Edited By Punjab Kesari,Updated: 01 Jan, 2018 08:39 PM
नए साल के पहले महीने ही पटियालवियों समेत मालवियों की जेब पर डाका पडऩा शुरू हो जाएगा। चंडीगढ़ से बठिंडा रास्ता, पटियाला मलाई जैसी सड़क का नजारा लेने के लिए अब लगभग कार के तेल जितना ही टोल टैकस अदा करना पड़ेगा। बठिंडा से चंडीगढ़ पहुंचने के लिए मलाई...
पटियाला(जोसन): नए साल के पहले महीने ही पटियालवियों समेत मालवियों की जेब पर डाका पडऩा शुरू हो जाएगा। चंडीगढ़ से बठिंडा रास्ता, पटियाला मलाई जैसी सड़क का नजारा लेने के लिए अब लगभग कार के तेल जितना ही टोल टैकस अदा करना पड़ेगा। बठिंडा से चंडीगढ़ पहुंचने के लिए मलाई जैसी सड़क का नजारा लेने के लिए 5 टोल प्लाजों से गुजरना पड़ेगा। इनमें से 5 टोल बैरियरों में से 2 शुरू हो चुके हैं और 3 जल्दी जनवरी महीने में शुरू होने जा रहे हैं। यह भी बताने योग्य है कि बठिंडा से चंडीगढ़ तक यदि बस में जाना हो तो 220 रुपए किराया लगता है, जबकि डीजल कार में करीब 500 के आसपास तेल लगता है। इसलिए अब इन 5 टोल बैरियरों पर भी लगभग इतना ही टैकस अदा करना पड़ सकता है। हर टोल पर 100 रुपए के आसपास पर्ची कटानी पड़ा करेगी।
कहां लग रहे हैं यह टोल टैकस
बठिंडा से चलते समय पहला टोल प्लाजा भुच्चो मंडी के नजदीक गांव लहराबेघा, दूसरा बरनाला के पास गांव बडबर, तीसरा भवानीगढ़ के पास गांव कालाझाड गांव, चौथा राजपुरा के पास धरेड़ी जाट्टां और पांचवां बैरियर जीरकपुर के पास लगाया जा रहा है। इनमें से बडबर और कालाझाड़ बैरियर शुरू हो चुके हैं, जबकि बाकी इसी महीने ही शुरू होने जा रहे हैं।
बठिंडा से चंडीगढ़ की दूरी लगभग 220 किलोमीटर के करीब है, जिस का 1 तरफ का किराया प्रति सवारी 220 रुपए के करीब है। जबकि 5 टोल बैरियरों पर लगभग 500 रुपए के करीब टोल टैकस अदा करना पड़ सकता है। समय बेशक कम लगेगा परन्तु इस के साथ ही चंडीगढ़ जाने वाले व्यक्तियों को अपनी जेब भी ढीली करनी पड़ेगी। जितनी तेजी के साथ सड़क का निर्माण चल रहा है, उससे भी जल्दी तीन जगह टोल टैकस बैरियर लगाने का काम भी चल रहा है। चारों मार्गी सड़क का निर्माण होने के बाद जहां बठिडा से चंडीगढ़ जाने वाले राहगीरों के समय की बचत होगी, वहीं अनुमान है कि सड़क दुर्घटनाओं में भी कमी आएगी। परंतु टोल टैकस कटाकर जेब भी ढीली करनी पड़ेगी।
सड़क के प्रोजैक्ट पर आ रहा है 3 हजार करोड़ का खर्च
इस प्रोजैक्ट पर करीब 3000 करोड़ रुपए का खर्च आएगा। बठिंडा से चंडीगढ़ जाते समय करीब 25 फलाई ओवर/पुल, रेलवेब्रिज और अंडरपास तैयार किए जाने हैं। बेशक यह सड़क लगभग 95 प्रतिशत बन चुकी है, परन्तु जो फलाईओवरों का काम चल रहा है, वह भी पूरे जोरों पर है और जल्दी ही मुकम्मल हो जाएगा। बता दें कि इस सड़क का प्रोजैक्ट मार्च 2017 में तैयार हो जाना था, परन्तु सड़क का काम कुछ बढ़ जाने कारण प्रोजैक्ट लेट हो गया और मयाद बढ़ा दी।
जनवरी 2018 के अंत तक मुकम्मल होने के आसार
इस सड़क की मियाद पहले मार्च 2017 थी, फिर बढ़कर अक्तूबर 2017 कर दी थी। इस के बाद भी काम सिरे नहीं चढ़ा और अब जनवरी 2018 के अंत तक मुकम्मल होने के आसार हैं। इस प्रोजैक्ट का ठेका कई कंपनियों के पास है। यदि पटियाला से जीकरपुर की बात करें तो कुल 60 किलोमीटर का रास्ता है। इस को फोरलेन करने के लिए 2 हिस्सों में बांट दिया गया है। पटियाला से राजपुरा और राजपुरा से जीरकपुर हिस्से बनाए गए हैं। प्रोजैक्ट की लागत 600 करोड़ रुपए है। प्रोजैक्ट का काम साल 2015 में शुरू हुआ था। इस प्रोजैक्ट का काम पूरे जोरों के साथ रात दिन करके लगभग सिरे चढ़ा दिया गया है और कुछ फलाईओवरों का काम अधूरा है, जो जारी है और 1 महीने के अंदर समाप्त होने की आशा है।
इस फोरलेन में 12 पुल और अंडरपास तैयार किए जा रहे हैं। इस समय पटियाला के नजदीक अर्बन अस्टेट में फलाईओवर का काम चल रहा है, जो जल्दी मुकम्मल होने की ऊमीद है, जबकि राजपुरा बाइपास में रेलवे फाटक पर बन रहे, फलाईओवर को मुकम्मल कर लिया है। इस सभी प्रोजैक्ट के मुकम्मल होने के बाद पटियाला-जीरकपुर-चंडीगढ़ का रास्ता जो इस समय लगभग डेढ़ घंटे का है, वह कम कर 40-50 मिट का ही रह जाएगा। इस के साथ जहां आम लोगों को और ज्यादा फायदा होगा, वहीं ही टोल टैकस कटा कर जेब भी हलकी करनी पड़ेगी।