सरकारी अस्पताल में दवाइयों की नहीं है कोई कमी, फिर भी मरीज दवाईयों से वंचित

Edited By Punjab Kesari,Updated: 26 Jun, 2017 10:26 AM

there is no shortage of medicines in government hospital

रियासती शहर संगरूर का सिविल अस्पताल जिले के लोगों को स्वास्थ्य सुविधाएं देने में पूरी तरह समर्थ है और इस अस्पताल में जिले के हर कोने से मरीज इलाज के लिए पहुंच रहे हैं। अस्पताल में माहिर डाक्टर होने के कारण सुबह से ही ओ.पी.डी. के आगे भीड़ लगी रहती है...

संगरूर(बावा): रियासती शहर संगरूर का सिविल अस्पताल जिले के लोगों को स्वास्थ्य सुविधाएं देने में पूरी तरह समर्थ है और इस अस्पताल में जिले के हर कोने से मरीज इलाज के लिए पहुंच रहे हैं। अस्पताल में माहिर डाक्टर होने के कारण सुबह से ही ओ.पी.डी. के आगे भीड़ लगी रहती है वहीं अस्पताल में सरकारी दवाइयों की कोई कमी नहीं है। पीलिए की दवा अस्पताल में से मुफ्त मिलने के कारण जिले के पीलिए के मरीज दवाई लेने के लिए लंबी-लंबी कतारों में खड़े होकर अपनी बारी की प्रतीक्षा करते देखे जा सकते हैं।

अस्पताल के बंद होने के बाद भी इस बीमारी से पीड़ित मरीजों को दवाई मिलती रहती है। अस्पताल के एमरजैंसी विभाग में पीड़ित व्यक्ति को प्राथमिक सहायता देने के लिए पूरी दवाइयों का प्रबंध होने का दावा किया जाता है। अस्पताल के गायनी वार्ड में प्रसूति के लिए आई महिलाओं की हर तरह की दवाई सरकार की तरफ से मुफ्त मुहैया करवाई जा रही है। इसी तरह अस्पताल के ऑप्रेशन थिएटर में उपचारित मरीजों से बाहर से दवा नहीं मंगवाई जाती। यह दवाई भी करीब-करीब अस्पताल में से ही मुहैया करवाई जा रही है। 

जन औषधि स्टोर की हालत
सिविल अस्पताल में स्थापित जनऔषधि की दुकान पर बहुत कम मरीज दवाई लेने के लिए जाते हैं। स्टोर पर बैठी मुलाजिम कमलजीत कौर का कहना है कि डाक्टरों द्वारा जन औषधियों की पर्ची बहुत कम लिखी जाती है। जिले का मुख्य अस्पताल होने के बावजूद बहुत कम लोग यहां दवा लेने आते हैं। उन्होंने कहा कि इस दुकान पर 100 किस्म की दवाइयां उपलब्ध हैं लेकिन फिर भी डाक्टरों की तरफ से नाममात्र ही दवाइयों की पर्ची लिखी जा रही है। 

अस्पताल में दवाई मिलने की वास्तविकता
सिविल अस्पताल में डाक्टरों की तरफ से मरीजों को लिखी जाती मुफ्त मिलने वाली दवाई की वास्तविकता जानने के लिए जब मुफ्त दवाई मिलने वाले स्थान पर जाकर देखा तो वास्तविकता कुछ और ही सामने आई। दवाई लेने आए मरीजों व उनके परिजनों ने बताया कि यहां मिलने वाली दवाई तो डाक्टर साहब ने लिखी ही नहीं। अपनी बीमार पत्नी के लिए दवा लेने आए बुजुर्ग ने बताया कि जो दवाई डाक्टर साहब की तरफ से लिखी गई है वह दवाई खत्म हो गई है।

उन्होंने बताया कि डाक्टर ने 4 दवाइयां लिखी हैं, जिनमें से कोई दवाई यहां नहीं दी गई। वहीं अपने परिजन के लिए दवाई लेने आए एक नौजवान ने बताया कि डाक्टर की तरफ से लिखी कोई दवा यहां मौजूद नहीं है। मायूसी के आलम में गुस्से से पर्ची पकड़कर एक और नौजवान ने राजनीतिक लोगों पर गुस्सा निकालते हुए कहा कि सभी दवाइयां आप ही खा जाते हैं किसी को कुछ नहीं देते। डाक्टर ने 5 दवाइयां लिखी हैं लेकिन अस्पताल में से सिर्फ एक दवाई का पत्ता ही दिया गया है बाकी सब दवाइयां मैडीकल स्टोर से लेनी पड़ेंगी।

क्या कहते हैं अस्पताल में दवाइयों के स्टोर के इंचार्ज 
सिविल अस्पताल में दवाइयों के स्टोर के इंचार्ज चीफ फार्मासिस्ट बलजीत का कहना है कि सरकार द्वारा उनको करीब 238 दवाइयां मुहैया करवाई जाती हैं जिससे अस्पताल में आने वाले मरीजों की जेब पर कोई बोझ न पड़े। उन्होंने कहा कि उनके पास इलाके के 26 ग्रामीण अस्पतालों, डिस्पैंसरियों व मोबाइल बसों के लिए दवाइयों की सप्लाई की जा रही है।

उन्होंने कहा कि जो दवाइयां अस्पताल में उपलब्ध होती हैं उन दवाइयों की सूची अस्पताल के डाक्टरों को दे दी जाती है जिससे मरीजों को डाक्टर द्वारा लिखी जाने वाली दवाई अस्पताल में से ही मिल सके। एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि हर वक्त अस्पताल में करीब 70 से 75 दवाइयां उपलब्ध होती हैं। एमरजैंसी पडऩे पर वह दवाइयां वेयर हाऊस से डिलीवर करवा लेते हैं। बलजीत सिंह ने बताया कि वह स्टोर में अकेले ही मुलाजिम हैं यहां न कोई हैल्पर है और न ही कोई कम्प्यूटर ऑप्रेटर। दवाइयां मंगवाने या मांग प्रति सारी कार्रवाई कम्प्यूटर द्वारा होती है।  

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