Edited By Updated: 22 Mar, 2017 05:00 PM
देश को अंग्रेजी हुकूमत से आजाद हुए कई वर्ष हो चुके हैं, मगर सत्ता में रही केंद्र और पंजाब की सरकारें शहीदों के ऐतिहासिक शहर फिरोजपुर के
फिरोजपुर (कुमार): देश को अंग्रेजी हुकूमत से आजाद हुए कई वर्ष हो चुके हैं, मगर सत्ता में रही केंद्र और पंजाब की सरकारें शहीदों के ऐतिहासिक शहर फिरोजपुर के साथ इंसाफ नहीं कर सकीं। इस ऐतिहासिक धरती को सत्ता में रही अब तक की सरकारों ने नजरअंदाज किया है।
जिले में हैं कई ऐतिहासिक स्थल
फिरोजपुर जिले में ऐसे कई ऐतिहासिक स्थल हैं और फिरोजपुर शहर में ऐसी कई ऐतिहासिक इमारतें हैं जहां हमारे देश के क्रांतिकारी शहीद-ए-आजम भगत सिंह, चंद्र शेखर आजाद, शहीद सुखदेव, डा. गया प्रसाद, शिव वर्मा, महावीर सिंह और विजय कुमार सिन्हा आदि आकर ठहरा करते थे और अंग्रेजी हुकूमत से देश को आजाद करवाने के लिए गुप्त मीटिंगें किया करते थे। मगर हमारी सरकारें आज तक हुसैनीवाला सहित अन्य ऐतिहासिक स्थलों को नैशनल मॉन्यूमैंट (राष्ट्रीय धरोहर का दर्जा) नहीं दिलवा सकी। फिरोजपुर शहीदों की धरती है और हमारी सरकार की नजरअंदाजी के कारण यहां कोई बड़ी इंडस्ट्री नहीं लग सकी और 1971 की भारत-पाक जंग से लेकर आज तक हुसैनीवाला भारत-पाक बार्डर बंद पड़ा है।
लोगों में एक बार जगी थी उम्मीद
कुलबीर सिंह सिद्धू आई.ए.एस. के डी.सी. व कमिश्नर होते हुए लोगों में एक उम्मीद जगी थी। कुलबीर सिंह सिद्धू जब वर्ष 2000 में डिप्टी कमिश्नर और 2005-06 में फिरोजपुर डिवीजन के कमिश्नर थे तब लोगों को इस बात की उम्मीद बनी थी कि यहां के ऐतिहासिक स्थलों को नैशनल मॉन्यूमैंट का दर्जा दिलवाया जाएगा, मगर कुलबीर सिंह सिद्धू की सेवामुक्ति और पंजाब में कैप्टन सरकार के सत्ता से जाने के बाद यह उम्मीद टूट गई। सिद्धू आई.ए.एस. अफसर थे जिन्होंने कड़ी मेहनत और लगन के बाद फिरोजपुर के सारे इतिहास को इकट्ठा किया और शहीद भगत सिंह के उन फ्रीडम फाइटर साथियों से मिले जो उनके क्रांतिकारी जीवन में उनकी सहायता किया करते थे। सिद्धू ने उसके बाद फिरोजपुर के इतिहास पर दो किताबें लिखी थीं। कै. अमरेंद्र सिंह मुख्यमंत्री उनसे इतने प्रभावित हुए कि उन्होंने सिद्धू को सभी ऐतिहासिक स्थलों को राष्ट्रीय धरोहर घोषित करने संबंधी केंद्र सरकार से संबंधित विभाग से सम्पर्क करने के आदेश दिए और उस समय केंद्र से कई टीमें इन स्थलों का दौरा करके गईं जिन्होंने सारा रिकार्ड लेने के बाद कमिश्नर कुलबीर सिंह सिद्धू से वायदा किया कि इन ऐतिहासिक स्थलों को राष्ट्रीय धरोहर का दर्जा दिया जाएगा, मगर अफसोस कि उस समय सिद्धू सेवामुक्त हो गए और पंजाब में अकाली-भाजपा सरकार सत्ता में आ गई और सारा प्रोजैक्ट बीच में ही रह गया।
क्या कहते हैं सेवामुक्त IAS अधिकारी सिद्धू
सम्पर्क करने पर सेवामुक्त आई.ए.एस. अधिकारी कुलबीर सिंह सिद्धू ने कहा कि हुसैनीवाला में शहीद भगत सिंह और उनके साथियों के स्मारक हैं इसलिए हुसैनीवाला, तूड़ी बाजार शहर की ऐतिहासिक बिल्डिंगों तथा मुदकी, फेरू शहर आदि मैदानों को राष्ट्रीय धरोहर का दर्जा दिया जाना चाहिए। पंजाब के मौजूदा मुख्यमंत्री कैप्टन अमरेंद्र सिंह इस मुद्दे को लेकर बहुत गंभीर हैं और इस बार वह लोगों की इस मांग को अवश्य पूरा करेंगे। सिद्धू ने कहा कि फिरोजपुर का हुसैनीवाला भारत-पाक बार्डर भी ट्रेड के लिए जल्द खुलना चाहिए और ट्रेड रूट तथा टूरिस्ट हब बनने से जहां फिरोजपुर में रौनक लगेगी और व्यापार बढ़ेगा, वहीं देश-विदेशों से आने वाले लोगों को शहीदों के क्रांतिकारी जीवन और सपनों संबंधी जानकारी मिलेगी।
शहीद भगत सिंह ने तूड़ी बाजार में केस कटवाए थे
इतिहासकार राकेश कुमार ने शहीद भगत सिंह और उनके साथियों के गुप्त ठिकानों की तलाश करते हुए बताया है कि तूड़ी बाजार वाली बिल्डिंग में भगत सिंह और उनके साथी भेस बदलकर मीटिंग किया करते थे। पंजाब में हिंदुस्तान सोशलिस्ट रिपब्लिकन एसोसिएशन का यह मुख्य कार्यालय था और इसी बिल्डिंग में बैठकर सांडर्स की हत्या करने की योजना बनाई गई थी और पहचान छिपाने के लिए भगत सिंह के केस और दाढ़ी यहीं पर काटे गए थे। इसी बिल्डिंग में शिव वर्मा ने कई शहीदों की जीवनियां लिखी थीं।
कैप्टन सेवामुक्त सिद्धू की सेवाएं लेकर लोगों की इस मांग को करें पूरा
फिरोजपुर जिला के एन.जी.ओ. को-आर्डीनेशन कमेटी के चेयरमैन पी.सी. कुमार ने पंजाब के मुख्यमंत्री कै. अमरेंद्र सिंह से मांग की है कि ईमानदार सेवामुक्त आई.ए.एस. अधिकारी कुलबीर सिंह सिद्धू की विशेष रूप से सेवाएं लेकर स्थानीय ऐतिहासिक स्थलों को राष्ट्रीय धरोहर का दर्जा दिलवाया जाए।