Edited By Punjab Kesari,Updated: 07 Jul, 2017 09:36 AM
गांव की सड़कें सरकार की रीढ़ की हड्डी होती हैं किन्तु जब इन गांव की सड़कों पर ध्यान मारा जाए तो इनकी हालत बद से भी बदतर है।
टांडा(कुलविंद्र): गांव की सड़कें सरकार की रीढ़ की हड्डी होती हैं किन्तु जब इन गांव की सड़कों पर ध्यान मारा जाए तो इनकी हालत बद से भी बदतर है। इसकी मिसाल पेश करती है मूनका फाटक से अनेकों गांवों के अलावा ऐतिहासिक गुरुद्वारा टाहली साहिब को जोड़ती लिंक सड़क। बादल सरकार दौरान चाहे इस सड़क पर लुक-बजरी इत्यादि तो डाल दी गई थी किन्तु इस सड़क का स्तर ठीक न होने के कारण सड़क पर घुटनों तक खड़ा पानी विभाग की लापरवाही बयान करता है।
विभाग की तरफ से ज्यादा टूटी सड़क पर पत्थर डाला गया तथा थोड़ी बहुत पोचा-पोची की गई। इसका खमियाजा लोगों को भुगतना पड़ा। पूर्व सरपंच मनजीत सिंह ने बताया कि वह बार-बार उक्त वक्त के डी.सी. तथा विभाग के एस.सी. तथा अन्य अधिकारियों को स्तर एक जैसा रखने संबंधी मिले थे किन्तु किसी भी अफसर ने उसकी सुनवाई नहीं की। इसका खामियाजा सभी राहगीरों को भुगतना पड़ रहा है।
अब मौके की कांग्रेस सरकार से मांग की है कि सड़क की दुर्दशा को सुधारा जाए ताकि राहगीरों को परेशानी न आए।वर्णनीय है कि उस वक्त के मंत्री जनमेजा सिंह सेखों से प्रतिनिधि की तरफ से बन रही सड़क दौरान संपर्क किया गया था तो उन्होंने माना था कि सभी सड़कों का एक जैसा विस्तार किया जाएगा अगर कोई ऐसा नहीं करता तो उस अफसर के विरुद्ध सख्त कार्रवाई की जाएगी किन्तु हुआ कुछ और ही।