Edited By Punjab Kesari,Updated: 31 Jan, 2018 10:28 AM
कन्फैडरेशन ऑफ पंजाब अनएडिड मैनेजमैंट एसो. की प्रैस कान्फ्रैंस चेयरमैन अश्विनी सेखड़ी और प्रैजीडैंट अनिल चोपड़ा की निर्देशों पर जालंधर में की गई
जालंधर (विशेष): कन्फैडरेशन ऑफ पंजाब अनएडिड मैनेजमैंट एसो. की प्रैस कान्फ्रैंस चेयरमैन अश्विनी सेखड़ी और प्रैजीडैंट अनिल चोपड़ा की निर्देशों पर जालंधर में की गई, जिसमें पंजाबभर से सैंकड़ों अनएडिड संस्थानों की मैनेजमैंट कमेटियों के मैम्बर्स और शिक्षा क्षेत्र से जुड़ी विभिन्न राज्यों के एसो. के प्रतिनिधियों विपिन शर्मा, सुभाष चंद्र, सुमांशु गुप्ता, पूजा ओहरी, सुखजिन्द्र सिंह, चेरी सिंह, नितेश कुमार गर्ग, अनूप बेरी, राजिन्द्र सिंह धनोया, डा. प्रवीण बेरी, दीपक मित्तल, संजीव चोपड़ा, गुरप्रीत सिंह चीता, मंजीत सिंह, गुरदेव सिंह, राकेश बजाज आदि उपस्थित हुए।
सेखड़ी ने बताया कि मीटिंग में सरकार द्वारा पोस्ट मैट्रिक स्कालरशिप एस.सी. के लिए बकाया राशि काफी लम्बे समय से न दिए जाने से अनएडिड संस्थाओं की मैनेजमैंट कमेटियों में भारी रोष पाया जा रहा है। उन्होंने कहा कि इन संस्थानों को बनाने के लिए पंजाब के लोगों ने हजारों-करोड़ों रुपए लगाया है। अनएडिड संस्थाओं की मैनेजमैंट कमेटियों ने पंजाब में निवेश कर संस्कार शिक्षा प्रदान करने के मुख्य फर्ज को पूरा करने में पूरा योगदान डाला है।
इन शिक्षण संस्थाओं ने अनुसूचित जाति के छात्रों को शिक्षित करने के लिए सरकार का भरपूर साथ दिया और फीसों के बिना ही लाखों अनुसूचित जाति के छात्रों को तकनीकी और अकादमिक शिक्षा प्रदान की, पर समय की सरकार ने इन संस्थाओं के साथ अन्याय करते हुए वर्ष 2015 से अनुसूचित जाति के छात्रों की हजारों करोड़ की राशि को अभी तक लटकाया हुआ है। समय-समय पर जांच के नाम पर इन संस्थाओं को परेशान किया गया और केंद्र सरकार से सहायता प्राप्त इस स्कीम के पैसों को समय पर प्राप्त कर भी इन संस्थाओं को जारी नहीं किया गया।
पंजाब के सभी शिक्षण संस्थानों की अब तक लगभग 1700 करोड़ की राशि बकाया है। पंजाब में 1650 अनएडिड शिक्षण संस्थान हैं, जिसमें लगभग कालेजों में ही पढऩे वाले एस.सी. छात्रों की संख्या 3 लाख 40 हजार है। उन्होंने मौजूदा सरकार को कहा कि जैसे अखबारों में बयान देकर यह प्रभाव बनाया गया है कि इस स्कीम द्वारा कालेजों ने कोई घोटाला किया है या अनुसूचित जाति के छात्रों के अधिकारों का हनन किया है जोकि असलियत से कोसों दूर है। कुछ छात्रों ने एक वर्ष में एक से ज्यादा स्थानों पर स्कालरशिप अप्लाई कर दिया था।
संस्थाओं द्वारा समय-समय पर जांच कर अपने लैवल पर इसे छात्रों के बड़ी संख्या में क्लेम रद्द करवा दिए थे। पंजाब सरकार भारत सरकार की नीति की 1 मद की गलत विशलेषण करके वर्ष 2011 से इस स्कीम का आडिट कर रही है, जिसके चलते हरेक उस छात्र का 23 वर्षों का क्लेम रद्द किया जा रहा है, जिसने अपना कोर्स पूरा नहीं किया, जबकि संस्थाओं ने उन छात्रों को पढ़ाया है।
इसके साथ ही कुछ कोर्सों की फीस सरकार द्वारा अनएडिड संस्थाओं के लिए तय फीस से घटाकर सरकारी कालेजों के बराबर कर भी उसमें कटौती की जा रही है, जोकि इन संस्थाओं के साथ सरासर नाइंसाफी है। इस राशि के लेट जारी होने के कारण इन संस्थानों की मैनेजमैंट कमेटियां बैंकों से डिफाल्टर हो रही हैं। स्टाफ की 6 माह से भी अधिक सैलरी बकाया है। अगर यह राशि जल्द रिलीज न हुई तो कर्ज के साथ डूबे किसानों के बाद आत्महत्या करने वालों की एक और श्रेणी होगी, जो इन मैनेजमैंट कमेटियों के मैम्बरों की होगी।