Edited By Punjab Kesari,Updated: 04 Sep, 2017 04:31 PM
विगत दिनों एक के बाद एक घटित हुई रेल दुर्घटनाओं ने लोगों में रेल मंत्रालय के साथ-साथ केन्द्र सरकार के विरुद्ध रोष भर दिया और तो और
लुधियाना(विपन): विगत दिनों एक के बाद एक घटित हुई रेल दुर्घटनाओं ने लोगों में रेल मंत्रालय के साथ-साथ केन्द्र सरकार के विरुद्ध रोष भर दिया और तो और कथित तौर पर मंत्रिमंडल विस्तार के दौरान रेलमंत्री का विभाग बदले जाने की एक बड़ी वजह भी इन ट्रेन दुर्घटनाओं को माना जा सकता है। लेकिन क्या गारंटी है कि रेलमंत्री के बदले जाने के बाद देश में ऐसी अफसोसनाक घटनाओं पर अंकुश लग पाएगा। रेल मंत्रालय को इन दुर्घटनाओं के घटित होने के कारणों की तह तक जाने की जरूरत है जिससे ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति पर पूर्णतया अंकुश लगाया जा सके। लोगों की राय में ऐसी ट्रेन दुर्घटनाओं का घटित होना केन्द्र सरकार द्वारा रेल पटरियों पर नई तेज गति ट्रेनें व बुलेट ट्रेनें चलाने के लिए किए जा रहे कार्यों पर जहां सवालिया निशान लगाता है वहीं सरकार द्वारा किए जाने वाले विकास कार्यों के प्रति भारी निराशा पैदा करता है।
सुरक्षित यात्रा लेने का हक प्रत्येक यात्री का
रेलवे द्वारा जितना किराया तय किया जाता है, यात्री उतना किराया भर कर अपने गंतव्य पर निकलने के लिए ट्रेन पकड़ता है लेकिन अगर उसके गंतव्य पर पहुंचने से पहले ट्रेन हादसाग्रस्त हो जाती है जिसमें भगवान न करे वे घायल हो जाएं या मौत के काल का ग्रास बन जाएं तो उसके लिए किस को दोषी माना जाना चाहिए। लोगों का कहना है कि सरकार अगर लोगों से उसके द्वारा तय किया गया पूरा किराया लेती है तो लोगों को सुरक्षित यात्रा प्रदान करना भी उसका प्राथमिक कत्र्तव्य है।
ट्रेन दुर्घटनाओं पर अंकुश लगाने के लिए सरकार उठाए ठोस कदम
जब भी कोई ट्रेन दुर्घटना घटित होती है उसके बाद जांच कमेटी गठित कर दी जाती है और कुछेक अधिकारियों, कर्मचारियों को जिम्मेदार ठहरा उन पर गाज गिरा उनके खिलाफ कड़ी कार्रवाई कर दी जाती है लेकिन इस बार एक के बाद एक घटित हुई ट्रेन दुर्घटनाओं के चलते बात निम्रस्तर के अधिकारियों या कर्मियों तक ही नहीं रुकी बल्कि रेलवे बोर्ड के चेयरमैन को इस्तीफा देना पड़ा व रेलमंत्री सुरेश प्रभु को भी अपने इस्तीफे की पेशकश करनी पड़ी जिसे उस समय स्वीकार तो नहीं किया गया लेकिन मंत्रिमंडल विस्तार में उनका विभाग बदल उनके स्थान पर पीयूष गोयल को रेलमंत्री का पदभार सौंप दिया गया। जनता का सवाल है कि क्या पीयूष गोयल ऐसी दुखदायी घटनाओं पर अंकुश लगा पाएंगे। अब रेल मंत्रालय इस तरफ देखेगा कि ऐसी दुर्घटनाएं बार-बार क्यों घटित हो जाती हैं, इनको आगे कैसे रोका जाए। क्या पहले इस तरफ कोई ठोस कदम उठाए गए हैं अगर हां तो फिर आज तक नतीजे निराशाजनक क्यों हैं।