टूटते नेता ‘आप’ की सिरदर्दी, अमन अरोड़ा भी गायब

Edited By Punjab Kesari,Updated: 08 Oct, 2017 03:00 PM

the leader of the broken leader aap aman arora also disappeared

आम आदमी पार्टी (आप)के पंजाब के नेताओं भगवंत मान और सुखपाल खैहरा ने गुरदासपुर में चाहे एड़ी चोटी का जोर लगा दिया है पर ‘आप’  के लिए दिल्ली अभी दूर है। आम आदमी पार्टी के लिए गुरदासपुर लोकसभा सीट उप चुनाव जीतने तक ही मायने नहीं रखते बल्कि पंजाब में...

जालंधर (बुलंद) : आम आदमी पार्टी (आप)के पंजाब के नेताओं भगवंत मान और सुखपाल खैहरा ने गुरदासपुर में चाहे एड़ी चोटी का जोर लगा दिया है पर ‘आप’  के लिए दिल्ली अभी दूर है। आम आदमी पार्टी के लिए गुरदासपुर लोकसभा सीट उप चुनाव जीतने तक ही मायने नहीं रखते बल्कि पंजाब में अपने खो चुके आधार को वापस पाने के लिए एक अहम कदम साबित हो सकता है।  इस सब के बावजूद ‘आप’ के लिए गुरदासपुर चुनाव फिलहाल दूर की कौड़ी बने हुए हैं। पार्टी के अंदरूनी कैडर से मिली जानकारी के अनुसार पार्टी को गुरदासपुर में जिस प्रकार के रिस्पांस की उम्मीद थी उससे आधा भी नहीं मिल रहा। ऐसे में खुद को जीत की उम्मीद दिलाना महज एक तसल्ली मात्र रह गया दिखाई देता है।

जानकारों की मानें तो कई ऐसे फैक्टर हैं जो ‘आप’ को नुक्सान पहुंचा रहे हैं। ये फैक्टर कुछ इस प्रकार हैं- 
गुरदासपुर चुनाव में सबसे बड़ा फैक्टर जो इस समय पार्टी के लिए सिरदर्दी बना हुआ है वो है हिंदू वोटर को न लुभा पाने का। पार्टी में इस समय इस बात को लेकर भारी निराशा है कि आम आदमी पार्टी ने पंजाब की इकाई के गठन के समय पार्टी की ओर से अमन अरोड़ा नामक एक नेता को पार्टी का पंजाब का उप प्रधान या को-कन्वीनर बनाया गया था ।

इसके पीछे पार्टी का मनोरथ यह था कि अमन अरोड़ा के जरिए पंजाब के हिंदू वोटरों को पार्टी के साथ जोड़ा जाएगा और पार्टी में हिंदू नेता को बड़ा पद दिए जाने से हिंदू वोटरों में पार्टी का अक्स अच्छा रहेगा कि पार्टी धर्म निरपेक्ष है। पर पार्टी का यह स्टैंड बुरी तरह से असफल साबित हो रहा है, क्योंकि जिस हिंदू नेता अमन अरोड़ा को पार्टी ने इतनी अहम जिम्मेदारी सौंपी थी वो तो पार्टी में बड़ा पद लेने के बाद से ही गायब है। पार्टी के इतने अहम चुनाव गुरदासपुर लोकसभा चुनावों में अमन अरोड़ा एक बार भी प्रचार के लिए सामने नहीं आए।

इतना ही नहीं 11 तारीख को होने वाले चुनावों में अमन अरोड़ा के अब प्रचार के लिए आने के आसार भी कम ही हैं, क्योंकि वे अपने कनाडा-अमरीका दौरे पर हैं, जिसे पार्टी के एन.आर.आई. विंग मजबूत करने का नाम दिया गया है पर हैरानी की बात है कि इन दोनों देशों से पार्टी को चुनावी फंड के नाम पर न के बराबर ही फंड आया है। ऐसे में गुरदासपुर चुनावों में पार्टी को हिंदू वोटर को लुभाने में भारी परेशानियां आ रही हैं ।

जानकारी के अनुसार पार्टी के ही कुछ नेताओं ने इस सारे मामले बारे अरविंद केजरीवाल को भी शिकायत की है, जिसमें कहा गया है कि अमन अरोड़ा की गैर-हाजिरी से पार्टी को गुरदासपुर में हिंदू वोटरों के आगे भारी नामोशी का सामना करना पड़ रहा है। इतना ही नहीं पार्टी के गुरदासपुर में लोकसभा चुनावों के उम्मीदवार सुरेश खजूरिया ने भी इस मामले बारे अपनी नाराजगी हाईकमान के आगे जाहिर की है।  उधर, हिंदू वोटरों को लुभाने के लिए पार्टी को दिल्ली से संजय सिंह जैसे उन नेताओं को बुलाना पड़ रहा है जिन पर विस चुनाव में मिली हार के बाद खुद पंजाब के नेताओं ने हार का ठीकरा फोड़ा था। ऐसे में नाराज पार्टी नेताओं ने हाईकमान को कहा गया है कि गुरदासपुर में कई हिंदू बहुल इलाके हैं जिनमें अमन अरोड़ा अहम रोल अदा कर सकते थे, जो उन्होंने नहीं किया। सूत्रों के अनुसार आने वाले दिनों में अमन अरोड़ा को पार्टी हाईकमान के आगे हाजिरी भरनी पड़ सकती है।

कई और नेताओं के टूटने की आशंका
दूसरा फैक्टर जो आम आदमी पार्टी की जीत को लगातार धूमिल कर रहा है वह है पार्टी के वे नेता जो गर्माए चुनावी अखाड़े में पार्टी को सतश्री अकाल बुलाकर दूसरी पाॢटयों में जा रहे हैं। आम आदमी पार्टी के लिए पार्टी की अंदरूनी गुटबाजी के बीच लगातार पार्टी से टूटकर बिखर रहे नेताओं का मामला बड़ी सिरदर्दी बन चुका है। गुरदासपुर उप चुनाव पर लगातार ऐसे नेताओं का बुरा प्रभाव पड़ रहा है जो पार्टी को छोड़ कर जा रहे हैं।

यहां तक कि गुरदासपुर में विस चुनावों के दौरान रहे 9 उम्मीदवारों में से गुरप्रीत घुग्गी(बटाला), कंवलप्रीत काकी(कादियां),कुलभूषण मिन्हास (सुजानपुर) और जोगिंद्र सिंह  छीना(दीनानगर) के अलावा 9 सीटों के चुनावी इंचार्ज रहे लखबीर सिंह पार्टी को अलविदा कहकर बाहर जा चुके हैं। इसके अलावा पार्टी के पंजाब कन्वीनर रहे सुच्चा सिंह छोटेपुर पहले ही पार्टी से बाहर हैं। जानकार बताते हैं कि कई और नेता 11 अक्तूबर से पहले पार्टी से बाहर हो सकते हैं। पार्टी में कुछेक लोगों की मनमॢजयों से आम वर्करों व छोटे नेताओं में बेचैनी और गुस्सा है जो आने वाले दिनों में फूटकर बाहर आ सकता है।  अब सवाल उठता है कि क्या सिर्फ भगवंत मान और सुखपाल खैहरा की मदद से पार्टी गुरदासपुर चुनाव जीत पाएगी?
 
 

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