Edited By Punjab Kesari,Updated: 25 Sep, 2017 12:12 PM
गुरुग्राम के रेयान इंटरनैशनल स्कूल में 7 वर्षीय प्रद्युमन ठाकुर की गला रेत कर हत्या किए जाने की घटना ने जहां पूरे देश को हिला कर रख दिया वहीं इस घटना ने अमृतसर के जिला एवं पुलिस प्रशासन की निद्रा को भी तोड़ा है। एक ओर जिला प्रशासन निजी स्कूलों को...
अमृतसर (ममता,संजीव): गुरुग्राम के रेयान इंटरनैशनल स्कूल में 7 वर्षीय प्रद्युमन ठाकुर की गला रेत कर हत्या किए जाने की घटना ने जहां पूरे देश को हिला कर रख दिया वहीं इस घटना ने अमृतसर के जिला एवं पुलिस प्रशासन की निद्रा को भी तोड़ा है। एक ओर जिला प्रशासन निजी स्कूलों को मापदंड के आधार पर स्कूलों में सुरक्षा प्रबंध करने का दबाव बना रहा है वहीं दूसरी ओर पुलिस प्रशासन भी आगे आकर सक्रियता दिखाने लगा है।
स्कूलों में बज्जों की सुरक्षा को लेकर जब ‘पंजाब केसरी’ की टीम ने विभिन्न स्कूलों का दौरा कर सुरक्षा संबंधी खोजबीन शुरू की तो बहुत से चौंकाने वाले पहलू सामने आए। माननीय हाई कोर्ट सेफ स्कूल वैन व बज्जों की सुरक्षा को लेकर गंभीर है, मगर महानगर के बहुत से स्कूल स्वयं ही सेफ नहीं हैं। इसमें सबसे ऊपर निजी स्कूलों में काम करने वाले दर्जा चार कर्मचारियों व अन्य स्टाफ की पुलिस वैरीफिकेशन का न होना सामने आया। यहां हम यह कह सकते हैं कि निजी स्कूलों के स्टाफ की पुलिस वैरीफिकेशन न होने के कारण स्कूल में पढ़ रहे छोटे बच्चे सुरक्षित नहीं हैं।
स्कूल में बच्चों की सुरक्षा को लेकर ध्यान देने योग्य बातें
‘पंजाब केसरी’ की टीम ने जब शहर में चल रहे निजी स्कूलों में बच्चों की सुरक्षा को लेकर अपनाए जा रहे मापदंडों पर ध्यान केंद्रित किया तो शहर के बहुत से स्कूलों का इस ओर रूझान नाममात्र दिखाई दिया। कुछ स्कूलों का तो वातावरण इतना चौंकाने वाला दिखाई दिया कि वहां कोई भी व्यक्ति अंदर-बाहर जा सकता था। स्कूल को पूरी तरह से सुरक्षित करने के लिए स्कूलों को कुछ विशेष बातों की ओर ध्यान देने की जरूरत है।
जान-पहचान के आधार पर रखे जाते हैं दर्जा चार कर्मचारी
टीम ने निजी स्कूलों के दौरे दौरान यह भी पाया कि कुछ टॉप मोस्ट स्कूलों में तो दर्जा 4 कर्मचारियों के साथ-साथ सुरक्षा गार्ड भी तैनात थे जबकि बहुत से स्कूल ऐसे थे जहां केवल 2 या 4 दर्जा कर्मचारियों पर ही पूरा स्कूल निर्भर था जिनमें एक चौकीदार, माली, सफाई कर्मचारी व चपड़ासी शामिल थे, जिन्हें बिना किसी पुलिस वैरीफिकेशन जान-पहचान के आधार पर ही नौकरी पर रखा गया था। ऐसे में अगर कोई भी कर्मचारी किसी अपराधको अंजाम दे जाता है तो पुलिस के पास उसकी किसी तरह की पहचान न होने के कारण उसे उस मामले को सुलझाने में बहुत-सी कठिनाइयों को सामना करना पड़ेगा जो स्कूल की भूमिका पर तो सवालिया निशान है मगर इसके साथ-साथ स्कूल में पढऩे वाले बच्चों की सुरक्षा के साथ खिलवाड़ था।
हाई कोर्ट के निर्देशों की धज्जियां उड़ाने के बावजूद जिला एवं पुलिस प्रशासन चुप क्यों
निजी स्कूल लगातार हाई कोर्ट द्वारा 2015 में दिए गए निर्देशों की धज्जियां उड़ा रहे थे, बावजूद इसके जिला एवं पुलिस प्रशासन ने चुप्पी क्यों साध रखी थी? यह सवाल में बहुत से राज छुपे हो सकते हैं। नियम तोडऩे वालों पर कोई कानूनी कार्रवाई न करना जहां स्कूलों व प्रशासन के बीच की सांठ-गांठ की ओर संके त करता है वहीं यह भ्रष्टाचार की ओर भी इशारा कर रहा है। जिला एवं पुलिस प्रशासन को नियम तोडऩे वाले स्कूलों पर किसी ठोस रणनीति के तहत कड़ी कानूनी कार्रवाई करने की जरूरत है ताकि किसी भी स्कूल में प्रद्युम्न की हत्या जैसी घटना होने से पूर्व ही उस पर काबू पाया जा सके।
जिले के 900 के करीब निजी स्कूल हैं असुरक्षा के दायरे में
जिले में अगर निजी स्कूलों की संख्या की बात की जाए तो इनमें कई श्रेणियां आती हैं जिनमें मान्यता प्राप्त, गैर मान्यता प्राप्त के अतिरिक्त सी.बी.एस.ई. और आई.सी.एस.ई. बोर्ड के अंतर्गत आने वाले लगभग 900 के करीब स्कूल हैं। इनमें 350 से अधिक मान्यता प्राप्त स्कूल हैं जोकि पंजाब स्कूल एजुकेशन बोर्ड द्वारा मान्य हैं। इसके अतिरिक्त शहर के टॉप स्कूल सी.बी.एस.ई., बोर्ड या आई.सी.एस.ई. बोर्ड के अंतर्गत मान्यता प्राप्त हैं जिनकी संख्या भी 200 के करीब है। इनमें से केवल चंद स्कूलों को छोड़ अन्य स्कूलों की सुरक्षा सवालों के घेरे में है जहां न तो काई मापदंड अपनाए जाते हैं और न ही स्कूल प्रशासन बच्चों की सुरक्षा को लेकर गंभीर है।