Edited By Punjab Kesari,Updated: 12 Mar, 2018 11:47 AM
13 अप्रैल 1919 को जलियांवाला बाग नरसंहार को आंखों से देखकर लंदन जाकर 13 मार्च 1940 को माइकल ओ डायर को गोली मारने वाले देश के नायक ऊधम सिंह की प्रतिमा 13 मार्च 2018 को उसी जलियांवाला बाग में स्थापित की जा रही है, जहां से उन्होंने देश को अंग्रेज मुक्त...
अमृतसर(स.ह./नवदीप/कक्कड़): 13 अप्रैल 1919 को जलियांवाला बाग नरसंहार को आंखों से देखकर लंदन जाकर 13 मार्च 1940 को माइकल ओ डायर को गोली मारने वाले देश के नायक ऊधम सिंह की प्रतिमा 13 मार्च 2018 को उसी जलियांवाला बाग में स्थापित की जा रही है, जहां से उन्होंने देश को अंग्रेज मुक्त करवाने की सौगंध खाई थी। देश आजाद हो गया, लेकिन इस नायक को भुला दिया गया।
जलियांवाला बाग हत्याकांड का बदला लेने वाले ऊधम सिंह की फांसी के 78 वर्षों बाद करीब नौ लाख से तैयार करवाई गई 11 फुट ऊंची प्रतिमा लगाने के लिए अंतर्राष्ट्रीय सर्व कम्बोज समाज ने मोहाली से तैयार करवाई है, जिसे स्थापित करने के लिए देश के गृहमंत्री राजनाथ सिंह व पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंद्र सिंह को मुख्यातिथि बनाया गया है। केन्द्रीय मंत्री हरसिमरत कौर के साथ-साथ पूर्व कैबिनेट मिनिस्टर विक्रम सिंह मजीठिया को भी खास तौर पर न्यौता भेजा गया है।
मीडिया से रू-ब-रू होते समाज के हरमीत कम्बोज उर्फ पम्मा, मलकीयत सिंह, शिंद्रपाल सिंह, जोङ्क्षगद्रपाल सिंह, प्रो. परमजीत सिंह, अमरजीत सिंह, रविंद्र सिंह, अंकुश व खुशवंत राय कहते हैं कि देश को आजादी दिलाने के लिए ऊधम सिंह का बड़ा योगदान रहा है, उन्होंने जलियांवाला बाग हत्याकांड का बदला लिया। 78 वर्षों बाद उन्हें जलियांवाला बाग में 10 फुट की जगह दी जा रही है, खुशी की बात है कि जलियांवाला बाग 13 मार्च को सलामी देगा। ऊधम सिंह का उक्त बुत देश-विदेश में 47वें नंबर होगा। हर्ष की बात यह है कि ऊधम सिंह हमारी कम्बोज समाज का सबसे बड़ा हीरो है, जो देश का भी रीयल हीरो है।