Edited By Punjab Kesari,Updated: 26 Sep, 2017 09:44 AM
लुधियाना में हुए पादरी हत्याकांड में आर.एस.एस., भाजपा व विश्व हिंदू परिषद का हाथ होने के दिए बयान पर विधानसभा में विपक्ष के नेता सुखपाल खैहरा की मुश्किलें बढ़ती जा रही हैं।
जालंधर (रविंदर शर्मा): पंजाब की राजनीति में मात्र 3 सीटों पर सिकुड़ कर रहने वाली भारतीय जनता पार्टी में सब कुछ अच्छा नहीं चल रहा है। एक तरफ प्रदेश भर में पार्टी के अंदर गुटबाजी हावी है तो दूसरी तरफ राजनीति लीला पर अब रामलीला भी भारी पड़ती नजर आ रही है।
भाजपा गुरदासपुर लोकसभा उपचुनाव में कांग्रेस व ‘आप’ से टक्कर ले रही है और पार्टी प्रत्याशी समेत तमाम नेताओं ने पूरी ताकत झोंक रखी है वहीं भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष पार्टी कार्यकत्र्ताओं को मोटीवेट करने की बजाय दिल्ली में रामलीला में व्यस्त हैं। वह रामलीला में निषादराज का रोल अदा कर रहे हैं।
हैरानी की बात है कि जिस भाजपा अध्यक्ष के कार्यकाल में पार्टी मात्र 3 सीटों पर सिमट गई हो और पार्टी के अंदर लगातार गुटबाजी को बढ़ावा मिल रहा हो, वही भाजपा अध्यक्ष पार्टी की मजबूती की बजाय जनता के सामने नए रूप में आ रहे हैं। पार्टी के अंदर ही इस बात को लेकर खासी खानाफूसी शुरू हो चुकी है और इसका जमकर विरोध भी हो रहा है।
2007 व 2012 में भाजपा ने प्रदेश की राजनीति में अच्छा रोल निभाया था। इसी कारण लगातार 2007 से लेकर 2017 तक अकाली-भाजपा गठबंधन सत्ता में रहा था। अकाली दल पर जहां नशे को लेकर सबसे ज्यादा प्रहार हुए वहीं व्यापार व उद्योग को चौपट करने के आरोप भी लगे तो दूसरी तरफ भाजपा नेताओं पर अकाली दल की कठपुतली बनने व जनता की आवाज न उठाने का आरोप लगता रहा। भाजपा के दिग्गज नेता लगातार जनता की आवाज ऊपर पहुंचाने की बजाय खुद की कुर्सी बचाने में लगे रहे और सत्ता का सुख भोगते रहे।
विजय सांपला की अगुवाई में पार्टी ने 2017 का विधानसभा चुनाव लड़ा और पार्टी 2012 की 12 सीटों से सिकुड़ कर 2017 में मात्र 3 सीटों पर पहुंच गई। जो पार्टी देश की सत्ता पर काबिज हो और जिसके प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी देश व विदेश में अपना असर छोड़ रहे हैं, उसी पार्टी के लिए राज्य में ऐसी स्थिति बेहद ङ्क्षचता का विषय रही है। उम्मीद थी कि चुनावों के बाद हाईकमान बड़े स्तर पर पार्टी संगठन में बदलाव करेगी, मगर ऐसा न हो सका और गुटबाजी लगातार जारी रही। अभी कुछ दिन पहले ही जालंधर में पार्टी के दिग्गज नेताओं की मीटिंग के दौरान भी पार्टी की अंदरूनी फूट खुलकर सामने आ गई थी।
अब नए एपिसोड में एक तरफ जहां पार्टी अपनी पूरी ताकत गुरदासपुर उपचुनाव में झोंक रही है तो पार्टी के सरताज विजय सांपला चुनावों में पार्टी कार्यकत्र्ताओं का हौसला बढ़ाने की बजाय रामलीला में रोल करने को तरजीह दे रहे हैं। प्रदेश भाजपा अध्यक्ष का यह नया रोल व नया रूप पार्टी कार्यकत्र्ताओं व हाईकमान और जनता को कितना भाता है यह तो आने वाला समय ही बताएगा, फिलहाल अंदर ही अंदर इसको लेकर कानाफूसी काफी तेज हो गई है।