओर 20 लाख 53 हजार, एस.डी.ओ. पब्लिक हैल्थ के नाम चलते गांव पंजग्राइयां की ओर 28 लाख 21 हजार, एस.डी.ओ. पब्लिक हैल्थ के नाम चलते गांव कलसियां की ओर 3 लाख 49 हजार, एस.डी.ओ. पब्लिक हैल्थ के नाम चलते वाटर वक्र्स गांव सन्दौड़ की ओर 5 लाख 6 हजार, एस.डी.ओ. पब्लिक हैल्थ के नाम चलते गांव कंगणवाल वाटर वक्र्स की ओर 24 लाख 8 हजार, एस.डी.ओ. पब्लिक हैल्थ के नाम चलते गांव खुर्द वाटर वक्र्स की ओर 13 लाख 48 हजार, एस.डी.ओ पब्लिक हैल्थ के नाम चलते गांव माणकी वाटर वक्र्स की ओर 5 लाख 8 हजार, एस.डी.ओ. पब्लिक हैल्थ के नाम चलते गांव कल्याण वाटर वक्र्स की ओर 4 लाख 9 हजार, चेयरमैन जी.पी. डब्ल्यू गांव महोली खुर्द वाटर वक्र्स पर 5 लाख 8 हजार, गांव झुनेर के वाटर वक्र्स की तरफ 2 लाख 37 हजार, गांव धलेर खुर्द वाटर वक्र्स पर 2 लाख 22 हजार, चेयरमैन जी.पी. डब्ल्यू गांव झुनेर वाटर वक्र्स पर 11 लाख 57 हजार, चेयरमैन जी.पी. डब्लयू गांव नत्थोहेड़ी वाटर वक्र्स की ओर 2 लाख 63 हजार, गांव फरवाली वाटर वक्र्स की ओर 1 लाख 67 हजार, वाटर वक्र्स जलवाना की ओर 85 हजार, गांव कस्बा के वाटर वक्र्स पर 5 लाख 18 हजार रुपए बकाया है।
सीधी जिम्मेदारी लेने से पीछे हटा विभाग
विभाग ने गत लंबे समय से इन वाटर वक्र्स का रख-रखाव गांवों की पंचायत अधीन कर रखा है जिससे जहां विभाग सीधी जिम्मेदारी से पीछे हट गया, वहीं लोकल स्तर की इस जिम्मेदारी में बहुत सी पंचायतें इस प्रबंध को लेकर समस्या में हैं। विभाग को चाहिए कि वह यह प्रबंध व बिलों के भुगतान का मामला अपने पास रखे, जहां जरूरत है सख्ती से काम ले व बिना मंजूरी से चलते कनैक्शनों की जांच हो।
क्या कहना है समाज सेवियों का
इस संबंधी समाज भलाई क्लब पंजाब के प्रधान राजिन्द्रजीत सिंह कालाबूला ने कहा कि एक ओर तो सरकारें लोक भलाई की बातें कर रही हैं और कितनी ही भलाई स्कीमें चलाकर लोक सेवा का नारा लगा रही हैं दूसरी तरफ गांवों मे चलते वाटर वक्र्स जो लाभप्रद व ज्यादातर आॢथक पक्ष से कमजोर लोगों के पानी पीने का सहारा हैं उनको लोगों से बिलों के सहारे छोड़ रखा है जबकि हर महीने आते लाखों रुपए के बिजली बिल लाभाॢथयो के 40-50 रुपए महीना अदायगी से कैसे भरे जा सकते हैं। इसलिए सभी गांवों के वाटर वक्र्स के बिल भी खेती मोटरों की तर्ज पर माफ करने चाहिएं।