Edited By Punjab Kesari,Updated: 25 Jul, 2017 07:46 AM
गुरु नानक देव अस्पताल की एमरजैंसी में मरीज इलाज लिए तड़पता रहा, लेकिन ड्यूटी पर तैनात डाक्टर ने उसकी सुध नहीं ली। डाक्टर एमरजैंसी से यह कहकर चलता बना कि उसकी ड्यूटी खत्म हो गई है, दूसरा डाक्टर ही आकर मरीज का इलाज करेगा। डाक्टर ने परिजनों को कहा कि...
अमृतसर(दलजीत): गुरु नानक देव अस्पताल की एमरजैंसी में मरीज इलाज लिए तड़पता रहा, लेकिन ड्यूटी पर तैनात डाक्टर ने उसकी सुध नहीं ली। डाक्टर एमरजैंसी से यह कहकर चलता बना कि उसकी ड्यूटी खत्म हो गई है, दूसरा डाक्टर ही आकर मरीज का इलाज करेगा। डाक्टर ने परिजनों को कहा कि ‘वह डाक्टर नहीं दिहाड़ीदार है’।
परिजन मरीज को लेकर इधर-उधर भटकते रहे, परन्तु किसी भी डाक्टर का दिल नहीं पसीजा। परिजनों ने अस्पताल के उच्च अधिकारियों को शिकायत भी की। मामले संबंधी जानकारी देते हुए आर.टी.आई. एक्टिविस्ट जय गोपाल लाली, पं. रविन्द्र शर्मा सुल्तानविंड ने बताया कि मजीठा रोड निवासी सुरिन्द्र कुमार को घर में टेबल उठाते समय चोट लग गई। चोट लगने के कारण सुरिन्द्र कुमार की अंगुली से रक्त बहने लगा। परिजनों द्वारा तुरंत सुरिन्द्र कुमार को अस्पताल की एमरजैंसी में लाया गया। एमरजैंसी में आर्थो विभाग का एक डाक्टर मौजूद था। उसने इलाज शुरू करने से पहले मरीज के परिजनों को टैस्ट करवाने के लिए कहा।
परिजनों ने जब डाक्टर से कौन से टैस्ट करवाने संबंधी पूछा तो डाक्टर ने कहा कि लैबोरेटरी वालों को पता है कि कौन से टैस्ट होते हैं। इसी दौरान डाक्टर ने एक प्राइवेट लैबोरेटरी का कारिंदा वहां बुला लिया तथा 500 रुपए लेकर फोन पर ही रिपोर्ट ले ली। रिपोर्ट आने के उपरांत डाक्टर यह कहकर चला गया कि उसकी ड्यूटी खत्म हो गई है। ड्यूटी पर आने वाला दूसरा डाक्टर मरीज को टांके लगाएगा। उन्होंने बताया कि परिजनों ने जब मरीज के रक्त बहाव संबंधी डाक्टर को कहा तो उसने कहा कि वह ‘डाक्टर नहीं दिहाड़ीदार है’, यह कहकर डाक्टर चला गया।
कुछ समय बाद ड्यूटी पर आए डाक्टर द्वारा 5 टांके मरीज को लगाए गए। उन्होंने कहा कि इस संबंध में जब मौके पर आर्थो वार्ड के इंचार्ज से बातचीत की गई तो उसने मामले को हल करने की बजाए यह कहकर पल्ला झाड़ दिया कि वह छुट्टी पर है। लाली व सुल्तानविंड ने कहा कि अस्पताल के कुछ डाक्टरों का व्यवहार मरीजों के प्रति ठीक नहीं है। मरीजों का अस्पताल में शोषण हो रहा है। इलाज के नाम पर मरीजों को तड़पाया जा रहा है। अस्पताल के उच्चाधिकारी व सरकार डाक्टरों के आगे बेबस हैं। उन्होंने कहा कि यह तो एक मामला है, जो सामने आ गया है, ऐसे कई मामले हैं, जिनमें मरीज तड़पते रहते हैं तथा बाद में परिजन उनकी हालत को देखते हुए मजबूर होकर प्राइवेट अस्पताल में ले जाते हैं।
उन्होंने कहा कि जब उनका मरीज एमरजैंसी में आया तो उससे पहले कई मरीज इलाज के लिए तड़प रहे थे। डाक्टर को भगवान का रूप कहा जाता है, परन्तु अस्पताल के उक्त डाक्टरों की कारगुजारी ने जाहिर कर दिया है कि ‘हे भगवान, पत्थर हो गए धरती भगवान’।