Edited By Updated: 24 Apr, 2017 05:28 PM
गांव ओठियां के किसानों के लिए नवजोत सिंह सिद्धू द्वारा दिखाई गई दरियादिली का कारण सामने आ गया है।
अमृतसर:गांव ओठियां के किसानों के लिए नवजोत सिंह सिद्धू द्वारा दिखाई गई दरियादिली का कारण सामने आ गया है। दरअसल, राजासांसी में शार्ट सर्किट से 300 एकड़ फसल क्षतिग्रस्त हो गई थी,जिसके बाद पीड़ित किसानों को सिद्धू ने अपनी जेब से मुअावजा देने का एेलान किया था। इसे उनकी दरियादिली कहा जा रहा है। यह उनकी दरियादिली नहीं बल्कि वोटरों द्वारा 8 साल किए गए एहसान को उतारने का उनका तरीका है। सिद्धू का कहना है कि यह वे लोग हैं जिन्होंने उन्हें 16 हजार वोट से तब जिताया था जब वह 50 हजार मतों के अंतर से पराजित हो रहे थे।
यह कहानी शुरू होती है लोकसभा चुनाव 2009 से जब देश भर में कांग्रेस की आंधी थी। इस चुनाव में सिद्धू 6858 वोट से जीत हासिल करने में सफल हुए थे। उनकी इस जीत में राजासांसी के साथ-साथ मजीठा, अटारी, अजनाला और अमृतसर दक्षिणी के वोटरों का हाथ था।उस समय 4 ग्रामीण इलाकों में सिद्धू ने 49,424 वोटों की लीड हासिल की थी। अटारी से सिद्धू को 5760,अजनाला से 8014, राजासांसी से 15249, अमृतसर साउथ से 1837 और मजीठा से 20401 वोटों की लीड हासिल हुई थी।इस चुनाव में सिद्धू उत्तरी सीट से 5106, अमृतसर पश्चिमी सीट पर 20,897 और अमृतसर केंद्रीय हलके से 10064 मतों के अंतर से पिछड़े थे। पूरे जिले में विरोधी उम्मीदवार को सिद्धू के मुकाबले 8331 मत अधिक प्राप्त हुए थे। इस लिहाज से नवजोत सिंह सिद्धू शहर की 4 बड़ी सीटों पर 44,398 वोटों पर पिछड़ गए थे। शहर की अकेली सीट थी, जहां नवजोत सिंह सिद्धू को केवल 1837 वोटों की लीड मिली थी।
इस लीड कारण ही वह कांग्रेस उम्मीदवार को हासिल हुई लीड 42561 को कम करने में सफल हुए थे।उस समय ग्रामीण वोटरों ने नवजोत सिंह सिद्धू की साख बचाई थी। सिद्धू को अक्सर कर्ज में डूबे रहने वाले पंजाब के किसान की तरफ से 8 साल पहले चढ़ाया गया कर्ज उतारने का अब समय मिला तो उन्होंने यह ऐलान कर दिया। हालांकि उनके द्वारा किसानों को की गई मदद को दरियादिली के तौर पर देखा जा रहा था,परन्तु विपक्ष इस मामले को अलग तरीके से उछाल रहा है। सिद्धू के इस बयान के बाद अकाली दल और आम आदमी पार्टी उन पर निशाना साध रही है। बहरहाल खराब मौसम और आग लगने के कारण नुकसानी गई फसल के मुआवजे के लिए जमीन की गिरदावरी होने को अभी समय लगेगा और सरकारी कार्रवाई पूरी होने के बाद स्पष्ट हो सकेगा कि नवजोत सिंह सिद्धू अपनी जेब में से किसानों को कितनी मदद देंगे । इस मदद को सिद्धू द्वारा वोटरों के एहसान उतारने का तरीका बताए जाने को लेकर राजनीति भी शुरू हो गई है । यह विवाद कहां से तक जाता है, यह देखने वाली बात होगी।