Edited By Updated: 26 Mar, 2017 12:13 PM
ति-पत्नी के रिश्ते की दूरी हर वर्ष बढ़ती जा रही है। महिलाओं की सुरक्षा के लिए बनाया गया ‘दहेज’ का कानून पति-पत्नी के रिश्तों पर भारी पड़ रहा है। जिले में पिछले 2 वर्ष से अब तक 107 से भी अधिक मामले दर्ज हो चुके हैं, जिनमें पुलिस द्वारा काऊंसलिंग के...
भटिंडा(सुखविंद्र): पति-पत्नी के रिश्ते की दूरी हर वर्ष बढ़ती जा रही है। महिलाओं की सुरक्षा के लिए बनाया गया ‘दहेज’ का कानून पति-पत्नी के रिश्तों पर भारी पड़ रहा है। जिले में पिछले 2 वर्ष से अब तक 107 से भी अधिक मामले दर्ज हो चुके हैं, जिनमें पुलिस द्वारा काऊंसलिंग के जरिए 40 के लगभग केसों का समझौता करवाया जा चुका है और बाकी न्यायालय में लटक रहे हैं। जहां पति-पत्नी के रिश्ते में दहेज बड़ी समस्या बना हुआ है, वहीं लोगों में सहनशीलता भी लगातार कम होती जा रही है।
2 माह में सामने आए 10 मामले
पति-पत्नी के रिश्तों में हर वर्ष दूरियां बढ़ती जा रही हैं। जिले में वर्ष 2015 लड़कियों द्वारा दहेज के लगभग 40 मामले दर्ज करवाए गए हैं। वर्ष 2016 में दहेज के मामलों की गिनती बढ़कर 57 तक पहुंच गई। इसी तरह वर्ष 2017 के शुरू होते ही 13 मार्च तक महिला थाने में 10 मामले दर्ज करवाए जा चुके हैं। गौर हो कि हर वर्ष विवाहिता द्वारा पुलिस के पास दर्ज करवाए गए मामलों की गिनती में वृद्धि हो रही है जो लड़की के ससुराल और मायके दोनों परिवारों के लिए एक बड़ी समस्या बनी हुई है।
घरेलू कलह का मामला भी दहेज
पुरुष प्रधान समाज में महिला को एक सामान अधिकार देना जहां देश के कानून में है, वहीं कुछ महिलाओं द्वारा घरेलू कलह या अन्य मामलों को छिपाने के लिए भी उक्त कानूनों का दुरुप्रयोग किया जाता है। उक्त महिलाओं द्वारा घरेलू कलह के मामले को भी दहेज के रूप में पेश किया जाता है। वहीं महिलाओं में सहनशीलता की कमी होना भी पति-पत्नी के पवित्र रिश्ते को तोड़ने का बड़ा कारण बनता है।
माता-पिता बच्चों को दें शिक्षा
महिलाओं के हक के लिए काम करते मैडम समाज सेवी परमजीत कौर देवता ने कहा कि माता-पिता की भी जिम्मेदारी बनती है कि वे विवाह से पहले ही अपने बच्चों को वैवाहिक जिंदगी निभाने की शिक्षा दें ताकि विवाह के बाद वे खुशहाल जीवन व्यतीत कर सकें। अक्सर ही लड़कियों द्वारा ससुराल परिवार पर तंग व परेशान करने के आरोप लगाए जाते हैं परन्तु हर ससुराल परिवार भी गुनाहकार नहीं हो सकता। यह भी जरूरी नहीं है कि हर पति बुरा हो। अगर लड़की परिवार द्वारा पहले ही दोनों को समझाया जाए तो पति-पत्नी के टूट रहे रिश्तों को फिर से बसाया जा सकता है। पुलिस द्वारा काऊंसलिंग के जरिए दोनों को समझाने की कोशिश की जाती है ताकि पति-पत्नी फिर इकट्ठे जीवन व्यतीत कर सकें। उनके द्वारा अधिकतर मामलों का राजीनामा करवाया जा चुका है। लड़की और लड़के दोनों के परिवारों को चाहिए कि वे अपने बच्चों के बीच मामूली झगड़ों को आपस में बैठकर ही सुलझाने को पहल दें। -सरबजीत कौर, इंचार्ज महिला थाना