Edited By Updated: 23 Mar, 2017 04:42 PM
चाहे आज महिला हर पक्ष में पुरुषों से आगे है। बुलंदिया छुने के बावजूद उसे खुद फैसले लेने का अधिकार नहीं है।
जालंधरः चाहे आज महिला हर पक्ष में पुरुषों से आगे है। बुलंदिया छुने के बावजूद उसे खुद फैसले लेने का अधिकार नहीं है। पंजाब सरकार में 2 महिला विधायकों को राज्यमंत्री का पद दे दिया गया,लेकिन उनके लिए फैसलें लेना अासान नहीं है। पंजाब में नई सरकार ने सरकारी नौकरियों में महिलाओं को 33 फीसदी आरक्षण देने के साथ निकाय चुनाव में 50 फीसदी सीटें देने का ऐलान किया है। इसके बावजूद महिलाओं के लिए शायद स्वतंत्र रूप से फैसले ले पाना मुश्किल है। राज्यमंत्री अरुणा चौधरी ने अपना ऑफिस तो संभाल लिया है, लेकिन उनका सारा कामकाज उनके पति अशोक चौधरी की निगरानी में हो रा है। शिक्षा राज्यमंत्री के ऑफिस में अरुणा चौधरी के साथ ही उनके पति की भी कुर्सी लग गई है। अधिकारी सभी फाइलें अशोक चौधरी के पास ही ले जा रहे हैं।
वहीं उनके दफ्तर का एक वीडियो वायरल हुआ जिसे देख कर ऐसा लग रहा है कि मानो मंत्री अरुणा चौधरी नहीं बल्कि अशोक चौधरी हैं। वह किसी महिला की नौकरी के बारे में फोन पर किसी अधिकारी से सिफारिश कर रहे थे,लेकिन जब दूसरी ओर से अधिकारी ने संबंधित महिला के कामकाज को सब-स्टैंडर्ड बताते हुए असमर्थता जताई तो उन्होंने कहा कि वो महिला पांच साल से काम कर रही है। अब सब-स्टैंडर्ड हो गई...? कोई बात नहीं, आप नहीं मान रहे तो ठीक है। किसी दिन हम आपके स्कूल में आकर देखेंगे कि कितना स्टैंडर्ड है....?
किसी अधिकारी को आदेश देने का अधिकार मंत्री को तो है, लेकिन मंत्री के रिश्तेदार भी यह काम करने लगें तो उस विभाग का क्या होगा, इस बात का अंदाजा लगाया जा सकता है। इस वीडियो के संबंध में शिक्षा मंत्री अरुणा चौधरी और उनके पति अशोक चौधरी से जब बात करने की कोशिश की गई तो उन्होंने इस पूरे मामले पर चुप्पी साध ली। हालांकि जब अरुणा चौधरी से उनके पति द्वारा उनके दफ्तर का सारा काम-काज करने के बारे में पूछा गया तो उन्होंने कहा कि उनके पति सिर्फ उनकी मदद कर रहे हैं। अगर किसी को परेशानी हुई तो वह उनको अपना ओ.एस.डी. नियुक्त कर लेंगी।