Edited By Updated: 21 Jan, 2017 11:24 AM
‘यू.एस. इलैक्शन हैकिंग’ के विवाद की छाया भारत में भी पडऩे लगी है। ‘इलैक्शन हैकिंग’ के मुद्दे पर अमरीका व...
जालंधर(इलैक्शन डैस्क): ‘यू.एस. इलैक्शन हैकिंग’ के विवाद की छाया भारत में भी पडऩे लगी है। ‘इलैक्शन हैकिंग’ के मुद्दे पर अमरीका व रूस के बीच गहरा रहे विवाद ने देश के राजनीतिज्ञों को ङ्क्षचता में डाल दिया है। प्रमुख राजनीतिक दलों में ‘हैकिंग’ के इस संगीन अंतर्राष्ट्रीय मामले की नई बहस छिड़ गई है और कई पार्टी नेताओं को डर सता रहा है कि सत्तासीन ध्रुव कहीं आगामी विधानसभा चुनावों को ‘इलैक्शन हैकिंग’ के जरिए हथिया न ले। ‘पंजाब केसरी’ ने अंतराष्ट्रीय राजनीतिक मंच पर गहराए इस विवाद की पड़ताल की तो कई चौंकाने वाले तथ्य सामने आए।
विश्व के कई देशों में ई.वी.एम्स से चुनाव करवाना पूरी तरह प्रतिबंधित है क्योंकि आसानी से टैंपर होने वाली इन मशीनों को सुरक्षित नहीं माना जाता है। उधर, विश्व के सबसे बड़े लोकतंत्र भारत ने 2009 के आम चुनाव दौरान इन मशीनों का इस्तेमाल शुरू कर दिया और उसके बाद आम चुनावों से लेकर विधानसभा चुनावों और बड़े नगर निगमों में भी इन मशीनों को चुनाव प्रक्रिया के दौरान इस्तेमाल में लाया गया।
यह हैं 2 अटैक जिनसे हैक होती है ई.वी.एम.
हरी के. प्रसाद ने मशीनों के गहन शोध के बाद इन मशीनों पर 2 किस्म के अटैक का डैमोस्ट्रेशन दिया। पहले अटैक के तहत मशीन के अंदर लगे एक छोटे से कम्पोनैंट को रिप्लेस किया जा सकता है जिसे गुपचुप तरीके से मोबाइल फोन से ऑप्रेट करके अपने चहेते उम्मीदवार के पक्ष में वोटों की चोरी की जा सकती है। वहीं, दूसरी हैकिंग के लिए दूसरा अटैक पॉकेट में आने वाले डिवाइस के जरिए ई.वी.एम. में स्टोर की गई मैमोरी को चुनाव के दिन या काऊंटिंग के दिन मैनुपुलेट किया है।
क्या है ‘यू.एस. इलैक्शन हैकिंग’ विवाद
यू.एस. की एक समाचार एजैंसी रायटर ने यू.एस. इंटैलीजैंस असैस्मैंट रिपोर्ट्स के हवाले से खबर ब्रेक की कि रूस के प्रैजीडैंट व्लादिमीर पुतिन ने डैमोक्रेट हिलेरी किं्लटन को हराने में डोनाल्ड ट्रम्प की मदद करने के आदेश जारी किए थे। रूस ने ऐसा इसलिए किया था कि अमरीका की लोकतांत्रिक व्यवस्था पर कड़ा आघात किया जा सके। इंटैलीजैंस की रिपोर्ट के बाद ही यू.एस. इलैक्शन हैकिंग के मामले ने तूल पकड़ लिया और विवाद पैदा हो गया कि रूस ने अमरीका का चुनाव हैक किया है। हालांकि, बाद में रूस ने इस विवाद को तर्कहीन करार दिया था। वहीं 2 बड़े देशों के बीच पैदा हुए इस विवाद ने कई देशों में इलैक्शन हैकिंग के मामले में नई बहस छेड़ दी गई।
यह है ई.वी.एम. की ‘बुनियादी क्रिप्टोग्राफी’
तकनीकी विशेषज्ञों का कहना है कि ई.वी.एम. में डाले गए वोट 2 ई.ई.पी.आर.ओ.एम.एस. में स्टोर होते हैं। वोटों को स्टोर करने के दौरान डाटा एन्क्रिपशन नहीं होती, लिहाजा मैमोरी में स्टोर किए गए वोटों में हेरफेर संभव है।
हरी के. प्रसाद ने दी थी चुनाव आयोग को चुनौती
देश में ई.वी.एम्स के शुरू होने के बाद पहली दफा नैट इंडिया ग्रुप्स ऑफ कम्पनी के मैनेजिंग डायरैक्टर हरी के. प्रसाद के नेतृत्व में शोधकत्र्ताओं ने डैमोस्ट्रेशन दिया कि किस तरह ई.वी.एम. को आसानी से हैक किया जा सकता है। उनकी इस रिसर्च ने मशीनों की अखंडता पर सवाल खड़े किए। देश के इंजीनियर्स को एक सूत्र में बांधने वाली ऑनलाइन ‘के्रजी इंजीनियर्स’ ने बाकायदा हरी के. प्रसाद का साक्षात्कार लेकर इस पूरी रिसर्च को आमजन के समक्ष रखा। ‘क्रेजी इंजीनियर्स’ ने माना कि चुनाव आयोग को चुनौती देना एक साहसिक कदम है। साक्षात्कार में हरी के. प्रसाद ने बताया कि 2009 के आम चुनाव के दौरान आंध्र प्रदेश के कुछ बूथों में मशीनों में अनियमितताएं सामने आई थीं और इसे देखते हुए एक एन.जी.ओ. ने उनसे संपर्क साधकर गड़बडिय़ों को उजागर करने का आग्रह किया। इसके बाद उन्होंने ऐसे देशों के शोधकत्र्ताओं से संपर्क साधा जो ई.वी.एम्स की सुरक्षा को एक्सपोज कर चुके थे।
18 मई, 2010 को बी.बी.सी. की साऊथ एशिया सैक्शन की साइंस रिपोर्टर जूलियन सिडल द्वारा ‘यू.एस. साइंटिस्ट हैक इंडियन इलैक्ट्रोनिक वोटिंग मशीन’ शीर्षक से छपी खबर ने पहली दफा ई.वी.एम. की सिक्योरिटी पर सवाल खड़े किए। इस खबर में बताया गया कि यू.एस. यूनिवॢसटी के वैज्ञानिकों ने बताया कि उन्होंने एक ऐसी तकनीक को विकसित किया है जो इंडियन इलैक्ट्रोनिक वोटिंग मशीन को ‘हैक’ करने में सक्षम है। यूनिवॢसटी ऑफ मिशिगन के शोधकत्र्ताओं ने दावा किया कि घर में बने एक विशेष डिवाइस से ई.वी.एम. को कनैक्ट करने के बाद मोबाइल से भेजे गए टैक्स्ट मैसेज से चुनाव परिणामों को बदला जा सकता है। खबर में आगे कहा गया है कि भारतीय चुनाव अधिकारियों ने दावा किया है कि उनकी मशीनें फुलप्रूफ हैं और उनमें टैंपरिंग करना बेहद मुश्किल है।
भारत में चुनावों के दौरान आम चुनावों में 1.4 मिलियन इलैक्ट्रोनिक मशीनों को उपयोग में लाया जाता है। बी.बी.सी. की इस खबर में आगे दावा किया गया है कि मिशिगन यूनिवॢसटी के शोधकत्र्ताओं ने भारतीय ई.वी.एम्स को एक डिवाइस के जरिए ‘हैक’ करने संबंधी एक वीडियो भी इंटरनैट में पोस्ट किया। इस खबर में प्रोजैक्ट को लीड करने वाले यूनिवॢसटी के एक प्रोफैसर जे. एलैक्स हाल्डरमैन ने बताया कि ई.वी.एम. एक मशीन है और विशेष डिवाइस व मोबाइल फोन के टैक्स्ट मैसेज के जरिए उसके परिणामों को प्रभावित किया जा सकता है लेकिन चुनावों के दौरान प्रशासनिक सेफगार्ड चलते ऐसा करना बेहद मुश्किल है। उन्होंने कहा कि शोधकत्र्ताओं द्वारा तैयार डिस्प्ले बोर्ड कुल वोटों को इंटरसैप्ट करता है।
अगर कोई बुरा आदमी चाहे तो हैकिंग के जरिए चुनाव परिणामों के कुल टोटल को अपने हिसाब से बदल सकता है। उन्होंने बताया कि एक छोटे से माइक्रोप्रोसैसर के जरिए ई.वी.एम. में चुनाव के दौरान स्टोर किए गए कुल वोटों को ‘काऊंटिंग’ सैशन के दौरान बदला जा सकता है। भारतीय इलैक्ट्रोनिक वोटिंग मशीनों को विश्वभर में सबसे ज्यादा टैंपरप्रूफ मशीन माना जाता है।
पेपर और वैक्स सील
बी.बी.सी. की खबर में भारतीय आयोग के अधिकारियों का हवाला देते हुए कहा गया है कि चुनाव प्रक्रिया के पूरा होने के बाद मशीनों को विशेष कागज और वैक्स से सील किया जाता है। इसके अलावा इनकी सुरक्षा के विशेष प्रबंध किए जाते हैं। मशीनों पर सील इत्यादि का बंदोबस्त उम्मीदवारों और उसके प्रतिनिधियों के सामने होता है और इन सीलों को ब्रेक किए बिना उपयोग नहीं किया जा सकता है। वहीं, यूनिवॢसटी ऑफ मिशिगन के शोधकत्र्ताओं ने चुनाव आयोग के दावों पर कहा कि ई.वी.एम्स को सील करने में उपयोग होने वाले कागज और वैक्स की नकल आसानी से की जा सकती है।
भारत में ई.वी.एम. से चुनाव प्रक्रिया सुरक्षित है। आयोग द्वारा ई.वी.एम. की सुरक्षा के लिए विशेष सुरक्षा बंदोबस्त किए जाते हैं। अगर किसी के पास ई.वी.एम. की हैकिंग को लेकर कोई तकनीकी जानकारी है तो वह आयोग के समक्ष अपनी डैमोस्टे्रशन दे सकता है। चुनाव आयोग पूरी सक्रियता के साथ चुनावों की सुरक्षा पर नजर रखता है।’’- सिविन एस., एडिशनल चीफ इलैक्ट्रॉल ऑफिसर (पंजाब)