Edited By Updated: 26 Feb, 2017 01:42 PM
पंजाब की मौजूदा शिअद-भाजपा गठबंधन सरकार नई बनने वाली सरकार पर भारी देनदारियों का बोझ छोड़ कर जा रही है। अदूरदर्शी फैसलों के कारण वित्तीय संकट का शिकार हुए पंजाब के सामने आगे भी डगर काफी कठिन रहेगी तथा नई सरकार को वित्तीय संसाधनों को सुधारने के लिए...
जालन्धर(धवन): पंजाब की मौजूदा शिअद-भाजपा गठबंधन सरकार नई बनने वाली सरकार पर भारी देनदारियों का बोझ छोड़ कर जा रही है। अदूरदर्शी फैसलों के कारण वित्तीय संकट का शिकार हुए पंजाब के सामने आगे भी डगर काफी कठिन रहेगी तथा नई सरकार को वित्तीय संसाधनों को सुधारने के लिए ठोस फैसले लेने होंगे। गठबंधन सरकार ने फिलहाल 6000 करोड़ के बिल खजाने में छोड़ दिए हैं। इनका भुगतान नई सरकार को करना होगा।
पंजाब के वित्त विभाग को इस समय सरकारी कर्मचारियों को डी.ए. का भुगतान करने की चिंता पड़ी हुई है। दिसम्बर माह में गठबंधन सरकार ने अपने कर्मचारियों के लिए डी.ए. का ऐलान किया था। सरकार ने कर्मचारियों को जनवरी 2014 से दिसम्बर 2016 तक का बकाया देना है जिसकी कुल राशि 2268 करोड़ रुपए बनती है। खजाना पहले ही खाली पड़ा हुआ है। गठबंधन सरकार को पता था कि उसकी सत्ता में वापसी असंभव है इसलिए जाते-जाते उसने खजाने पर और आॢथक बोझ डाल दिया।
वित्त विभाग का कहना है कि बी.पी.एल. परिवारों को दिए जाने वाले सस्ते राशन के बदले भी सरकार ने बकाया पड़े 1747 करोड़ के बिलों का भुगतान करना है। पहले ही 2016 में पंजाब सरकार को कई बार ओवर ड्राफ्ट का सहारा लेना पड़ा। चालू वर्ष के दौरान ही राज्य ने भारतीय रिजर्व बैंक से 13000 करोड़ रुपए का नया ऋण लिया था।
पंजाब कांग्रेस कमेटी अध्यक्ष कैप्टन अमरेन्द्र सिंह ने कई बार राज्य के ऊपर डाले जा रहे नए ऋणों का मामला सार्वजनिक रूप से उठाया था। उन्होंने चुनावों के दौरान भी जिक्र किया था कि पंजाब के ऊपर 1.25 लाख करोड़ रुपए के ऋणों का बोझ चढ़ चुका है। ऊपर से सरकार और नए ऋण ले रही है। आॢथक स्थिति सुधारने की तरफ अकाली सरकार ने अपने कार्यकाल के दौरान कोई ध्यान नहीं दिया।