Edited By Updated: 24 Feb, 2017 04:07 AM
31 मार्च के बाद हाईवे पर शराब के ठेके बंद होने की तरह बार के लाइसैंस भी न मिलने को लेकर
लुधियाना(हितेश): 31 मार्च के बाद हाईवे पर शराब के ठेके बंद होने की तरह बार के लाइसैंस भी न मिलने को लेकर लटक रही तलवार से राहत दिलाने की मांग करते हुए होटल, रैस्टोरैंट व मैरिज पैलेस मालिकों ने एक बार फिर से सुप्रीम कोर्ट की शरण ली है।
इस मामले में काफी देर पहले से अदालत में केस चल रहा है कि हाईवे पर स्थित शराब के ठेकों से पीकर निकलने वाले लोग जब सड़क पर आते हैं तो हादसे का शिकार हो जाते हैं। इसी तरह शराब पीकर गाड़ी चलाने वाले भी हादसों की वजह बन रहे हैं। इसके मद्देनजर अदालत ने काफी पहले ही हाईवे पर स्थित शराब के ठेके बंद करने के आदेश दे रखे हैं, लेकिन शराब के ठेकों से बड़े पैमाने पर मिलने वाले रैवेन्यू का नुक्सान होता देख सरकार कोई न कोई रास्ता निकाल कर उनको खुला रखना चाहती है, जिसके तहत पहले हाईवे के ठेकों का फ्रंट सड़क के अंदरूनी हिस्से की तरफ करने का फॉर्मूला अपनाया गया। फिर नैशनल व स्टेट हाईवे में फर्क बता कर ठेकों को बचाने की कोशिश की गई।
अब 31 मार्च तक यह समय लाइसैंस जारी होने व फीस का नुक्सान होने का हवाला देकर निकाला गया, लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने इस सब पर पानी फेरते हुए साफ कर दिया है कि हाईवे पर 1 अप्रैल के बाद शराब के ठेके नहीं खोले जाएंगे। इससे सरकार के रैवेन्यू को भारी नुक्सान होगा, जिसके मद्देनजर अफसरों ने अभी से रूपरेखा तैयार करनी शुरू कर दी है। हालांकि उस पर फैसला नई बनने वाली सरकार ही आकर करेगी।
इसी बीच सुप्रीम कोर्ट के आदेशों से होटलों, मैरिज पैलेसों व रैस्टोरैंट मालिकों पर भी तलवार लटक गई है, क्योंकि हाईवे पर जो किसी तरह का लिकर लाइसैंस न देने की बात कही गई है, उसमें बार के लाइसैंस भी आने की अटकलें चल रही हैं। उसे लेकर जहां कई राज्यों की सरकारों ने स्पष्टीकरण के लिए सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है, वहीं होटल एंड रैस्टोरैंट एसोसिएशन ने भी राहत देने की मांग की है।
इसकी पुष्टि करते हुए एसो. के महासचिव अमरवीर सिंह ने बताया कि लिकर लाइसैंस का मतलब शराब का ठेका होता है, जिसमें बार को शामिल नहीं किया जा सकता। यह पहलू स्पष्ट करने के लिए पंजाब के अलावा कई दूसरे राज्यों की होटल एंड रैस्टोरैंट संस्थाएं भी सुप्रीम कोर्ट गई हैं। इस केस पर जल्द सुनवाई होने की उम्मीद है।
वर्ना अंदरूनी सड़क वालों की होगी चांदी
होटल, रैस्टोरैंट द्वारा रूटीन में आने वाले ग्राहकों के अलावा समारोहों आदि के दौरान भी शराब परोसने के लिए बार के लाइसैंस लिए हुए हैं। यही हाल मैरिज पैलेस वालों का भी है। अगर हाईवे पर स्थित होटल, रैस्टोरैंट व मैरिज पैलेस वालों को राहत न मिली तो अंदरूनी सड़कों पर स्थित इन प्वाइंट वालों की खूब चांदी होगी। हालांकि अभी यह साफ होना बाकी है कि नैशनल या स्टेट हाईवे दोनों पर ही सुप्रीम कोर्ट के आदेश लागू होंगे या नहीं।
अवैध निर्माण को लेकर निगम ने जारी किए नोटिस
शहर के 100 से ज्यादा होटलों में पार्किंग का प्रबंध न होने के बारे में चल रही जांच के तहत नगर निगम ने सभी को नोटिस जारी कर दिए हैं। इस केस में सैक्रेटरी लोकल बॉडीज ने विभिन्न जिलों की बिल्डिंग शाखा के अफसरों पर आधारित टीमें बना कर होटलों की चैकिंग का जिम्मा सौंपा है। उनकी शुरूआती जांच में यह बात सामने आई है कि कई होटल रिहायशी इलाके में होने के कारण पूरी तरह अवैध हैं, जबकि कुछेक जगह बूथ, एस.सी.ओ. या एस.सी.एफ. को होटल में तबदील किया गया है, जो नियमों के उल्लंघन की कैटागरी में आते हैं। जो होटल मंजूर सड़कों पर बने हुए हैं, उनमें से अधिकतर में तय सीमा से अधिक निर्माण हुआ है, जिसे नॉन-कम्पाऊंडेबल होने के कारण गिराने की कार्रवाई बनती है। इसके अलावा सभी होटलों में पार्किंग नियमों का उल्लंघन सामने आया है।
कई जगह पार्किंग का बिल्कुल इंतजाम नहीं किया गया है और कुछेक होटलों में नक्शा पास करवाते समय दिखाई गई पार्किंग की जगह पर अन्य काम हो रहे हैं, जिससे इन होटलों में आने वाले लोगों के वाहन सड़क की जगह पर खड़े होने से ट्रैफिक जाम की समस्या पेश आ रही है, जिसे लेकर कोई कार्रवाई करने से पहले निगम ने होटल मालिकों को नक्शा पास या कम्पाऊंडिंग करवाने के बारे में दस्तावेज पेश करने के लिए नोटिस जारी किए हैं।