करोड़ों के ट्रस्ट घोटाले में बोला सतनाम सिंह: बड़ी मछलियों ने साजिश के तहत फंसाया

Edited By Punjab Kesari,Updated: 23 Sep, 2017 01:05 PM

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स्थानीय इम्प्रूवमैंट ट्रस्ट (नगर सुधार ट्रस्ट) कार्यालय में पिछले कुछ वर्षों में हुए करोड़ों के घोटाले में उस समय नया मोड़ सामने आया, जब ट्रस्ट के अकाऊंट क्लर्क सतनाम सिंह ने खुद को निर्दोष बताते हुए चुपके से दायर की गई अग्रिम जमानत याचिका पर...

अमृतसर (महेन्द्र): स्थानीय इम्प्रूवमैंट ट्रस्ट (नगर सुधार ट्रस्ट) कार्यालय में पिछले कुछ वर्षों में हुए करोड़ों के घोटाले में उस समय नया मोड़ सामने आया, जब ट्रस्ट के अकाऊंट क्लर्क सतनाम सिंह ने खुद को निर्दोष बताते हुए चुपके से दायर की गई अग्रिम जमानत याचिका पर स्थानीय सैशन कोर्ट में वीरवार को सुनवाई शुरू हुई। 

दायर अग्रिम जमानत याचिका में उसका कहना था कि वह इस मामले में पूरी तरह से निर्दोष है और एक मामूली क्लर्क है, जबकि ट्रस्ट में तैनात रहे बड़े-बड़े अधिकारियों ने एक साजिश के तहत उसका समय-समय पर इस्तेमाल किया था, लेकिन प्रॉसीक्यूशन द्वारा उसकी अग्रिम जमानत याचिका का कड़ा विरोध किए जाने के पश्चात स्थानीय अतिरिक्त जिला एवं सैशन जज जसपिन्द्र सिंह हेर की अदालत ने फिलहाल स्थानीय इम्प्रूवमैंट ट्रस्ट के कथित आरोपी अकाऊंट क्लर्क सतनाम सिंह को कोई भी राहत न देते हुए उसकी अग्रिम जमानत याचिका का खारिज कर दिया है। इस मामले में सभी आरोपी अभी तक भूमिगत ही चल रहे हैं। हालांकि पुलिस ने सभी के लुक आऊट नोटिस भी जारी कर रखे हैं। 

 उल्लेखनीय है कि स्थानीय इम्प्रूवमैंट ट्रस्ट कार्यालय में करोड़ों रुपए का घोटाला सामने आने पर स्थानीय निकाय विभाग पंजाब के पिं्रसीपल सचिव एवं आई.ए.एस. अधिकारी सतीश चन्द्रा द्वारा जारी की गई रिपोर्ट के आधार पर स्थानीय थाना सिविल लाइन में स्थानीय ट्रस्ट कार्यालय में डी.सी.एफ.ए. (डिप्टी कंट्रोलर फाइनांस एंंड अकाऊंट) अफसर रह चुके प्रमुख कथित आरोपी दमन भल्ला के साथ साथ ट्रस्ट के ई.ओ. रह चुके अरविंद शर्मा, परमजीत सिंह, दयाल चंद गर्ग, महिला अकाऊंट अफसर टीना वोहरा, अकाऊंट क्लर्क सतनाम सिंह तथा विभाग का आडिट करने वाले सी.ए. संजय कपूर के खिलाफ भा.दं.सं. की धारा-420/467/ 468/471/409/120-बी तथा भ्रष्टाचार निरोधक कानून की धारा-7, 13(1), 13(1)ए,बी,सी,डी के तहत 9-9-2017 को मुकद्दमा नंबर 450/2017 दर्ज किया गया था।

इसकी जांच के लिए कमिश्नर पुलिस ने तत्कालीन ए.डी.सी.पी. क्राइम परमजीत सिंह के नेतृत्व में 4 सदस्यों की एस.आई.टी. (स्पैशल इन्वैस्टीगेशन टीम) गठित की थी, लेकिन एस.आई.टी. के चेयरमैन परमजीत सिंह का स्थानातंरण होने के कारण इस टीम के चेयरमैन हरजीत सिंह धालीवाल बनाए गए हैं। एफ.आई.आर. दर्ज करने हेतु पत्र लिखने वाला ई.ओ. खुद भी बना आरोपी : इस मामले में सबसे हैरत की बात यह भी है कि करोड़ों का घोटाला सामने आने पर स्थानीय नगर सुधार ट्रस्ट के चेयरमैन-कम-डिप्टी कमिश्नर कमलदीप सिंह संघा ने ट्रस्ट के ई.ओ. दयाल चंद गर्ग को कथित आरोपियों के खिलाफ एफ.आई.आर. दर्ज करवाने के लिए पुलिस कमिश्नर को पत्र लिखने को कहा था।

डिप्टी कमिश्नर संघा के निर्देशानुसार ई.ओ. दयाल चंद गर्ग ने ही सबसे पहले पुलिस कमिश्नर एस. श्रीवास्तव को कथित आरोपियों के खिलाफ एफ.आई.आर. दर्ज करने के लिए पत्र लिखा था, लेकिन चंडीगढ़ से मामले की जांच करने पहुंचे सी.वी.ओ. (चीफ विजीलैंस अफसर) एस.एस. मानक द्वारा रिकार्ड की जांच पड़ताल करने के पश्चात ट्रस्ट के ई.ओ. दयाल चंद गर्ग को भी कहीं न कहीं कसूरवार बताया गया था।

उन पर आरोप है कि फर्जी बैंक खाते से संबंधित उन्होंने भी 2 चैंकों पर हस्ताक्षर किए थे। हालांकि उनका यह कहना था कि उन्हें इस सीट पर आए अभी बहुत समय नहीं हुआ था। उन्हें मालूम ही नहीं था कि संबंधित बैंक खाते फर्जी थे। इसी तरह अकाऊंटैंट टीना वोहरा तथा कुछ ही समय के लिए अतिरिक्त चार्ज के तौर पर ई.ओ. के पद पर रहे परमजीत सिंह भी खुद को निर्दोष बताते रहे हैं, बावजूद इसके सी.वी.ओ. की जांच रिपोर्ट के आधार पर इन्हें भी कसूरवार पाए जाने के कारण उन्हें भी इस मामले में कथित आरोपियों के तौर पर नामजद किया गया है। 
 

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