Edited By Updated: 20 Jan, 2017 03:29 PM
कड़ाके की सर्दी के बावजूद मुनाफे की तो बात छोडि़ए जनाब, इस बार तो लागत से कम कीमत पर गर्म कपड़े बेचकर बस जैसे-तैसे रोजी रोटी चलाई
होशियारपुर(अमरेन्द्र): कड़ाके की सर्दी के बावजूद मुनाफे की तो बात छोडि़ए जनाब, इस बार तो लागत से कम कीमत पर गर्म कपड़े बेचकर बस जैसे-तैसे रोजी रोटी चलाई जा रही है। कारोबार तो बढऩे की बजाय घट गया है, जिससे हालात सुधरने की उम्मीद तो बस अब अगले साल ही की जा सकती है। कुछ इसी तरह के शब्दों से अपना दर्द बयां करते नजर आ रहे हैं होशियारपुर के बाजारों में बड़े कारोबारी व छोटे दुकानदार। नोटबंदी के बाद से जहां सरकार की ओर से 50 दिन बाद हालात बदलने के वायदे किए गए थे, मगर यह बात बाजार पर लागू नहीं हो रही। ऐसा इसलिए है क्योंकि सभी बाजारों में जिस कद्र नोटबंदी के बाद से कारोबार ठप्प हुए, उसके बाद अब तक हालात संभलते नजर नहीं आ रहे हैं।
नहीं मिल रहे खरीदार
गर्म कपड़ों का बाजार तो नोटबंदी के बाद से ही ठप्प हो गया था, मगर अब जब सर्द मौसम अपने चरम पर है तो तब भी यहां गर्म कपड़ों का बाजार ठंडा पड़ा है। एक दुकान पर कर्मचारी का कहना था कि जो जैकेट हम 500 रुपए में सामान्य दिनों में बेचते थे, वही अब सड़क पर सेल लगाकर 200 रुपए में बेच रहे हैं। सड़क के किनारे गर्म जैकेट बेचने वाले दुकानदारों का कहना है कि उनके यहां नोटबंदी के दौरान बिहार व यू.पी. से आने वाले सभी मेहनतकश मजदूर व कर्मचारी अपने घरों को लौट गए। कुछ ऐसे भी हैं, जो मजबूरी में नहीं जा पाए और परिवार का पेट पालने को साइकिल रिक्शा चला रहे हैं।
रोजी-रोटी पर पड़ रही है मार
दुकानदारों के अनुसार जहां पहले माल पहुंचते ही हाथों हाथ बिकता चला जाता था वहीं आज इक्का-दुक्का ग्राहक ही पहुंच रहा है और महीनों पहले तैयार किया गया माल दुकानों में भरा पड़ा है। उम्मीद लगाई जा सकती है कि अगले साल सर्दियों में हालात ठीक हो सकता है। हम सरकार के निर्णय के कतई खिलाफ नहीं हैं मगर कहीं न कहीं कमी रह गई है जिससे हर व्यापारी की रोजी-रोटी पर मार पड़ी है।