परिंदे व जानवर कर रहे बिना कवर किए अनाज की बर्बादी

Edited By Punjab Kesari,Updated: 25 Jul, 2017 04:50 PM

wastage of grain

हाईकोर्ट के सख्त आदेशों के बावजूद आज भी पंजाब भर में अधिकतर सरकारी खरीद एजैंसियों का लाखों टन अनाज खुले असामान तले बरसात की भेंट चढऩे के लिए तैयार पड़ा है।

लुधियाना(खुराना): हाईकोर्ट के सख्त आदेशों के बावजूद आज भी पंजाब भर में अधिकतर सरकारी खरीद एजैंसियों का लाखों टन अनाज खुले असामान तले बरसात की भेंट चढऩे के लिए तैयार पड़ा है। कुछ खुले गोदामों में पड़े अनाज की बर्बादी परिंदों व जानवरों द्वारा की जा रही है। लेकिन अधिकारी अपनी जिम्मेदारी से पल्ला झाड़ते हुए कह रहे हैं कि खरीद एजैंसियों के पास कवर्ड गोदाम नहीं हैं। कुछ ऐसे ही हालात मुल्लांपुर-रायकोट रोड पर पड़ते पंजाब एग्रो के सरकारी अनाज गोदाम के बने हुए हैं जहां खुले आसमान में पड़े लाखों टन गेहूं को तेज धूप, बरसात व आंधी की मार के साथ-साथ पक्षियों का निवाला बनना पड़ रहा है। बरसात के सीजन में बिना तिरपाल के ढके अनाज की बोरियों के पड़े चक्कों के बारे में पूछे जाने पर मौके पर तैनात कर्मचारी ने तर्क दिया कि वह अनाज की बोरियों को धूप व हवा लगवा रहे हैं जो गेहूं की सुरक्षा के लिए जरूरी है। 

खुले में पड़े अनाज को पक्षियों, चूहों, बरसात व दीमक लगने की संभावना ज्यादा 
माहिरों के मुताबिक कवर्ड गोदामों के मुकाबले खुले आसमान तले पड़े अनाज को पक्षियों, चूहों, बरसाती मार, दीमक व कीड़े आदि की वजह से खराब होने की संभावनाएं कहीं ज्यादा रहती हैं। चाहे संबंधित एजैंसियों के कर्मचारी अधिकारी गेहूं की बोरियों पर दवाइयों का स्प्रे करने की बात करते हैं लेकिन माहिरों का मानना हैं कि खुले में पड़े अनाज व बरसाती मौसम में दवाइयों का असर जल्द खत्म हो जाता हैं। वहीं कवर्ड गोदामों में स्टोर किए गए अनाज की सुरक्षा के लिए भी कर्मचारियों द्वारा प्री-मानसून व आफ्टर मानसून दवाइयों का इस्तेमाल किया जाता है। हालांकि इन गोदामों में पक्षियों, चूहों, सांप, बरसाती पानी व दीमक आदि की संभावना नहीं रहती। 

राज्य सरकार करती है खरीद एजैंसियों की खरीद का कोटा निर्धारित 
विभागीय जानकारी के मुताबिक राज्य सरकार द्वारा गेहूं व धान के फसली सीजन दौरान मंडियों में पहुंचने वाली फसलों के खरीद कोटा की खरीद संख्या निर्धारित की जाती हैं। जिसमें खाद्य एवं आपूर्ति विभाग के आला अधिकारियों के निर्देशों के मुताबिक खरीद एजैंसियों को फसल खरीद कर स्टोर करनी होती है। ऐसे में जिला स्तर पर तैनात सरकारी खरीद एजैंसियों के जिला अधिकारियों पर पूरा दबाव रहता है कि वह जल्द अपने हिस्सा का कोटा खरीदें। इसके लिए चाहे उन्हें खरीद की गई फसल को खुले में ही क्यों न स्टोर करना पड़े।

कवर्ड गोदामों में सुविधाएं खुले गोदामों के मुकाबले अधिक
कवर्ड अनाज गोदामें में सुविधाएं खुले में बने गोदामों के मुकाबले कहीं ज्यादा हैं। मसलन धूप, आंधी, बरसात के कारण फसलें खराब न होने की चिंता नहीं, पक्षी व अन्य जानकर फसलों को नुक्सान नहीं पहुंचा सकते, फसल के चोरी होने की संभावना न के बराबर रहती हैं और दवाइयां स्प्रे करने की भी कुछ खास जरूरत नहीं पड़ती।

6 माह में खुले में स्टोर किए गए गेहूं की निकासी जरूरी
बताया जा रहा है कि सरकारी आदेशों के मुताबिक खरीद एजैंसियों को खुले में स्टोर किए गए अनाज की निकासी 6 महीने के अंदर करनी जरूरी है ताकि गोदामों में पड़े अनाज को खराब होने से बचाया जा सके। अगर निर्धारित समय में ऐसा नहीं हो पाता तो कथित तौर पर पॉलिसी के मुताबिक उस माल की बिक्री खुले बाजार में की जा सकती हैं जबकि कवर्ड गोदामों में पड़े अनाज के लिए सरकारी पॉलिसी में कुछ अलग नीतियों तय की गई हैं।
 

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