Edited By Punjab Kesari,Updated: 07 Aug, 2017 01:29 PM
देश के लोगों ने बेशक आजादी का जश्न 1947 में मना लिया हो पर देश में आज भी हजारों किसान ऐसे हैं जो आजादी से 47 साल पहलेका कानून झेल रहे हैं।
बात हो रही है कृषि प्रधान राज्य पंजाब के उन किसानों की जो अंग्रेजों द्वारा वर्ष 1900 में बनाए पंजाब भूमि...
गढ़शंकर (शोरी): देश के लोगों ने बेशक आजादी का जश्न 1947 में मना लिया हो पर देश में आज भी हजारों किसान ऐसे हैं जो आजादी से 47 साल पहलेका कानून झेल रहे हैं।
बात हो रही है कृषि प्रधान राज्य पंजाब के उन किसानों की जो अंग्रेजों द्वारा वर्ष 1900 में बनाए पंजाब भूमि सुरक्षा एक्ट के आगे आज भी खुद को लाचार पा रहे हैं।
इन किसानों की दास्तान सुनने के लिए किसी राजनेता या सरकारी बाबू के पास समय नहीं है पर इनकी जमीन पर तिरछी नजर जरूर रहती होगी। इस एक्ट की धारा-4 व 5 के कारण जमीन का मालिक अपनी ही जमीन पर कई प्रकार के काम कर सकता है। अथवा यूं कह लें कि जमीन की मालिकी किसान के पास है पर काम सरकारी आदेशानुसार ही होता है।
चुड़ैल बूटी भी बनी हुई है बड़ी समस्या
इस एक्ट के अंतर्गत पड़ती जमीन पर सबसे बड़ी समस्या किसानों के लिए यह है कि यहां पर लैनटाना (पंच फूली), जिसे स्थानीय लोग चुड़ैल बूटी भी कहते हैं, का बड़ी मात्रा में खेतों पर कब्जा रहता है। इसको नष्ट करने के लिए कई बार आग लगाई जाती है पर यह पुन: जमीन से निकल पड़ती है, जमीन से इसे उखाडऩा किसान के बस की बात नहीं क्योंकि हाथों से यह निकलती नहीं और मशीनरी विभाग प्रयोग करने नहीं देता। इसी वजह से ज्यादातर क्षेत्र बंजर पड़े हुए हैं।
ये हैं भूमि सुरक्षा एक्ट की बंदिशें
पंजाब भूमि सुरक्षा एक्ट 1900 के अंतर्गत सैक्शन-4 व 5 के अंतर्गत आने वाली जमीन के मालिक किसानों को यूं तो काफी परेशानियां हैं पर इनमें प्रमुख हैं-जमीन पर किसी प्रकार की मशीनरी का प्रयोग नहीं किया जा सकता है। जैसे जे.सी.बी., बुल्डोजर, अर्थमूवर आदि, जमीन से पत्थर नहीं निकाले जा सकते, जमीन के भौगोलिक स्तर को बदला नहीं जा सकता, अपनी ही जमीन से किसी प्रकार के वृक्ष काटने हों तो पहले वन विभाग से आज्ञा लेनी पड़ती है जोकि कई गांवों में 5 वर्ष में एक बार मिलती है।
जमीन न बेचने की शर्त पर हटाया जा सकता है एक्ट
यदि यह एक्ट उन क्षेत्रों से हटा लिया जाए जो वर्तमान स्थिति में खेती व फैक्टरियों के लिए उपयुक्त है तो बिना शक किसान खुशहाल होगा व कारखाने लगाने से कारोबार बढ़ेगा। यदि सरकार को यह संदेह है कि ऐसा करने से किसानों की जमीन बड़े-बड़े लोग खरीद लेंगे तो यह एक्ट खत्म करते ही साथ में जमीन न बेचने की शर्त लगा सकते हैं। इससे किसान की जमीन भी बच जाएगी व उसे अपनी जमीन पर मनमर्जी से फसल लगाने की इजाजत मिल जाएगी।
अधूरी आजादी साबित हुआ 2012 का नोटीफिकेशन
पंजाब सरकार द्वारा वर्ष 2012 में अपने नोटीफिकेशन नंबर 39/13/2011 एफ.टी.-3/6392 द्वारा इस एक्ट के अंतर्गत पड़ते पंजाब में जिला होशियारपुर, पठानकोट, रोपड़, नवांशहर आदि के किसानों की जमीन को 30 वर्ष के लिए बाहर कर दिया था पर साथ में जो शर्तें लगाईं वे आधी-अधूरी आजादी के रूप में ही किसानों के लिए साबित हुई हैं।
जिन क्षेत्रों से उक्त धाराएं उठाई गई वहां पर किसानों को 5 प्रकार के वृक्ष काटने की इजाजत है, जिनमें सफेदा, डेक, पापुलर, तूत व बबूल शामिल हैं। जमीन पर मशीनरी का प्रयोग वॢजत है, सतह से छेड़छाड़ नहीं की जा सकती और किसी प्रकार का कमॢशयल इस्तेमाल पूर्णतया मना है। यह डीलिस्ट वर्ष 1996 की गिरदावरी को मुख्य रखते की गई थी जबकि उपरांत इसके 2 बार गिरदावरी हो चुकी होगी, यदि पुन: विचार सरकार करे तो अब और क्षेत्र इस दफा से बाहर किए जा सकते हैं क्योंकि इस क्षेत्र में अब कंडी नहर भी बन चुकी है।