Edited By Punjab Kesari,Updated: 09 Oct, 2017 09:53 AM
रखड़ा चीनी मिल की बेशकीमती मशीनरी पंजाब सरकार किसी चहेती कंपनी को देने की फिराक में है, जिस कारण इलाके के लोग पंजाब सरकार से खफा हैं क्योंकि यह चीनी मिल इलाके के लोगों के सहयोग से लगी थी। इसके बंद होने के साथ जहां फसली विभिन्नता को ग्रहण लगा है,...
पटियाला/रखड़ा(राणा) : रखड़ा चीनी मिल की बेशकीमती मशीनरी पंजाब सरकार किसी चहेती कंपनी को देने की फिराक में है, जिस कारण इलाके के लोग पंजाब सरकार से खफा हैं क्योंकि यह चीनी मिल इलाके के लोगों के सहयोग से लगी थी। इसके बंद होने के साथ जहां फसली विभिन्नता को ग्रहण लगा है, वहीं इलाके के किसानों को भी भारी नुक्सान का सामना करना पड़ा है।
जिक्र योग्य है कि शाही शहर पटियाला के पास के गांव रखड़ा में 1986 में सुरजीत सिंह बरनाला की अकाली सरकार में कृषि मंत्री रहे कै. अमरेन्द्र सिंह की अगुवाई में जिले के सैंकड़ों नौजवानों को नौकरियों पर नियुक्त करने के लिए पटियाला को-आप्रेटिव शूगर मिल लिमिटेड 66 एकड़ के क्षेत्रफल में स्थापित की गई थी। इसके साथ इलाके के लोगों को रोजगार का एक बड़ा साधन मिला था।
यह चीनी मिल प्रदेश की पहली मिल थी, जिसने 2000 से 2003 तक प्रदेश में चीनी की और ज्यादा पैदावार करके अपने आप में एक रिकार्ड कायम करके सरकार को ज्यादा लाभ पहुंचाया था। आखिर में यहां गन्ना लाने वाले किसानों का करोड़ों रुपए का बकाया अदा न कर सकने के कारण 2004 में इनको ताला जड़ दिया गया।
अपना बकाया लेने के लिए किसानों ने धरने लगा कर सरकार से तो अपनी अदायगियां निकलवा लीं परंतु इलाके के किसानों को इस चीनी मिल के बंद होने के साथ भारी नुक्सान पहुंचा है। फिर से जिले के किसानों को कैप्टन अमरेन्द्र सिंह के मुख्यमंत्री बनने के साथ नई आशा की किरण दिखाई देने लगी है। अरबों रुपए की बेशकीमती मशीनरी जंग की जकड़ में है और मशीनरी के बेशकीमती पार्ट्स भी चोरी होने का शक है।
सरकार किसी और कंपनी को मशीनरी देने की तैयारी में
जिस दिन से रखड़ा चीनी मिल बंद हुई है उस दिन से इसकी बेशकीमती मशीनरी चाहे शैड के नीचे होने के कारण बची हुई है परंतु सूत्रों के मुताबिक सरकार अपने चहेते को खुश करने के लिए चुपचाप रखड़ा शूगर मिल की मशीनरी को किसी और कंपनी को देने की ताक में है।
किसानों की चीनी मिल को चलाने की मांग लगी बढऩे
इलाके के समूचे किसानों की रखड़ा चीनी मिल को चलाने की मांग दिनों-दिन बढऩे लगी है क्योंकि पंजाब सरकार जहां फसली विभिन्नता लाने की बातें करती है यह तभी संभव हो सकता है यदि इलाके में पड़ी चीनी मिल को चला कर गन्ने की पैदावार करवाई जा सके, जिससे बेरोजगारी भी घटेगी क्योंकि पढ़ी-लिखी नौजवान पीढ़ी को ऐसी चीनी मिल में लगाया जा सकता है। मुख्यमंत्री पंजाब कैप्टन अमरेन्द्र सिंह अपने जद्दी जिले के पास के गांव रखड़ा में बंद पड़ी चीनी मिल को चलाने की फिराक में नहीं हैं जिस करके नई पड़ी मशीनरी बारिश के पानी से खराब हो रही है।
मुलाजिम ले चुके हैं अपना बकाया
रखड़ा चीनी मिल चलने की उम्मीदों पर जब पानी फिरता नजर आया तो चीनी मिल में काम करते समूचे मुलाजिमों ने सरकार के डर से बकाया मरने की सूरत में समूचा मामला हाईकोर्ट में लाया, जिस पर अदालत ने मुलाजिमों के हक में फैसला करते हुए सरकार को तुरंत बनता बकाया देने के हुक्म जारी किए। इन समूचे मुलाजिमों में दर्जन से ज्यादा ऐसे मुलाजिम हैं जिन्होंने न तो नौकरी से इस्तीफा दिया और न ही अपना बकाया लिया।