Edited By Punjab Kesari,Updated: 25 Dec, 2017 02:59 PM
गांव गढ़ी फतेह खां से बलाचौर आई बारात का नजारा कुछ अलग था।
राहों (नवांशहर): गांव गढ़ी फतेह खां से बलाचौर आई बारात का नजारा कुछ अलग था। बारात के स्वागत में खड़े लोग उस समय भौचक्क रह गए जब बाराती तो बस और कारों से आए लेकिन दूल्हा रिक्शे पर था। फेरे के बाद दुल्हन की विदाई भी डोली में नहीं, रिक्शे में की गई। इतना ही नहीं, अगले दिन रिसेप्शन के नाम पर ब्लड डोनेशन कैंप लगाया। जहां लोग बधाई देने के साथ-साथ खून दान करते भी नजर आए।
ये शख्स हैं 28 साल के डॉक्टर लखविंद्र सिंह, जो दहेज के सख्त विरोधी हैं। उनका मकसद सिर्फ एक ही है, युवाओं को दहेज प्रथा और फिजूलखर्ची के खिलाफ जागरूक करना। अब तक गांव में बिना दहेज की 15 शादी करा चुके लखविंद्र ने ये पहले से ही तय कर रखा था कि वे अपनी शादी इस तरह करेंगे।
राहो के गांव गढ़ी फतेह खां के आरएमपी डॉक्टर लखविंद्र सिंह ने बलाचौर की आंगनबाड़ी वर्कर दविंदर कौर (27) से 21 दिसंबर को शादी की। लखविंद्र ने कहा कि वह शादी और रिसेप्शन में होने वाले फिजूलखर्ची के खिलाफ हैं। मैंने तय किया था कि शादी वहीं करूंगा, जहां के लोग मेरी इस सोच को आगे बढ़ाने में मदद करेंगे। हमारी सोच को हमारे परिवार वालों ने ही नहीं गांव वालों ने भी सराहा। रात को जब रिक्शे में दुल्हन पहुंची तो लोगों ने जबरदस्त फूलों की वर्षा की। दुल्हन ने भी इस सोच की तारीफ की।
दूल्हा-दुल्हन के अलावा परिजनों और गांव के करीब 30 लोगों ने रक्तदान किया। रक्तदान करने वालों के लिए चाय-नाश्ते से ज्यादा कुछ भी व्यवस्था नहीं की गई थी।