शहर में रैन बसेरा, फिर भी जरूरतमंद सो रहे खुले आसमान तले

Edited By Punjab Kesari,Updated: 04 Dec, 2017 11:27 AM

the supreme court orders are flying all over

सर्दी का मौसम शुरू हुए एक महीना हो चुका है लेकिन शहर में अनेक लोग कड़ाके की सर्दी में खुले आसमान तले सोते हैं। भूख व ठंड की वजह से किसी व्यक्ति की मौत होना मानवीय दृष्टि से बेहद ङ्क्षचताजनक माना जाता है। लोग ठंड से न मरें इसके लिए प्रशासन ने बेशक...

बरनाला (विवेक सिंधवानी,गोयल): सर्दी का मौसम शुरू हुए एक महीना हो चुका है लेकिन शहर में अनेक लोग कड़ाके की सर्दी में खुले आसमान तले सोते हैं। भूख व ठंड की वजह से किसी व्यक्ति की मौत होना मानवीय दृष्टि से बेहद चिंताजनक माना जाता है। लोग ठंड से न मरें इसके लिए प्रशासन ने बेशक नगर कौंसिल के दफ्तर में रैन बसेरा भी खोला हुआ है पर उसमें जरूरतमंदों को ठहराने के लिए नगर कौंसिल तथा जिला प्रशासन द्वारा कोई ठोस कदम नहीं उठाए जा रहे। ऐसा करके माननीय सुप्रीम कोर्ट की हिदायतों की भी अनदेखी की जा रही है।

मामले को लेकर सवाल खड़े होते हैं कि आखिर इतनी सर्दी के बावजूद क्यों अनेक लोगों को खुले आसमान तले सोना पड़ रहा है और प्रशासन ने क्यों चुप्पी धारण कर रखीहै। वर्णनीय है कि उत्तर भारत में दिसम्बर व जनवरी में कड़ाके की ठंड पड़ती है तथा कई बार तो रात का तापमान 2 से 3 डिग्री तक पहुंच जाता है। ऐसे में खुले आसमान के नीचे रात गुजारने वाले बेसहारा लोगों को जान का खतरा कई गुना बढ़ जाता है। सर्दी के मौसम में खुले आसमान तले सोए लोगों की ठंड से मौत की घटनाएं आए दिन सामने आता हैं।

रेलवे स्टेशन या बस स्टैंड के नजदीक ठहरना पसंद करते हैं लोग : डी.सी.
जब इस संबंधी डिप्टी कमिश्रर घनश्याम थोरी से बात की गई तो उन्होंने कहा कि रैडक्रॉस की ओर से खुले आसमान तले सोने वालों को कंबल मुहैया करवाए जा रहे हैं। वह स्वयं उन लोगों को कंबल बांटकर आए हैं। जब उनसे पूछा गया कि आप उन लोगों को रैन बसेरे की बिल्डिंग में ठहरने के लिए प्रेरित क्यों नही करते तो उन्होंने कहा कि ये लोग रेलवे स्टेशन तथा बस स्टैंड के नजदीक ठहरना पसंद करते हैं। रेलवे स्टेशन केंद्र सरकार की जगह है। इसलिए हम वहां पर रैन बसेरे की बिल्डिंग नहीं बना सकते। 

जब उनसे पूछा गया कि क्या फिर आप बस स्टैंड के नजदीक रैन बसेरे की बिल्डिंग बना रहे हो क्योंकि बस स्टैंड की जगह तो राज्य सरकार के अधीन आती है, तो उन्होंने कहा कि नगर कौंसिल की जगह पर जहां रैन बसेरा बना हुआ है, वहां सांझी रसोई चल रही है। वहां पर कम लोग ही भोजन करने के लिए आते हैं। इसलिए हम सांझी रसोई अब बस स्टैंड के नजदीक शिफ्ट करने जा रहे हैं जहां पर हम 5 रुपए की थाली लोगों को उपलब्ध करवाएंगे पर रैन बसेरे की बिल्डिंग बनाने के लिए फिलहाल हमारी कोई योजना नहीं है।

रैन बसेरा में चल रही है सांझी रसोई
नगर कौंसिल के दफ्तर में जो बिल्डिंग रैन बसेरा के लिए बनाई गई थी, अब उस बिल्डिंग में समाज सेवी संस्थाओं के सहयोग से दोपहर के समय सांझी रसोई चल रही है। सांझी रसोई में कुछ जरूरतमंद लोग भोजन करने के लिए भी आते हैं परंतु प्रशासन द्वारा जरूरतमंद लोगों को रैन बसेरे में ठहरने के लिए प्रेरित नहीं किया जा रहा, क्योंकि जो लोग खुले आसमान तले सोते हैं वे ज्यादातर अनपढ़ ही होते हैं। इसलिए उनको सैमीनार लगाकर रैन बसेरे में ठहरने के लिए प्रेरित करने की जरूरत है जबकि प्रशासन द्वारा ऐसा कुछ भी नहीं किया जा रहा।  

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